😂 *फिल्मी नाचा गगन मलिक (राम) से लेकर दिपिका चिखलीया (रामायण की सीता) का बौध्द धर्म स्वीकार ???*
*डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* नागपुर १७
राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल (सी. आर. पी. सी.)
प्रमुख आयोजक, जागतिक बौध्द परिषद / जागतिक बौध्द महिला परिषद २०१५
मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२
फिल्मी हिरो कहे या फिल्मी नाचा *गगन मलिक* को हम ने बडा करना, आज *बौध्द समाज* को, उसकी बडी किंमत चुकानी पड रही है. क्यौं कि, आज उसी श्रेणी में, अब *"रामायण धारावाहिक की सीता"* का रोल करनेवाली अभिनेत्री *दिपिका चिखलीया* भी, *"बौध्द धर्म"* स्वीकार का, उसको बडी अहमत देकर, उनके *"प्रसार - प्रचार का फंडा,"* भविष्य में बडा घातक होनेवाला है. इस संदर्भ के *सन २०१५ के इतिहास* पर, हमे बहुत ही विचारशील चिंतन करना, हमे बहुत जरुरी है. क्यौं कि, *"कभी कभी तो गलत लोगों को समझने में, अपने से हो गयी एक बडी गलती भी, समाज हो या व्यक्ति को, भविष्य में, बहुत बडी किंमत चुकानी पडती है."* रिस्तों - संबंधो का आम उदाहरण भी, इससे परे नहीं होता / है.
सन २०१५ यह वर्ष नागपुर के इतिहास में, *"बौध्द धर्म"* का एक यादगार क्षण था. नागपुर में, *मेरी (डॉ. मिलिन्द जीवने)* ही संकल्पना में, *"जागतिक बौध्दमय परिषद २०१५ तथा जागतिक बौध्द महिला परिषद २०१५"* का आयोजन, "दि बुध्दीस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया / अश्वघोष बुध्दीस्ट फाऊंडेशन / जीवक वेलफेयर सोसायटी" द्वारा संयुक्त रूप तत्वधान में - *"वसंतराव देशपांडे सभागृह,"* सिव्हिल लाईन्स में वह लिया गया था. उस समारोह में,*श्रीलंका देश* के महामहिम राष्ट्रपती *मैत्रीपाला सिरीसेना* तथा थायलंड की राजकुमारी *मॉम ल्युआंग राजादरसारी जयंकुरा* तथा विभिन्न देशों के मान्यवरों नें, उपस्थित होने की स्वीकृती भी भेजी थी. और उनकी उपस्थिति भी रही. परंतु भारत सरकार ने, श्रीलंका के राष्ट्रपति को, सुरक्षा देने से असमर्थता देने के कारण, श्रीलंका के राष्ट्रपति का, नागपुर कार्यक्रम घोषित होने के बाद भी, उनका कार्यक्रम ऐन वक्त पर, वह रद्द हो गया. तथा श्रीलंका से *"बुध्द की अस्थिया"* लाने का, अलग एक कार्यक्रम रखा गया था. और *"बेझनबाग मैदान"* में, बौध्द समुदायों के दर्शन के लिए, वह पावन *"बुध्द अस्थियां"* रखी गयी थी. महाराष्ट्र के तत्कालिन सामाजिक न्याय मंत्री आयु. *राजकुमार बडोले* से लेकर *सांसद - रामदास आठवले / माजी मंत्री - एड. सुलेखा कुंभारे / विधायक - डॉ. मिलिन्द माने / चंद्रबोधी पाटील / डॉ. मिलिन्द जीवने / शंकरराव ढेंगरे* आदी मान्यवर एयरपोर्ट पर *"बुध्द अस्थियों"* के स्वागत के लिए, विशेष रूप से उपस्थित भी थे. एयर पोर्ट से लेकर बेझनबाग तक, बहुत बडी रैली भी निकाली गयी थी. इतना ही नहीं, केंद्रीय मंत्री, भारत सरकार - *नितिन गडकरी* जी ने भी एयरपोर्ट पर आकर, बुध्द अस्थियों का दर्शन लिया. उस समय फिल्मी नायक *गगन मलिक* भी हमारे साथ ही था. उसके पहले *गगन मलिक* की, फिल्मी नायक के रूप मे, कोई विशेष पहचान भी नही थी.
*जागतिक बौध्द परिषद २०१५* तथा *जागतिक बौध्द महिला परिषद २०१५* के सफल आयोजन करने हेतु, हर सप्ताह में मिटिंग्ज *मेरे (डॉ. जीवने)* ही ऑफिस मे, हुआ करती थी. और उस बौध्द आंतरराष्ट्रीय परिषद के विषय तथा वक्ता चुनाव का पुरा प्लँनिंग मैने ही तैयार किया. और *चंद्रबोधी पाटील / शंकरराव ढेंगरे* और मै स्वयं भी बैठकर, उसको मुर्त रूप देने हमारी चर्चा होती रहती थी. तब *नितिन गजभीये* - इस के संदर्भ में, मैने *चंद्रबोधी पाटील* को कहा था कि, *नितिन गजभिये* यह व्यक्ति अपने साथ धार्मिक कामों के लिए, बिलकुल ही उपयुक्त नही है. वो बडा धोकेबाज / कमिना व्यक्ति है. इसके पहले भी, *नितिन गजभीये* ये मेरे पास आया करता था. परंतु मैने उसे कभी भी, अपने साथ नही जोडा था. परंतु *चंद्रबोधी पाटील* ने, उसे दुर करने से मना किया था. और दुसरे अर्थ में कहा जाए तों, *"नितिन गजभिये का सही गुरु, चंद्रबोधी पाटील ही है."* परंतु नितिन गजभिये ने अपना वह कमिनापण, चंद्रबोधी पाटील को बता ही दिया. *"जो व्यक्ति कभी गुरु का, वफादार नही होता. वह व्यक्ति किसी भी अन्य का, क्या वफादार होगा ?"* फिल्मी नायक *गगन मलिक* भी, हमारे इस मिशन में, हमारे साथ ही था. *उसका भी चंद्रबोधी पाटील ही गुरु है,* यह कहे तो अतिशयोक्ति नही होगी. फिल्मी नामक - *गगन मलिक* पहली बार, *एयरपोर्ट से लेकर रवी भवन तक,* मेरे ही कार में, हम साथ साथ रहे थे. फिल्मी नायक - *गगन मलिक* मेरे भी घर आया था. जहां हमारे स्त्री कार्यकर्ताओं ने, मेरे घर *गगन मलिक* का, बहुत बडा स्वागत किया था. परंतु जब उसकी दोस्ती *नितिन गजभिये* से बढती हुयी देखीं, और *गगन मलिक - नितिन गजभिये* ने अवैध रूप से *"बुध्द मुर्तीयों की अवैध तस्करी"* शुरु की. तब हमने उससे सारे संबंध तोड डाले. और *चंद्रबोधी पाटील* और मै (डॉ. जीवने) भी तब से, हम दोनो अलग अलग हो गये.
फिल्मी नायक *गगन मलिक* यह उतना नामांकित हिरो भी नही था. फिल्मी नायिका *दिपिका चिखलीया* समेत कुछ नायिकों के साथ, विभिन्न कार्यक्रमों में, *"कभी राम - कभी कृष्ण"* पात्र किया करता था. *"लाईट ऑफ एशिया फाऊंडेशन, श्रीलंका"* के चेयरमन *नविन गुणरत्ने* द्वारा निर्मीत फिल्म *"सिरी सिध्दार्थ गौतमा"* इस फिल्म में, *गौतम बुध्द* का रोल करने के कारण, और नागपुर में उस फिल्म का प्रिमियर शो रखा गया. तब हम सभी ने, *गगन मलिक* को बहुत मदत की. *नविन गुणरत्ने* भी नागपुर आये थे. हम दो - तिन दिन साथ साथ रहे थे. तथा देश - विदेश के मान्यवर भी हमारे साथ थे. इस मौके का फायदा लेकर, *गगन मलिक* ने बौध्द बनने की बात कही. और थायलंड जाकर, बौध्द धम्म की दीक्षा लेने की, उसने जाहिर घोषणा कर दी. *रामायण* सिरियल में, *सीता* का किरदार निभानेवाली *दिपिका चिखलीया* भी, हिंदु धर्म के कुछ कार्यक्रमों में, *गगन मलिक* (राम) और *दिपिका चिखलीया* (सीता) का किरदार करते रहे हैं. अब *दिपिका चिखलीया* के *"बौध्द धर्म"* स्वीकार का *"प्रसार - प्रचार का फंडा"* मिडिया मेें, बहुत जोर शोर से उछाला जा रहा है.*गगन मलिक - दिपिका चिखलीया* के बौध्द धर्म स्वीकार से, *"क्या भारत बौध्दमय हुआ है ?"* यह बडा प्रश्न है. हमने *गगन मलिक* को हिरो बनाने से, *विदेशों से अवैध बुध्द मुर्ती तस्करी* हो रही है. कल *दिपिका चिखलीया* क्या और गुल खिलायेंगी, पता नहीं...! अत: हमे इस तरह के प्रचार फंडे से बचना होगा.
फिल्म इंडस्ट्री में, ऐसे बहुत से फिल्म निर्माता - निर्देशक - अभिनेता - अभिनेत्री - गायक - गायिका है, जो बुध्द धर्म को अपना रहे है. उन लोगों के सामने *गगन मलिक - दिपिका चिखलीया* बहुत ही छोटे नाम है. अत: इन बहुरुपीयों से बचे रहे. मै कुछ नाम बताना चाहुंगा. *बरखा मदान* इस फिल्म अभिनेत्री - निर्माती के बारे में, कितने लोक जानते है, यह मुझे पता नही. वो तो "मिस इंडिया" में फायनालीस्ट भी रही. ऐश्वर्या राय - सुष्मिता इन हीरोइन के टक्कर मे भी रही. अक्षयकुमार के साथ काम किया है. पंजाबी, हिंदी फिल्म के अलावा विदेशों के फिल्म में भी काम किया है. उसे कई फिल्म के लिए बुलावा भी था. परंतु राम गोपाल वर्मा इनकी हारर मुव्ही में, "भुत" का रोल करने के बाद, उसके जीवन ने नया मोड ले लिया. और सन २०१२ में *बरखा मदान - बुध्द भिक्खुणी* बन गयी. राज कपुर की - "राम तेरी गंगा मैली" इस बहु चर्चीत फिल्म की अभिनेत्री *मंदाकिनी* ने, पहले बौध्द भिक्खु रहे डॉ. काग्युर टी रिनपोचे से शादी करने के पश्चात, बुध्द धर्म अपना लिया. उसने ४० से अधिक फिल्मों में अभिनय किया. आज वो मुंबई में, तिब्बती हर्बर सेंटर चलाती है. तिब्बती योगा भी सिखाती है.
व्हिएतनाम की *गुयेन थी थान* इसने उम्र के १४ साल में, मन शांती के लिए घर छोडा. आगे जाकर, उसने दिल्ली विद्यापीठ से पी. एच. डी. डिग्री प्राप्त की. और गुयेन जब - *"बुध्द भिक्खुणी"* बनी तो, उसकी मां और बहन तिन महिनो तक रोते रहे. पुराने फिल्म के अभिनेता - खलनायक *डैनी डेंग्जोगपा* / जाने माने फिल्म अभिनेता *तुषार कपुर* / टीवी अभिनेत्री - लेखिका - निर्माती *टिस्का चोपडा* / टीवी के अभिनेता *विनय जैन* / टीवी अभिनेत्री *पुनम जोशी* / जाने माने फिल्म अभिनेता - गायक - लेखक - निर्माता *आयुष्मान खुराणा* / मराठी अभिनेता - हास्य कलाकार *सिध्दार्थ जाधव* / फिल्म अभिनेत्री - माडेल - डैंसर *श्वेता केश्वानी* / मराठी फिल्म गायक *आदर्श शिंदे* / फिल्म अभिनेत्री - माडेल *श्वेता कवात्रा* और उसके पती अभिनेता *मानव गोहिल* / हिंदी तेलगु फिल्म की अभिनेत्री *हंसिका मोटवाणी* / फिल्म अभिनेत्री - माडेल - गायिका *श्रध्दा दास* / मराठी फिल्म के अभिनेता *भाऊ कदम* / फिल्म अभिनेता कमल हासन की पुत्री - फिल्म की अभिनेत्री *अक्षरा हासन* / फिल्म अभिनेता - गायक - एंकर *अभिजित सावंत* / विदर्भ की गायिका *वैशाली माडे* / आंबेडकरी कवि विठ्ठल उमप के बडे सुपुत्र, गायक *नंदेश उमप* / नामांकित लावणी नृत्यांगणा *सुरेखा पुणेकर* / मराठी के हास्य अभिनेता *पैडी कांबले* / मराठी भाषी लोक गायिका *कडुबाई खरात* / फिल्म अभिनेत्री *उषा जाधव* / त्रिपुरा राज्य के राजनेता और चकमा गायक *संभुलाल चकमा* / फिल्म अभिनेत्री - नृत्यांगणा *मेघा घाडगे* / फिल्म अभिनेता - गायक *मेयांग चांग* / मराठी गायिका - लेखिका *शीतल साठे* / टीवी फिल्म अभिनेत्री *शिवाणी गोसाई* / टीवी अभिनेता *नकुल मेहता* / तेलगु - तामिल - कन्नड भाषा अभिनेत्री और माडेल *पुनम बाजवा* / टीवी अभिनेता *रवी दुबे* / टीवी की अभिनेत्री *रतन राजपुत* / पार्श्व गायक *अभिजित कोसंबी* / फिल्म की अभिनेत्री *देवीका पंजाबी* / सैराट फिल्म के निर्माता *नागराज मंजुळे* / फिल्म पटकथा लेखिक - निर्देशक - निर्माती *अलंकृता श्रीवास्तव* / फिल्म डिझाईनर *मालविका राज* / फिल्म निर्माता - निर्देशक *पी. रंजीत* / महान ऐसे संगितकार स्मृतिशेष - *प्रभाकर धाकडे* और फिल्म संगितकार स्मृतिशेष *राम लक्ष्मण* / आंबेडकरी गायक *प्रल्हाद शिंदे / प्रकाश पाटणकर / अनिरुध्द शेवाळे* और बहुत सारे अगिणत बडे नाम है, जो यहां शब्द की मर्यादा के कारणवश, लिखना संभव नही है. यह सभी मान्यवर *बुध्द* के फालोवर ही है. *प्रकाश पाटणकर / अनिरुध्द शेवाळे* तो, मेरे बहुत करीबी मित्र है. वैसे फिल्म नायक *गगन मलिक* भी मित्र ही है.
जब हम *गगन मलिक और दिपिका चिखलीया* का उदो - उदो करतेे है, तब हमे यह देखना होगा कि, *"इन दो महाशयों ने, धम्म के योगदान में, क्या क्या तीर मारे है ?"* मैने उपरी पैरा में, फिल्म इंडस्ट्री के कुछ लोगों के नाम - काम गिनाये है. अब १९ वे शती के, कुछ नामचिन मान्यवरों के नाम - योगदान को भी बताना चाहुंगा. *प्रा. धर्मानंद कोसंबी* (९ अक्तूबर १८७६ - ४ जुुन १९४७) नामचीन गणितज्ञ रहे है तथा बौध्द धर्म पर इनका लिखाण बहुमुल्य ठेवा है. गोवा से बडोदा और सेवाग्राम आश्रम में, उनका निर्वाण हुआ. *राहुल सांस्कृत्यायन* (९ अप्रेल १८९३ - १४ अप्रेल १९६३) इनका भी बौध्द धर्म पर लिखाण रहा है. *डॉ. भदंत आनंद कौशल्यायन* (५ जनवरी १९०५ - २२ जुन १९८८) पंजाब प्रांत से नागपुर के दीक्षाभूमी - बुध्दभुमी तक इनका प्रवास रहा है. वे चलता फिरता बौध्द विद्यापीठ ही थे. उन्होंने दि बुध्दा एंड हिज धम्मा का, हिंदी मे अनुवाद किया. तथा बहुत से किताबों का भी लेखण किया है. मेरी उनसे कई बार भेंट होती थी. उनके अंतसंस्कार के समय, बुध्द भुमी पर हम उपस्थित थे. *जगदीश कश्यप* (२ मई १९०८ - २८ जनवरी १९७६) इन्होने भी बुध्द धम्म पर लिखाण किया है. इनका विशेष परिचय यह कि, वे बौध्द भिक्खु रहे. *प्रा. पी लक्ष्मी नरसु* (१८६१ - १४ जुलै १९३४) यह भौतिकशास्त्र के प्राध्यापक थे. इन्होने भी बौध्द धम्म पर पुस्तकें लिखी है. इन मान्यवरों का योगदान कभी भुलाया नही जा सकता.
फिल्मी नाचा – गगन मलिक / दिपिका चिखलीया इनके संदर्भ में लिखने से, गगन के साथ *बुध्द मुर्ती तस्करी मे दलाल,* मुझे भी सवाल पुछ सकते है कि, *"मेरा भी धम्म के लिए, क्या योगदान है ?"* मेरे द्वारा किये गये धम्म कामों पर, कुछ बताने की जरुरी भी नही. फिर भी अल्प कामों का विवरण मै देता हुं. *बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर* साहेब ने, १४ अक्तूबर १९५६ मे *"बौध्द धम्म दीक्षा समारोह"* का आयोजन किया था. बाद में, वह धम्म दीक्षा चक्र रुक सा गया था. तब हमारी युवा टीम ने, पीडीएम के माध्यम से सन १९८२ में, *"धम्म दीक्षा समारोह"* का आयोजन किया था. उस हमारे कार्यक्रम में, संस्कृत विद्वत *प्रा. डॉ. रुपा कुलकर्णी* / ओबीसी विद्वत *प्रा. प्रभाकर पावडे* / नयी दिल्ली नामचीन साहित्यिक *मोहनदास नैमिशराय* आदीयों ने, बौध्द धम्म की दीक्षा ली थी. नामचीन मराठी कवि *सुरेश भट* ने भी, फिर *भदंत आर्य नागार्जुन सुरेई ससाई* के हाथों, बौध्द धर्म की दीक्षा ली. बंगलोर के नामचीन ओबीसी नेता / दलित व्हाईस के संपादक *व्ही. टी. राजशेखर* तथा बिहार के आय जी *मैकुराम* साहेब ने भी, बौध्द धर्म की दीक्षा ली. इस धम्म दीक्षा कार्यक्रमों के लिए, मेरा बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात में प्रवास रहा है. उस कार्यक्रम के फोटो, मेरे अलबम में सुरक्षीत है. बाद में, वो धम्म दीक्षा कार्यक्रम का आयोजन, *भंदंत आर्य नागार्जुन सुरेई ससाई* जी ने, अपने हाथो में लिया है.
सन २००१ के दरम्यान, विदेश से छ: फीट की *"५६ बुध्द मुर्तीयां,"* पहली बार हमने लायी थी. और हमने किसी भी प्रकार की, राशी ना लेते हुयें, केवल ट्रक से लाने का खर्च, उन्हें वहन कराने को कहकर, बुध्द मुर्तीयों का वितरण किया था. बाद में, कुछ मतभेदों के कारण, बुध्द मुर्तीया लाना बंद किया गया. *तायवान* इस देश से आनेवाले *"धम्म पुस्तकों का वितरण,"* मैने किसी भी प्रकार का मोबदला ना लेकर, मैने उन धम्म पुस्तकों का वितरण किया है. *"जागतिक बौध्द परिषद २००६ - २०१३ - २०१४ - २०१५"* तथा *"जागतिक बौध्द महिला परिषद २०१५"* एवं *"अखिल भारतीय आंबेडकरी विचार परिषद २०१७ - २०१९ / अखिल भारतीय आंबेडकरी विचार महिला परिषद २०२०"* का सफल आयोजन, हमने किया है. *"विश्व शांती रैली २००७ - २०१८ - २०१९"* का भी सफल आयोजन किया है. कामों की यादी और भी बहुत लंबी है. खैर छोड़ो.
हमारे इस धम्म मिशन में, राष्ट्रिय तथा आंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्यरत, बहुत से ही मान्यवरों को मिलने का मुझे अवसर मिला. उन कुछ मान्यवरों के नाम है - जागतिक स्तर के नामचीन व्हिएतनाम के *थिक नाट हैन* इनका नागपुर आना, हमे आज भी एक अलग अनुभुती देता है. भारत के तत्कालिन प्रधानमंत्री *डॉ. मनमोहन सिंग* जी उनसे मिलना चाहते थे. परंतु नागपुर दौरा होने से, उन्होंने भेंट करने में असमर्थता जताई थी. कोरिया की शक्तीशाली मान्यवर *मदर पार्क चुंग सु* नागपुर में, दो दिन हमारे साथ थी. अमेरिका के पिरेमीड विपश्यना मान्यवर परम पावन *बुध्द मैत्रेय*/महाबोधी सोसायटी श्रीलंका के *भदंत सोमरतन महाथेरो / बनागल उपतिस्स नायका महाथेरो*/परम पावन *दलाई लामा* जी / १७ वे परम पावन *कर्माप्पा लामा थाये दोरजे* जी / तिब्बती संप्रदाय के *परम पावन ड्रायकंग कैबगान चेटसंग*/महाबोधी सोसायटी लद्दाख के मा. *भदंत संघसेन* / नागपुर में रहनेवाले *भदंत आर्य नागार्जुन सुरेई ससाई* आदी बहुत से मान्यवरों के साथ रहने का, मुझे अवसर मिला. तथा मेरी संस्था *"जीवक वेलफेयर सोसाइटी नागपुर / अश्वघोष बुध्दीस्ट फाऊंडेशन"* द्वारा उन सभी महानुभावों को, *"शाक्यमुनी बुध्दा आंतरराष्ट्रीय पुरस्कार / डॉ. आंबेडकर आंतरराष्ट्रीय पुरस्कार"* से, उन्हे सन्मानीत करने में, मुझे गौरव मिला है. *आदमी को और क्या चाहिएं ?* उन सभी महानुभावों के सानिध्य का, बहुत बडा मोल है. वे महानुभाव *"अनमोल धरोहर रत्न"* है. और भी बहुतसी योजनाओं को पुरा करना है. *प्रकृती साथ दे* और कोई भी *कठिनाई / समस्याएं* ना रही तो, उन योजनाओं कों मै पुरा करु, इस आशाओं के साथ ही ...! जय भीम...!! नमो बुद्धाय ...!!!
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* *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* नागपुर १७
नागपुर, दिनांक २९ मई २०२३
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