➿ *डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर इस देश में जाती संघर्ष - धर्म संघर्ष टालना चाहते थे...!* - सीआरपीसी के कार्यक्रम में बोल रहे थे.
* *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल
"डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर इस देश में, जाती संघर्ष - धर्म संघर्ष टालना चाहते थे. समता मुलक समाज का निर्माण उनका उद्देश था. बाबासाहेब की "बौध्दमय भारत" यह संकल्पना उसी विचारों का परिपाक है. आज भारत पर सामाजिक गुलामी, धार्मिक गुलामी, आर्थिक गुलामी लादी जा रही है. संविधान को भारत से हटाना संभव ना होने के कारण, संविधान का डायलुट किया जा रहा है. लोकतंत्र का पर्याय पुंजीवाद को परोसा गया है. एम्प्लॉयमेंट एक्स्चेंज को खत्म कर, कंत्राट सिस्टम लागु किया गया है. कामगार आज सुरक्षाहिन हो गया है. हम अपने अधिकारों प्रती चेतक नही है. यह हमारी अचेतकता, कल के भारत की गुलामी का निव है. "भारत राष्ट्रवाद" यह विचार बाबासाहेब ने, बुध्द तत्वज्ञान से लिया है. वज्जी संघ का उदाहरण, यह बुध्द तत्वज्ञान राष्ट्रवाद का, प्रतिक ही तो है", यह विचार सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल के राष्ट्रिय अध्यक्ष *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* इन्होने, सीआरपीसी नागपुर मुख्यालय में आयोजित *"डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जयंती समारोह"* में, अपने अध्यक्षीय भाषण में कही है. सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल / सीआरपीसी वुमन विंग / सीआरपीसी एम्प्लॉईज विंग / सीआरपीसी ट्रायबल विंग / सीआरपीसी वुमन क्लब इनके संयुक्त तत्वाधान में आयोजित समारोह में, *प्रा. नितिन तागडे / शंकरराव ढेंगरे / आनंद सहारे* यह मान्यवर प्रमुख अतिथी थे.
सदर समारोह के यशस्वीता के लिए *एड. विष्णु पानतावणे / डॉ. मनिषा घोष / इंजी. माधवी जांभुलकर / एड. राखी आहुजा / अवंतिका सेगोकर / डॉ. राजेश नंदेश्वर / सरदार कर्नलसिंग दिगवा / विजय भैसारे / एड. सागर गणवीर / देवेंद्र यादव / एड. गोविंद मेश्राम / चंद्रभान पानतावणे / राजीव राय* आदी पदाधिकारी उस अवसर पर उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन डॉ. मनिषा घोष इन्होने तथा आभार विजय भैसारे इन्होने माना.
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