✒️ *सर्वोच्च न्यायालय के इडी प्रकरण से लेकर इंडिया / भारत नाम विवाद तक राजनीति का खुला नंगापण...!* राहुल गांधी से लेकर नरेंद्र मोदी तक हिंदुस्तान देश (अस्तित्वहिन देश) के अनैतिक शहनशाह.
*डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* नागपुर १७
राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल (सी. आर. पी. सी.)
मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२
भाजपाई *नरेंद्र मोदी सरकार* ने, ED के निदेशक *संजय मिश्रा* को, आनेवाले अक्तूबर २०२३ तक, वो बने रहने के लिए, *मा. सर्वोच्च न्यायालय* में, एक पुनर्याचिका दायर की थी. भारत के जादातर आवाम, वह पुनर्याचिका नामंजूर होने की, बडी ही आस लगा बैठा था. क्यौं कि, मा. सर्वोच्च न्यायालय ने इसके पहले *संजय मिश्रा की नियुक्ति अवैध मानी थी.* वह पुनर्याचिका दोबारा *जस्टीस भुषण गवई, जस्टीस विक्रम नाथ, जस्टीस संजय करोल* पीठ के सामने सुनवायी आयी थी, तब जस्टीस गवई ने, भारत सरकार के *मा. सालीसिटर जनरल* (SG) से पुछा कि, *"क्या इडी इस विभाग में, संजय मिश्रा को छोडकर, एक भी काबिल अफसर नही है ?"* यह प्रश्न ही भारत की इमेज को बहुत बडा धक्का दे गया. फिर भारत के SG ने, *"फायनांसिएल एक्शन टास्क फोर्स"* (FATF) के आर्थिक समिक्षा का मुद्दा उठाकर, *संजय मिश्रा* की आवश्यकता जिक्र किया. आखिर मा. सर्वोच्च न्यायालय के जस्टीस भुषण गवई के पीठ ने, भारत सरकार को अक्तूबर २०२३ तक समय ना देते हुये, *१५ सितंबर २०२३ तक का अंतिम समय निर्णय देने से,* तथा *नरेंद्र मोदी सरकार के हिन लाचारीपण* से, वह याचिका बडा चर्चा का विषय बनी है.
*"सत्ता सरकार हो या, विपक्षी दल के नेता लोग"* हो, वे किसी ना किसी भ्रष्टाचार प्रकरण में, लिप्त नजर आते है. इसके पहले के किसी भी राजकिय दल ने, *"इंकम टैक्स (I) / सी.बी.आय. (C) / इनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (E) अर्थात ICE"* (आईस) का, उतना दुपयोग नही किया था, जीतना *"नरेंद्र मोदी सरकार* ने किया है. सरकारी कंपनियों को पुंजीवादी को, कवडी के दाम में बेच दिया है. दुसरे अर्थो में कहे तो, *"सरकारीकरण का खाजगीकरण किया है."* बेकारी एवं गरिबी बढती जा रही है. महंगाई आसमान छु रही है. पुंजीवादी व्यवस्था नायक नरेंद्र मोदी सरकार ने, पुंजीवाद को बढावा देना, *"अंबानी - अदानी के साथ बिझनेस में भागीदारी"* की बडी चर्चा, जहां वहां कही जाती है. और *"आईस - ICE"* का सिकंजा केवल *"विपक्षी दल नेताओं"* पर कसा जाता है. सत्ता दल में, विपक्षी नेताओं के आने पर, आईस का सिकंजा ढीला हो जाता है. अत: *नरेंद्र मोदी सरकार"* ने, ED निदेशक *संजय मिश्रा* को, सर्वोच्च न्यायालय में केवल *"फायनासिएल एक्शन टास्क फोर्स"* (FATF) के कारण ही बचाया हो तो, अन्य *"विरोधी नेता भ्रष्टाचार प्रकरण"* पर, नरेंद्र मोदी सरकार कार्यवाही करती हो तो, वह विरोधी नेता भ्रष्टाचार प्रकरण, सर्वोच्च न्यायालय मे जाएं तो, वह अतिययोक्ति नही होगी. और ED प्रकरण पर प्रश्नचिन्ह लग सकते है. क्यौ कि, *"इडी डायरेक्टर संजय मिश्रा की नियुक्ति ही अवैध है."*
*"२६ विरोधी दल आघाडी"* की एक बैठक पटना (बिहार) के बाद, दुसरी बैठक बंगलुरु (कर्नाटक) में आघाडी का नाम, *"इंडियन नैशनल डेव्हलोपमेंटल इनक्लुसिव्ह एलायंस"* (I.N.D.I.A.) होना, वही उसी दिन *"३८ सत्ता दलों केे आघाडी"* (NDA) की पहिली बैठक नयी दिल्ली होकर, एड.डी.ए. का नया नामकरण, *"न्यु इंडिया डेव्हलप नैशन एस्पिरेशन ऑफ पिपल ऑफ इंडिया"* करना, यह युं ही नही है. दोनो भी आघाडी दलों की बैठक, यह *"पंचतारांकीत होटल संस्कृति"* का परिपाक तो है, वही *"इंडिया"* यह शब्द, राजनीति में घुमते नजर आता है. अब सवाल इन दोनो ही दलों का है कि, *"इंडिया - भारत राष्ट्रवाद के बढावा में, उनका योगदान क्या है ?"* किसी भी राजकिय दलों ने, सत्ता पर सवार होने पर, *"नां ही भारत राष्ट्रवाद मंत्रालय एवं संचालनालय की स्थापना की, ना ही बजेट में कोई प्रावधान."* जब कि, भारत संविधान की धारा 1 में , हमारे देश का नाम - *"इंडिया, दैट इज भारत शाल बी युनियन आफ स्टेट"* यह स्पष्टत: लिखा है. अर्थात भारत यह *"संघ राज्य"* है. *"एकल राज्य"* नही है. सभी राज्य यह सार्वभौम राज्य है. विरोधी दल आघाडी का *"इंडिया"* खौफ ने, राजस्थान के सांसद महोदय द्वारा *"इंडिया शब्द यह संविधान से हटाने के लिए, लोकसभा में प्रस्ताव करना, इसे हम क्या कहे ? उनका कहना है कि, इंडिया नाम अंग्रेज गुलामी का प्रतिक है."* भारत गुलामी का इतिहास, उस सांसद महोदय को पता ही नही है. चक्रवर्ती सम्राट अशोक का *"अखंड भारत"* यह भारत / पाकिस्तान / बांगला देश / अफगानीस्तान / तिब्बत / नेपाल / म्यानमार / श्रीलंका मिलाकर देश रहा था. तब भारत *"विकास भारत / समृध्द भारत"* हुआ करता था. बामनी सेनापती *पुष्यमित्र शृंग* ने चक्रवर्ती सम्राट ब्रहद्रथ की हत्या कर / अखंड भारत को खंड खंड कराकर, भारत गुलामी के बीज बोये है. वही *राहुल गांधी से लेकर नरेंद्र मोदी* तक नेता लोग, संविधानिक नाम *"इंडिया / भारत"* के बदले *"हिंदुस्तान"* > हिंदु + स्तान > हिनदु + स्तान > हिनदु = हिन + दु > हिन = निच, दु = प्रजा, लोग > हिंदु = निच लोग > *हिंदुस्तान = निच लोगों का देश"* कहते हुये, हमारे देश की तोहिम करते है. निश्चित ही यह राजकिय लोग निच है, *"वेश्या"* है. अर्थात यह मेरा वचन नही है. कांग्रेसी पितामह *मोहनदास गांधी* / संघवाद के *के. सुदर्शन* / भारत के राजनीतिकार (?) *भर्तुहरी* इन्होने ही, *"भारतीय राजनीति को वेश्यालय कहा है."*
*डॉ. मनमोहन सिंह* सरकार - कांग्रेसी सत्ता काल में, नयी दिल्ली में *"संघ लोक सेवा आयोग"* में कार्यरत वरिष्ठ अधिकारी, मेरे मित्र को मिलने चला गया. उनके साथ बहुत से विषयों पर, हमारी अच्छी चर्चा भी हुयी. जब भारत के संविधान पर चर्चा हुयी, तब उस मेरे मित्र ने, दस मिनट के ही दुरी पर, कस्तुरबा गांधी मार्ग पर, *"संविधान सभा"* होने की बात कही. तब आकाशवाणी के अधिकारी, मेरे अच्छे मित्र *अमर रामटेके* के साथ, वह वास्तु देखने मै चला गया. देखा कि, उस जगह की *"संविधान सभा"* यह *"हेरीटेज वास्तु,"* कांग्रेस सरकार ने ढहाकर, उस जगह *"आफिसर्स क्लब"* बनाया था. जहां दारु की पार्टीया हुआ करती है. तब मैने तत्कालिन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह को, उस जगह *"डा. आंबेडकर आंतरराष्ट्रिय कांस्टीटयूशन एंड लॉ अकादमी"* स्थापन करने के लिए, एक निवेदन दिया था. परंतु उस निवेदन की दखल नही ली गयी. बाद में प्रधानमंत्री *नरेंद्र मोदी सरकार* ने, वह वास्तु भी पुरी तरह ढहाने की, चर्चा सुनने में आयी है. कांग्रेस को आर्थिक मजबुती प्रदान करनेवाले, पुराने तत्कालिन कांग्रेस अध्यक्ष और मागास वर्ग के *सिताराम केसरी* को, कांग्रेस नेताओं ने, मिटिंग से उठाकर बेइज्जत किया हुआ था. कांग्रेस को उस का बुरा फल मिल ही गया. *"जो कोई मान्यवर, आप को बडा करता है, उन को बेइज्जत करने का बुरा फल, कभी तभी आप को भोगना होता है."* अब सभी दलों को यह सोचना होगा कि, *"भारत राष्ट्रवाद मंत्रालय एवं संचालनालय"* स्थापन करने के प्रति, क्या आप वचनबध्द है ? *"हिंदुस्तान "* का उल्लेख करना, यह जगण्य अपराध है. क्या यह बिल लाया जाएगा ? *" जन गन मन अधिनायक जय है, भारत भाग्य विधाता"* यह अंग्रेज राजा के गुणगान, यह राष्ट्रगाण क्या बदला जाएगा ? *"वंदे मातरम्"* यह गीत, भारत माता का गुणगान नही है. यह दुर्गा देवी के सुंदरता का, महिमा गीत है. क्या वह हटाया जाएगा ? भारत के आर्थिक बजेट में, बेकारी / गरीबी दुर कराने का लक्ष रखने का प्रयास होगा ? *खेती - उद्दोग - मंदिर, क्या इसका राष्ट्रीयकरण होगा ?* इन सारो प्रश्नों के जबाब मे....!!!
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* *डा. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* नागपुर १७
राष्ट्रीय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल (सी.आर.पी.सी.)
मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२
नागपुर, दिनांक ३० जुलै २०२३
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