Friday, 21 July 2023

 ✍️ *भारतीय राजनीति के इंडिया बनाम एनडीए एलायंस संघर्ष में भारत राष्ट्रवाद का क्या ...?* राहुल गांधी से लेकर नरेंद्र दामोधर मोदी तक *हिंदुस्तान (भारत नही) - अस्तित्वहिन देश* के इन नेताओं को, क्या भारत में रहने का अधिकार है ?

   *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर १७

राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल (सी.‌ आर.‌ पी.‌ सी.)

    मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२


    भारत की राजनीति के, अब हमे केवल *"दो अलायंस"* के ध्रृव नज़र आते है. एक है *कांग्रेस* (गांधीवादी) प्रणीत नया गठबंधन - *"इंडिया"* (इंडियन नैशनल डेव्हलोपमेंटल  इन्क्लुसिव्ह एलायंस)और दुसरा दल है, *भाजपा* (गोळवलकर सावरकर संघवादी) प्रणित (पुराना नाम) नैशनल डेमोक्रैटिक एलायंस - *"एन.डी.ए."* जिसका अब नया नामकरण, भाजपाई वरिष्ठ नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने *"न्यु इंडिया डेव्हलोप्ड नैशन एस्पिरेशन ऑफ पिपल ऑफ इंडिया"* किया है. तिसरा ध्रृव - *बसपा / रिपब्लिकन पार्टी* (आंबेडकरवादी) यह कहीं खो गयी है या कहें ना के बराबर है. *भाजपा - कांग्रेस* (गोलवलकर - गांधी = *गोगावाद* ) इनको, *"इंडिया अर्थात भारत"* इस नाम की गरज क्यौं पडी है..? यह अहं प्रश्न है. भारत के दो कोनों (नयी दिल्ली - बंगलोरू) कें *"फाईव्ह स्टार होटलों"* में १८ जुलै २०२३ को हुयी, दो राजकीय दलों की सभा में, एक दल ने *"इंडिया"* तो दुसरे दल ने *"न्यु इंडिया"* नाम का सहारा लेना ? उनकी यह राजनीतिक मजबुरी क्यौं बनी है ? यह भी प्रश्न है. जब कि, दोनो ही राजनीतिक दलों की, *"इंडिया - भारत"* के प्रति, कभी सच्ची निष्ठा कभी रही ही नही. वे राजनेता लोग केवल अवसरवादी है. दुसरे अर्थ में कहां जाएं तो, *"वेश्या"* है. यह मेरा विशेषण नही है. भारत के कांग्रेसी पितामह *मोहनदास गांधी* / संघवादी *के. सुदर्शन* / राजनीति के चाणक्य (?) *भर्तृहरी* आदी मान्यवरों का, *"भारतीय राजनीति को वेश्यालय"* यह कथन है.

      *"गुलाम भारत"* यह १५ अगस्त १९४७ को आजाद हुआ और २६ जनवरी १९५० को, प्रजासत्ताक हुआ. अर्थात *"संविधान संस्कृति"* की निव, उसी दिन रखी गयी थी. गुलाम भारत मे, *"गोरे अंग्रेजों"* का राज था. गोरे अंग्रेजों के राज में, कानुन और भ्रष्टाचार मुक्त शासन व्यवस्था थी. भारत के *"काले अंग्रेजों"* ने *"संविधान संस्कृति"* की आड में, *"संस्कृति संविधान"* को परोसना सुरु किया. *"संस्कृति संविधान"* द्वारा देववाद,  धर्मवाद, धर्मांधवाद को परोसा जाने लगा. *"न्याय व्यवस्था"* में बैठे कुछ ना-लायक *अ-न्यायधीशों* ने, *"रामजन्मभूमी"* समान निर्णय देकर, *"संविधान संस्कृति"* से परे होकर, *"संस्कृति संविधान"* की बुनियाद को, मजबुती देने का काम किया. और यह कुटनीति, भारत की सामान्य जनता समझ ही नही पायी. *"भारत के संविधान"* की धारा १ में, इस देश का नाम, *"India, that is Bharat, shall be Union of States"* अर्थात भारत यह *"संघ राज्य"* है. *"एकल राज्य"* नही है. भारत के सभी राज्य यह सार्वभौम है. वही भारत (इंडिया) को *"हिंदुस्तान"* (हिंदु + स्तान > हिंदु - हिनदु > हिन + दु > हिन = निच, दु = प्रजा > *हिंदुस्तान = निच लोगों का देश*) का नामकरण कर, भारत की तोहिम की जाने लगी. *चक्रवर्ती सम्राट अशोक* द्वारा *"अखंड विकास भारत"* (भारत, पाकिस्तान, तिब्बत, अफगानिस्तान, श्रीलंका, म्यानमार, बांगला देश यह सभी देश मिलकर) की निव रखी गयी थी.  उस *"अखंड विकास भारत"* को, *"खंड - खंड भारत"* बनाकर, *"गुलाम अविकसित भारत"* बनाने की बुनियाद बामनी सेनापति *पुष्यमित्र शृंग* द्वारा रची गयी. और आज *"हिंदुस्तान"* इस अंसविधानिक नाम का वापर, *राहुल गांधी से लेकर नरेंद्र मोदी* तक, देश के गद्दार - देशद्रोही नेता लोग कर रहे है. जो हमे उन्हे समझना होगा.

     भारत को प्रजासत्ताक होकर अब ७५ साल होने जा रहा है. भारत में विभिन्न दलों की कई सरकारें आयी और चले गयी. परंतु किसी भी भारत सरकार ने, *"भारत राष्ट्रवाद मंत्रालय एवं संचालनालय"* की ना तो स्थापना की है, ना ही बजेट में कोई प्रावधान भी. हमारी अपनी स्वयं पहचान *"भारतीय"* ना होकर, *"धर्म और जाती"* से होती है. भारत आजाद होने में, ७५ साल होने के बाद भी, हमारा अपना *"राष्ट्रगान"* हम नही बना पाए. *"जन गन मन अधिनायक जय हे, भारत भाग्य विधाता. ..."* हम ब्रिटिश (अंग्रेज) राजा की महिमा गाते जा रहे है. उसे ही हमारा भाग्यविधाता कहते जा रहे है. वही *"वंदे मातरम्"* भी, भारत माता का गीत नही है. वह गीत *"दुर्गा देवी"* के सुंदरता का महिमा प्रदर्शीत करता है. *क्या हमारी न्याय व्यवस्था ने, स्वयं होकर इसका संज्ञान लिया हुआ है...?* यह भी प्रश्न है. *जब , सर्वोच्च न्यायालय यह भारत का "वॉच डॉग" है.*

      अब हम कांग्रेस (गांधी) - भाजपा (गोळवलकर) अर्थात *"गोगावादी"* दलों द्वारा *"इंडिया - एन.डी.ए."* इस नाम के अर्थ पर चर्चा करेंगे. *"इंडिया"* यह शब्द कांग्रेस प्रणित गठबंधन नाम के अर्थ में, *"इंडियन, नैशनल, डेव्हलोपमेंटल* का जिक्र आया है. वही भाजपा (गोलवलकर) द्वारा *"एन.डी.ए."* में, *"न्यु इंडिया, डेव्हलोप्ड नैशन, एस्पिरेशन ऑफ पिपल"* इन शब्दों का जिक्र है. क्या कांग्रेस प्रणित *"इंडिया"* गठबंधन अपने घोषणापत्र में, *"भारत राष्ट्रवाद मंत्रालय एवं संचालनालय"* स्थापन करने के प्रति वचनबद्ध है. राहुल गांधी से लेकर तमाम गठबंधन नेता, *"हिंदुस्तान"* इस असंवैधानिक शब्द को संसद में, *"बंदी लाने का बिल"* पेश करेगी ? यह प्रश्न है. वही भाजपा ने *"एन.डी.ए."* इस गठबंधन के नये नामकरण में, *"न्यु इंडिया, डेव्हलोप्ड नैशन, एस्पिरेशन ऑफ पिपल"* की ओर जा रही है. क्या न्यु इंडिया यह *"पुंजीवादी व्यवस्था"* का प्रतिक है ? *"डेव्हलप नैशन"* यह केवल चक्रवर्ती सम्राट अशोक काल में था. अब भारत *"नैशन अर्थात राष्ट्र"* है ही नही. *"जहां स्वातंत्र, समता, बंधुता, मैत्री हो"* वही राष्ट्र है. क्या भारत में यह विद्दमान है ? भारत आज केवल *"देश (कंट्री)"* है. यह हमे समझना होगा. *"एस्पिरेशन ऑफ पिपल"* यह दुर दुर तक नज़र नही आता. क्या भाजपा भी, *"भारत राष्ट्रवाद मंत्रालय एवं संचालनालय"* स्थापन करने के प्रति वचनबद्ध है ? यह बहुत सारे प्रश्न, दोनो भी *"गोगावादी"* दलों के सामने, अब खडे है.

      अभी अभी *"मणिपुर"* इस उत्तर पुर्व राज्य के, *"दो महिलाओं को नग्न कराके धिंड"* निकालने की चर्चा समस्त भारत भर और विदेशों में चर्चीत है. यही नही, *भारत के विभिन्न राज्यों में* भी, इस तरह की बर्बर घटना होना, यह आम बात है. *मुझे स्वयं को, दो बार मणिपुर जाने का सु-अवसर मिला है.* अत: मणिपुर प्रदेश को नजिक से मैने देखा है, समझा है. आज वह राज्य दो माह से जल रहा है. हमारे *प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी* फिर भी पुरे खामोश है. एक पत्रकार *सौमित्र राय* की मणिपुर संदर्भ की, एक पोस्ट मैने पढी है. उसने उस पोस्ट में लिखा है कि, मणिपुर के *कुकी समुह* (आदिवासी) यह पहाडों पर रहता है. और उस पहाडों में, *जी.एस.आय. के ताजा सर्वेक्षण के अनुसार, मुल्यवान खनिज के (निकेल, तांबा, प्लैटिनम)* होने से, मणिपुर के ८० % पहाडों को, *नरेंद्र मोदी सरकार* ने, *"उद्दोग समुहों"* को बेचा हुआ है. अत: उन्हे पहाडों से, *कुकु / नागा* को भगाने के लिए, षडयंत्र रचा गया है. और दिल्ली के एक लड़की की लाश को, पालीथिन मे लपेटकर, वो *"मैत्रेय समुह"* (हिंदु) होने की झुटी कहानी बताने की व्हिडिओ, प्रसारीत करने के कारण ही, *"कुकी समुह"* (आदिवासी) के दो महिलाओं को, नग्न करने की घटना हुयी है, ऐसा कहा गया है. और *मैत्रेय* (हिंदु) को आदिवासी का दर्जा देकर, *"कुकी / नागा"* (आदिवासी) विवाद खडा कराने का, षडयंत्र भी रचा गया है. और यही कारण है कि, *नरेंद्र मोदी* द्वारा मणिपुर प्रकरण पर, खामोशी बरती है. ऐसा कहा जाता हैं. इसकी सच्चाई को जानने ने के लिए, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक *"उच्च स्तरीय समिती"* का गठण कर, सच्चाई को उजर करना बहुत जरुरी है. अगर भारत में, *"भारत राष्ट्रवाद"* को नज़र अंदाज कराकर, विभिन्न समुदायों के बिच, इस प्रकार झगडे लगाये जाते हो तो, *"पुंजीवादी व्यवस्था"* को बढावा देकर,*"प्रजातंत्र"* (डेमोक्रेसी) को खत्म किया जाता हो तो, भारत का भविष्य क्या होगा ? यह क्या बताना होगा.


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* *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* नागपुर १७

       (भारत राष्ट्रवाद समर्थक)

राष्ट्रीय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल ( सी.आर.पी.सी.)

मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२

नागपुर, दिनांक २२ जुलै २०२३

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