🇮🇳 *सेंट्रल व्हिस्टा प्रकल्प अंतर्गत नविन संसद का लोकार्पण तथा ऐतिहासिक सेंगोल (राजदंड) की स्थापना : सवाल है - सम्राट अशोक की चार दिशा की ओर शेर राजमुद्रा का क्या ???*
*डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* नागपुर १७
राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल (सी. आर. पी. सी.)
मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२
दिनांक २८ मई २०२३. *स्वातंत्रवीर (?) या माफीवीर (एक संशोधनात्मक प्रश्न) विनायक सावरकर* का जन्मदिन. सेंट्रल व्हिस्टा प्रकल्प अतंर्गत स्थापित - *"नविन संसद भवन"* का लोकार्पण समारोह का आयोजन, प्रधानमंत्री *नरेंद्र मोदी* (प्रोटोकाल अनुसार भारत के *तिसरे स्थान* के नागरिक है) इनके हाथों होने की, विवादित घोषणा हुयी है. भारत की प्रथम नागरिक, महामहिम राष्ट्रपती *द्रोपदी मुर्मु* इनको उस कार्यक्रम का निमंत्रण भी नही है. अर्थात उनके हाथों, यह लोकार्पण नही है. महत्वपुर्ण विषय यह कि, *राष्ट्रपती अभि-भाषण* से ही संसद का सत्र प्रारंभ होता है. *महामहिम उपराष्ट्रपती* राज्यसभा के *पदसिध्द सभापती* होते है. और *संसद में लोकसभा और राज्यसभा इन दोनो का ही अंतर्भाव है.* फिर अकेले लोकसभा अध्यक्ष ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निमंत्रण कैसे दे सकते है...? वही *सन १९४७* का गुलाम (ब्रिटिश सत्ता) भारत में, सत्ता हस्तांतरण करने का प्रयोग *"सेंगोल (राजदंड)"* संदर्भ, *"आजाद - गणराज्य भारत"* में, कैसे लागु हो सकता है ? क्यौं कि, गणराज्य भारत ने, *चक्रवर्ती सम्राट अशोक* के चारो दिशाओं की ओर दहाड लगानेवाला शेर को, *"भारत की राजमुद्रा"* के तौर पर, अधिकृत मान्यता दी गयी है. और सन १९४७ को, तामिलनाडु से लाया गया *"सेंगोल (राजदंड)"* को, प्रयागराज (अलाहाबाद) संग्रहालय में, सुरक्षीत रखा गया. अर्थात उस *"सेंगोल (राजदंड)"* को, लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास रखना, यह *"भारत की राजमुद्रा"* का भी अपमान है. अर्थात *"भारत के महामहिम राष्ट्रपती"* को नियंत्रीत ना करना / स्वीकृत *"भारत की राजमुद्रा"* का प्रयोग ना करना / और नविन संसद भवन का उदघाटन, यह *"राष्ट्रिय दिन - १५ अगस्त (स्वतंत्र दिन) २६ जनवरी (गणराज्य दिन) - २६ नवंबर (संविधान दिन)"* पर ना करते हुये, अन्य दिन पर, यह आयोजन करने के कारण, *"मा. सर्वोच्च न्यायालय"* में याचिका दायर कर, स्थगिती लेना अनिवार्य है. वही सर्वोच्च न्यायालय ने भी, स्वयं होकर सत्ता के इस *मनमानी* पर, दखल लेना जरुरी है.
*ब्रिटिश (गुलाम) भारत"* का *"आजाद भारत"* तत्पश्चात *"गणराज्य भारत"* होने के समय में, तत्कालिन मान्यवर सभासदों द्वारा *"भारत की राजधानी - नयी दिल्ली"* के अलावा, भारत की और *दुसरी राजधानी*- *"हैदराबाद / नागपुर"* कराने के संदर्भ में भी, उन्होंने विचार किया था. परंतु बहुत कुछ कारण भी रहे कि, *"भारत की दुसरी राजधानी"* नही बन सकी. *परंतु आज नयी दिल्ली बिलकुल सुरक्षीत नही है.* दिल्ली को लगकर - उत्तर प्रदेश, हरियाना, पंजाब, मध्यप्रदेश इन करिबी राज्यों की सीमा होने से, *अतिरेकी हमला* होने के बाद, अतिरेकी को भागने के रास्ते भी है. उपर से पर्यावरण के दृष्टी से भी, *नयी दिल्ली यह प्रदुषित शहर है.* अत: उपरोक्त दृष्टिकोण से, भारत की दुसरी राजधानी *"हैदराबाद / नागपुर"* करना बहुत जरुरी है. और नागपुर तो सभी कारणों सें, सबसे सुरक्षीत ऐसा शहर भी है. वह भारत का मध्यबिंदु है. परंतु भविष्य का कोई विचार ना करते हुये, सेंट्रल व्हिस्टा इस प्रकल्प पर, *"एक हजार दो सौ करोड"* का खर्च किया गया. और कोरोना काल में १० दिसंबर २०२० को, इसका पाया रचा गया..! और १५ जनवरी २०२१ को, इस वास्तु के बांधकाम की शुरूवात भी...! *नविन संसद भवन का क्षेत्रफल, यह ६४ हजार ५०० चौरस मिटर है.* और संयुक्त अधिवेशन में, १२७२ सदस्यों को बैठने की भी व्यवस्था है. तथा *लोकसभा - राज्यसभा - राज्यघटना* सभागृह के अलावा - मंत्रीगणों के कार्यालय, इतर विभागों के कार्यालयो का निर्माण भी किया गया है. एवं उस नविन संसद भवन का आकार, यह *त्रिकोणाकृती* बना है. और पुराने संसद भवन यह *गोलाकार* है. शायद भविष्य में, *नविन संसद भवन* संदर्भ में, कुछ अन्य घटना हुयी तो, संसद के त्रिकोणी आकार पर बडे आरोप भी हो सकते है कि, *"तिन तिगाडा और काम बिगाडा."* क्यौं कि, हिंदु धर्म में *"तिन"* आकडा अशुभ माना जाता है. और *बौध्द धर्म में शुभ...!* जैसे - बुध्द, धम्म, संघ / प्रज्ञा, शील, करुणा.
भारत के १९ विरोधी दलों ने, *"नविन संसद भवन का उदघाटन - महामहिम राष्ट्रपती द्रौपदी मुर्मु इनको हाथों ना होने के कारण, सदर समारोह पर बहिष्कार डाला है."* वही बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती, ओरीसा के मुख्यमंत्री - नविन पटनायक, तेलंगाना राज्य के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, तथा आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री इन्होने *"नरेंद्र मोदी के डर से,"* विरोधी दलों के साथ जानें में, अपनी भुमिका स्पष्ट नही की है. क्यौं कि,उन्हे *"इंकम टैक्स / इ.डी."* के छापा होने का डर भी सता रहा है. अवैध संपत्ति का होना ही, यह नेताओं के डर का मुख्य कारण दिखाई देता है. *अत: आवाम को समझना होगा कि, नेताओं का चरित्र क्या होता है ?* हमारे भारतीय संविधान के, *अनुच्छेद ७९* में स्पष्ट लिखा गया है कि, *"Constitution of Parliament - There shall be a parliament for the Union which shall consist of the President and two Houses to be known respectively as the Council of States and House of the People."* और राज्यसभा - लोकसभा में, प्रधानमंत्री यह कोई प्रमुख नही होता. तो फिर, भारत के तमाम विरोधी दल *"सर्वोच्च न्यायालय"* में, उपरोक्त विषय संदर्भ में ही, *"याचिका"* दायर क्यौं नही कर रहे है...? या *सर्वोच्च न्यायालय* यह अपनी *जवाबदेही* क्यौं नही समझ पा रही है ???
भारत की महामहिम राष्ट्रपती *द्रौपदी मुर्मु* यह आदिवासी वर्ग, अर्थात निम्न जाती की होने के कारण, उनके हाथों *"नविन संसद भवन का लोकार्पण"* नही किया जा रहा है. यही प्रमुख कारण यहां दिखाई दे रहा है. सवाल *राष्ट्रपती द्रौपदी मुर्मु* का भी है कि, *"वो खामोश क्यौं बैठी है ?"* वो तो सर्वोच्च पद पर बैठी है. उसे भी तो अपना अधिकार जताना चाहिये. *और सर्वोच्च न्यायालय को सुचित करना चाहिये.* और द्रौपदी मुर्मु यह आदिवासी होने के कारण ही, कोई भी विरोधी दल, आज मा. सर्वोच्च न्यायालय में, *कोई याचिका दायर नही कर रहा है.* नही तो, वो उठ - सुठ होकर, सर्वोच्च न्यायालय में, याचिका दायर करते है. अत: विरोधी दल भी, इस माध्यम सें केवल वोटों की राजनीति कर रहा है. अत: तमाम *अनुसुचित जाती / जमाती / ओबीसी समुह* ने, अभी तो भी, यह अंदर की राजनीति समझनी होगी. और अपना *"सच्चा राजकिय दल,"* कौनसा है ? यह भी एक बडी सिख है.
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* *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* नागपुर १७
राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल (सी. आर. पी. सी.)
नागपुर, दिनांक २६ मई २०२३
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