✈️ *प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेशी वारी भाषण से क्या भारत की गरिमा - अखंडता को धक्का पहुंचा है ? एक प्रश्न.* (क्या कांग्रेसी राजकुमार राहुल गांधी भी बिन-अकल राजनीति का एक प्रतिक है ?)
*डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर १७
राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल
एक्स व्हिजिटिंग प्रोफेसर, डॉ बी आर आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ महु म प्र
मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२
जुलै २०२४. अभी अभी नरेंद्र मोदी ने, तिसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद,*"रूस की अपनी विदेशी यात्रा"* को खत्म कराकर, *"आस्ट्रिया"* देश की ओर रवाना होते ही, रुस के विदेश यात्रा में, *"रुस में बसे भारतीय आवाम"* के सामने उदबोधन करते हुये *नरेंद्र मोदी* कह गये कि, *"सन २०१४ के पहले का भारत देश यह हताशा, निराशा में डुबा हुआ था....!!!"* मोदी के इस वक्तव्य के बाद, रूस में बसे हुये भारतीय लोगों ने, *"मोदी... मोदी..."* यह नारे भी लगाये गये. निश्चित ही वह बिन-अकल आवाज **आंबेडकरी आवाम"* नहीं होगी. वह आवाज *"संघवादी विचारों"* की होगी. नरेंद्र मोदी द्वारा रुस मेंं दिये गये इस बयाण से, भारतीय लोगो में चर्चा का भुचालसा मच गया. और कहने जाने लगा कि, नरेंद्र मोदी का वह विवादीत बयाण, *"विदेश की धरती पर, भारत की गरिमा को खंडित करनेवाला है."* परंतु इसके पहले, जब नरेंद्र मोदी *"चायना / दक्षिण कोरिया "* विदेश दौरे पर गये थे, और नरेंद्र मोदी ने भारतीय लोगो के बीच, उदबोधन में कहा था कि, *"एक समय था कि, जब भारतीय लोग कहते थे कि, हमने कौन सा पाप किया कि, हमारा जन्म भारत में हुआ है. भारत ये कोई देश है. ये कोई सरकार है. चले, हम देश छोड चले...."* तब नरेंद्र मोदी के उस शर्मसारं बयाण पर, भारत में आवाम की / नेताओं की, कोई प्रतिक्रिया नहीं हुयी थी. जो रुस दौरे पर अब दिखाई देती है. *अर्थात तब नरेंद्र मोदी हो या, अमित शहा के आकांत में, सभी डरे हुये थे.* अब भारत में, *"नरेंद्र मोदी के शक्तीशाली ना होने"* से ही, विभिन्न दल नेताओं की, नरेंद्र मोदी के विरोधी में आवाज, बडी जोर शोर से उठ रही है. इसे भी क्या कहे ???
नरेंद्र मोदी द्वारा विदेशी दौरे पर, दिये गये वो शर्मसारं बयाण सुनकर, भारत संविधान निर्माता - *डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर* इनकी *"विदेश नीति,"* मुझे अचानक याद आ गयी. बाबासाहेब डॉ आंबेडकर जब *न्ययार्क* में थे, और उन्हे भारत के संदर्भ में जब पुछा गया था, तब बाबासाहेब डॉ आंबेडकर इन्होने कहा था कि, *"अधिकार रुढ दल हो या, अधिकार रुढ नेता लोग हो, उनसें मेरे मतभेद जरूर रहे है. परंतु उस कारण के लिये, मैं मेरे देश का अपमान कभी नहीं करुंगा. आमने सामने उन मंत्री वर्ग से या, सरकार के सदस्यों से भी, मैं दो हाथ करूंगा. परंतु विदेशी लोक या विदेशों में, उनका मानभंग मैं कभी नहीं करुंगा...!"* (न्युयॉर्क , दिनांक ३१ में १९५२) "भारत देशप्रेम के नायक" - डॉ बाबासाहेब आंबेडकर इनके उपरोक्त बोल को, *प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी* हो या, *विरोध दल नेता राहुल गांधी* हो, इन्होने अपने मन के अंदर, यह बोल गाठ बांधकर रखनी होगी. कांग्रेसी राजकुमार - *राहुल गांधी* ये तो, भारतीय राजनीति का अपक्व नेता है. उसने भी अमेरिका दौरे पर, *"भारतीय गरिमा को खंडित"* करने वाला बयाण दिया था. *राहुल गांधी* भारतीय संविधान की बात करता हो तो, राहुल को *"भारतीय संविधान"* का आर्टिकल १ पढना चाहिये. आर्टिकल १ में लिखा गया है कि, Name and territory of Union - *"India, that is Bharat, shall be union of state....."* भारत यह *"संघ राज्य"* है. अर्थात भारत देश यह *"राज्यों का संघ"* है. भारत के सभी राज्य, यह *"सार्वभौम"* राज्य है. हमारे केंद्र सरकार को, इस शब्द को समझना होगा. राहुल गांधी हर भाषण में, भारत देश को *"हिंदुस्तान"* कहते हुये नज़र आता है. किसी भी प्राचिन ग्रंथ में, *"हिंदुस्तान"* का उल्लेख नहीं है. *"हिंदु"* यह फारशी शब्द है. जिसका अर्थ होता है - *काला आदमी, चोर, बदमाश, काफिर, असभ्य, गुलाम.* स्वामी दयानंद सरस्वती इन्होने, *"हिंदु"* शब्द प्रयोग का विरोध किया था. और *"आर्य धर्म"* की स्थापना की थी. और राहुल गांधी, यें *"हिंदुस्तान = निच लोगों का देश"* कहकर, वो हमारे देश की तोहिम कर रहा है. हमारे भारतीय लोग, उसको सिर पर उठा रहे है. *"अगर राहुल को, उसके गांधी - नेहरू परिवार को, निच ही कहना हो तो, हमें इस संदर्भ में, कुछ भी टिप्पणी नहीं करनी है...!"* परंतु हमारे देश की तोहिम, हमें स्वीकार्य नही. वही बात नरेंद्र मोदी को भी लागु है. नरेंद्र मोदी ने कहा कि, *"भारत यह कोई देश है ? भारत में जन्म लेने पर, वो शर्म महसुस करता है."*
नरेंद्र मोदी हो या राहुल गांधी, इन्हे *"प्राचिन अखंड विकास भारत"* का इतिहास समजना बहुत जरुरी है. प्राचीन भारत का इतिहास यह *"बौध्द - विदेशी ब्राह्मण संघर्ष"* का इतिहास है. प्राचीन भारत की *"सिंध या हडप्पा संस्कृती संस्कृति "* का कालखंड (पुर्व हडप्पा संस्कृति - इ. पु. ७५०० - ३३०० / हडप्पा संस्कृति या पहिला नागरीकरण कालखंड इ. पु. ३३०० - १५०० / परिपक्व हडप्पा संस्कृति कालखंड इ. पु. २६०० - १९००) पर पहिला हमला, *विदेशी वैदिक ब्राह्मण* (कालखंड इ. पु. १५०० - ६००) इन्होने किया था. इस संदर्भ का लिखित वर्णन - बाल गंगाधर तिळक (वैदिक आर्यों का मुलस्थान - Arctic home in Vedas) / जवाहरलाल नेहरू (पिता की ओर से पुत्री को खत) / पंडित श्याम बिहारी मिश्र और सुखदेव बिहारी (भारत वर्ष का इतिहास) आदी बहुत से ग्रंथ में मिलता है. *"सिंध संस्कृति"* का इतिहास, यह विकास भारत दर्शाता है. वही *"अनैतिक वाद"* की नीवं, यह वैदिक ब्राह्मणों द्वारा रची गयी. *बुध्द काल* (इ. पु. ५६३ - ४८३) और बौध्द सम्राट कालखंड (इ. पु. ५४४ - १८५) यह *"प्राचिन भारत का स्वर्ण युग"* कहलाता है. चक्रवर्ती सम्राट अशोक को पोता - *सम्राट बृहद्रथ* की हत्या, ब्राह्मणी ऋषी *पांतजली* के कहने पर, ब्राह्मण सेनापती *पुष्यमित्र शुंग* द्वारा (इ. पु. १८५) की जाती है. और *"अखंड विशाल विकास भारत"* आगे जाकर, *"खंड खंड बिखरा भारत"* हो जाता है. आज यह भारत *"संघवाद"* द्वारा, *"लोकतंत्र भारत"* को गुलामी की दलदल मे डाला है. *नरेंद्र मोदी* यह उस संघवाद का प्रतिक है. अत: नरेंद्र मोदी को *"भारत को हताश भारत / निराश भारत"* दिखाई देता हो तो, यह नरेंद्र मोदी के संस्कार का परिणाम है. और *राहुल गांधी* भी उसी परंपरा का एक प्रतिक है. अत: उन लोगों से *"विकास भारत"* की अपेक्षा करना बेमानी है. आप सच्चे भारतीय लोगो की प्रतिक्रिया में ....!!!
*****************************
▪️ *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
नागपुर, दिनांक १० जुलै २०२४
No comments:
Post a Comment