Tuesday, 5 March 2024

 ✌️ *हे जीवन की राह....!*

       *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* नागपुर

        मो. न. ९३७०९८४१३८


हे जीवन की राह भी, इतनी आसान ना होती है

संघर्ष करने की शक्ती में, वो विजय हो पाती है....


सत्य पर चलना भी, युं ही आसान नहीं होता है

झुठ के इस बाजार में, हर चीज बिका करती है

विश्वास के सागर में, ना डुबना भी ठिक होता है

प्रेम मैत्री करुणा साद में, बुध्द का नाद होता है...


हे‌ नींद की आवेश में, सारी दुनिया ही सोती है

जगाने पर इन लोगों को, वे मुर्दे दिखाई देते है

संविधान अधिकार से, वो पुरे मद मस्त होते है

अब दुश्मनों की चालों ने, उनकी निंद ही उडी है...


वफ़ा की चाह में, आदमी सब कुछ खो जाता है

वही कठिण परेशानी में, बुध्द की साथ पाता है

अब चलो बुध्द की ओर, यही तो जीवन सत्य है

हे भारत का भविष्य, इसी राज में तो समाया है...


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मुंबई प्रवास में, दिनांक ५ मार्च २०२४

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