Wednesday, 22 January 2025

 🇮🇳 *संघवादी डॉ मोहन भागवत इनके भारत स्वतंत्रता बयाण पर कांग्रेस विरोध आंदोलन बनाम भारत प्रजासत्ताक देश !*

     *डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर १७

राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल 

एक्स व्हिजिटिंग प्रोफेसर, डॉ बी आर आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ महु म प्र 

मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२


        *"विकास भारत"* यह नरेंद्र मोदी भाजपा सरकार का हसिन सपना और सन २०१८ के *"World Economic Forum"* में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इनकी *"सन २०२४ में भारत की अर्थव्यवस्था ५ ट्रिलियन डॉलर कर, विश्व में ५ वा स्थान पाना"* इस बडी घोषणा करने बिच ही, भारत की सन २०२४ में अर्थव्यवस्था यह *"३.९४ ट्रिलियन डॉलर"* बतायी गयी है. वही भारत पर *"विदेशी कर्ज"* यह *"७१८.८ अरब डॉलर"* दिखाई देता है. विश्व अर्थव्यवस्था युध्द में *"Worlds Stable Economy"* यादी में, विश्व के ४० देशों में *"भारत यह कही भी नज़र नहीं आया."* और भारत में आर्थिक मंदी के बिच ही, *"मुद्रा स्फिती दर"* बढने के कारण, *"ऋण दरों"* में वृध्दी (?) होने से, *"महंगाई / बेकारी / दारिद्रता"* यह आसमान छुं रही है. और संघवाद (RSS) नायक *डॉ मोहन भागवत* इनके इंदुर शहर में दिये गये *"१५ अगस्त १९४७ को केवल राजकीय आजादी मिली. २२ जनवरी २०२४ को अयोध्या मे राम की प्राणप्रतिष्ठा होने से ही, देश सही अर्थो में स्वतंत्र (आजाद) हुआ है,"* इस विवादीत बयाण सें, कांग्रेस दल में तो भुचालसा मच गया है. यह अलग विषय है कि, *"सर्वोच्च न्यायालय"* द्वारा ९ नवंबर २०१९ को, सरन्यायाधीश *रंजन गोगोई* इनकी अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीश खंडपीठ *शरद बोबडे / अशोक भुषण / धनंजय य. चंद्रचूड / एस. अब्दुल नजीर* इन्होने, Without any prima facie *"रामजन्मभूमी अस्तित्व"* को स्वीकार किया है. और सर्वोच्च न्यायालय के उन पाचों न्यायाधीशों की *"वैचारिक औकात"* समस्त विश्व ने देखी है. अत: इस *रामजन्मभूमी न्यायालय* विषय पर तथा *"भारत को आजादी मिलने में ३ - ४ साल देरी क्यौंं हुयी ? मोहनदास गांधी एवं कांग्रेस की अदुरदर्शिता"* इस गंभीर विषय पर, सविस्तर चर्चा हम फिर कभी करेंगे. अब हम केवल *"भारत की आजादी"* इस विषय पर चर्चा करते है.

        १५ अगस्त १९४७ को *"गुलाम भारत को संपूर्ण आजादी (स्वतंत्रता) मिली है"* या वह विदेशी अंग्रेज शासन *(गोरे अंग्रेज)* / कांग्रेस देसी ब्राह्मणों *(काले अंग्रेज)* इनके बिच, वह *"सत्ता का हस्तांतरण करार"* (Agreement) था ? यह आज भी विवाद का बडा मुद्दा दिखाई देता है. *"सत्ता का हस्तांतरण करार"* हमें यह कहने कारण, उस दिन *"गोरे अंग्रेज देश को छोडकर चले गये. और देसी काले अंग्रेजो ने देश की कमान संभाली."* गोरे अंग्रेज शासन काल में, शिस्त (Discipline) थी / भ्रष्टाचार (Corruption) नहीं था / समय का महत्व था / देशभक्ती की भावना थी / पुंजीवाद यह हावी नहीं था.. *"देशी काले अंग्रेज शासन"* (Black Indian Brahminism Rule) में, उन सभी अवगुणों का शिरकाव दिखाई देता है. *"देशी काले अंग्रेज शासन"* में, पुंजीवाद की जड़े भी, मजबूत दिखाई देती है. *"अन्याय / अत्याचार / बलात्कार / भ्रष्टाचार"* का बोलबाला दिखाई देता है. *"गुलामी की दासता"* यह शोषित + पिडित समाज महसुस कर रहा है. और नरेंद्र मोदी समान राजकीय लोग भी, *"प्रजातंत्र का ढोल"* (Democracy) पिट रहे है. बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर जी इनका २६ नवंबर १९४९ को *"संविधान सभा"* में दिया गया भाषण, आज हमें *"भारत की तिसरी गुलामी"* का बोध करा रहा है. बाबासाहेब डॉ आंबेडकर इन्होने अपने भाषण में, *"राजकिय समानता मिलने की बात कही थी. और सामाजिक - आर्थिक समानता की ओर जाने का आवाहन भी वे दे गये."* क्या हम इन ७५ सालों में, *"सामाजिक - आर्थिक समानता"* की ओर, हम या हमारी राजनीति बढी है ? यह भी अहं बडा प्रश्न है. क्यौं कि, वह असमानता दिनो दिन बढती जा रही है. भारत में *"प्रजातंत्र"* को धत्ता बताकर, *"पुंजीवाद नीति"* को बढावा देखा जा रहा है.

           संघवादी (RSS) सर्वेसर्वा *डॉ. मोहन भागवत* के भारत आजादी (स्वतंत्रता) संदर्भ में, एक बात बिलकुल सही कह गये है. *"भारत को १५ अगस्त १९४७ को सही आजादी कहां मिली है ?"* डॉ मोहन भागवत का दुसरा कथन *"रामजन्मभूमी प्राणप्रतिष्ठा"* संदर्भ यह भी तो, *"भारत के धार्मिक मनमानी"* का प्रतिक ही कहना होगा. बुध्द धर्म के *"महायान संप्रदाय"* ने *"वज्रयान संप्रदाय"* को जन्म दिया. वज्रयान संप्रदाय ने *"तंत्रयान संप्रदाय"* को जन्म दिया. और वज्रयान - तंत्रयान संप्रदाय ने *"शैव पंथ / वैष्णव पंथ / शाक्त पंथ"* को जन्म दिया है. इसवी नववी शती में *शंकर* नाम का *"स्वच्छंदी बौध्द"* ने, तमाम महायान संप्रदाय के बौध्द मठ - विहारों पर, अपना अधिपत्य जमाया है. और *"ऋंगेरी पीठ केरल (यजुर्वेद) / शारदा पीठ गुजरात (सामवेद) / ज्योतीर्पीठ उत्तराखंड (अथर्ववेद) / गोवर्धन पीठ ओरीसा (ऋग्वेद)"* का निर्माण किया. और जर्मनी के *हिटलर* का सहपाठी *"ग्लोबल्स"* इसने *"एक झुट बात को बार बार कहा जाए तो, वह झुट बात भी सच लगने लगती है."* यह तंत्र का अविष्कार किया, जिसे विश्व में *"ग्लोबल्स तंत्र"* नाम से पहचाना जाता हैं. और RSS अर्थात संघवाद का आदर्श यह *"हिटलर"* ही है. अत: संघ ने *"ग्लोबल्स तंत्र"* का सहारा लिया तो, वह नयी बात नहीं है. मोहन भागवत *"धार्मिक भावनाओं* को बढावा लेकरं / अंधश्रद्धा को फैलाकर, *"सामाजिक - आर्थिक विषमता की दरी"* को, और बडी करना चाहते है. यही तो *"भारत ब्राह्मण्यवाद"* की राजनीति है. अत: कांग्रेस का डा मोहन भागवत विरोधी आंदोलन, महस एक कुटिल राजनीति है. कांग्रेस ने ७० साल की *"सत्ता राजनीति"* ने, कौन सी सामाजिक - आर्थिक समता स्थापित की ? यह भी तो प्रश्न है. २६ जनवरी १९५० को *"भारत का प्रजासत्ताक"* होना अर्थात *"संविधान संस्कृती"* की भारत में निव रखना / बुनियाद रखना, यह *"संस्कृति संविधान"*  ब्राम्हणवादीयों की, आंख की बडी किरकिरी है. जय भीम !!!


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▪️ *डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*

        नागपुर दिनांक २२ जनवरी २०२५

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