ं👌 *यें बुध्द के...!*
*डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
मो. न. ९३७०९८४१३८
यें बुध्द के पावन शांती धरती पर
काले अंग्रेजो ने जुलुम फैलाया है...
मां भारती तुम्हे गुलाम बनाकर
तुम्हारा चिरहरण करते देखा है
अपनो ने ही तुम्हे नंगा कराकर
यें रास्ते पर अब्रु लुटते देखा है...
मां भारती क्या तुम दोषी होकर
यें बच्चों को असंस्कारी किया है
तुम आज आजाद गणतंत्र होकर
उन्हे असत्य अनैतिकता परोसा है...
अशोक काल में महाराणी होकर
तेरा बडा ही जलवां हम ने देखा है
आज तुम्हे यें जंज़ीरो में देखकर
गैर के बेड पर सोते तुम्हे देखा है...
गोरे अंग्रेजों ने सिर्फ गुलाम़ बनाकर
सत्ता का लाभ ही उन्होने चखा है
सती प्रथा उरोज टैक्स को हटाकर
गोरे अंग्रेजों ने तेरी अब्रु बचाया है...
यें काले अंग्रेजों ने मस्ती में आकर
धरती पर बडा ही उन्माद मचाया है
मां भारती अब तो उठ खडे होकर
इन नालायकों का संहार करना है..
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नागपुर, दिनांक १७ अगस्त २०२३
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