Saturday, 12 March 2022

 🤝  *भंवर के गुंजन में....!*

       *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*

         मो.न ९३७०९८४१३८


भंवर के गुंजन मे, वो संगित होता है

मन को जोडने वाला, ताल होता है...


विचार मिल जाएं, वो रिस्ता प्यारा है

अरे लहु के रिस्तो में, वादें ही जादा है

अपना कहने पर, क्या अपना होता है

दु:ख में जो साथ दे, वो दोस्त होता है...


दर्द अकसर तो, अपनों से ही होता है

क्या धोका देने वाले, वो पराये होते है

चले जाते वहीं, वो जीवन की राह है

हर पल तुम्हे तो, संघर्ष करना रहा है...


आखरी पडाव सें भी, युं लौट आते है

मन शक्ती को तुम्हारे, बुध्द याद देते है

ना झुकना ना तुटना, यही तो शक्ती है

केवल जीवन का, विचार मार्ग रहा है...


* * * * * * * * * * * * * * * * *

(नागपुर दिनांक १३ मार्च २०२२)

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