👌 *HWPL (H.Q.: Korea) इस विश्व स्तरीय आंतरराष्ट्रिय संघटन की ओर से, २६ मार्च २०२३ को झुम पर आयोजित, "विश्व शांती शिखर सम्मेलन" इस विषय पर, "आंतरधर्मीय परिसंवाद" कार्यक्रम...!*
* *डा. मिलिन्द जीवने,* अध्यक्ष - अश्वघोष बुध्दीस्ट फाऊंडेशन, नागपुर *(बुध्दीस्ट एक्सपर्ट / फालोवर)* इन्होंने वहां पुछें दो प्रश्नों पर, इस प्रकार उत्तर दिये...!!!
* प्रश्न - १ :
* *आप के धर्म या संप्रदाय में, प्रतिनिधि निशानियाॉं क्या है ? यदी शास्त्रों की सामग्री के आधार पर कोई अर्थ निहित है, तो कृपया उन्हे पेश करे.*
* उत्तर : - बुध्द के समय संप्रदाय का कोई अस्तित्व ही नही था. केवल एकसंघ बौध्द धर्म था. और वह श्रमण परंपरा के माध्यम से, समुचे विश्व में फैल गया. बाद में, चक्रवर्ती सम्राट अशोक द्वारा, बुध्द धर्म का स्विकार करने के बाद, उसे राजाश्रय मिला, जो अखंड भारत का स्वर्ण युग कहा जाता है.
----------------------------------------
बुध्द के महापरिनिर्वाण के पश्चात, भिक्खु संघ मे विचारों मे मतांतर होते रहे. फिर हिनयान / महायान / थेरवाद / वज्रयान इन संप्रदायों का निर्माण हुआ. डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने बौध्द धर्म का स्विकार करने के बाद, उन परंपरावादी विचारों के अवैज्ञानिक बातों को नकारते हुये, उन्होने उसे नवयान बौध्द धर्म कहा. और बुध्द धर्म में उन संप्रदायों द्धारा, बौध्द धर्म के कुछ प्रतिकों को मान्यता प्रदान की. वह संप्रदाय विभाजन चार्ट द्वारा इस प्रकार दिखाई देता है.
-----------------------------------------
बौध्द धर्म का संप्रदाय विभाजन चार्ट -
---------------------------------------
बौध्द धर्म में इन संप्रदायों द्वारा विभिन्न प्रतिकों का स्विकार गया. और उन संप्रदाय द्वारा स्विकार किये गये कुछ प्रतिकों पर, बडे मतांतर भी रहे है. जैसे कि - स्वस्तिक / 🕉️ यह प्रतिक चिन्ह, ब्राम्हणी धर्म द्धारा भी स्विकार किये गये. हमे यह समझना बहुत महत्वपुर्ण है कि, बुध्द काल में अत्याधिक मात्रा में, ब्राम्हणी समुदायों ने बौध्द धर्म को अपनाया था.
-----------------------------------------
बौध्द धर्म के प्रतिकों का चार्ट हम इस प्रकार देख सकते है.
---------------------------------------
इसाई धर्म के संस्थापक येशु ख्रिस्त भी पहले बौध्द भिक्खु होने का, तथा तक्षशिला बौध्द विद्यापीठ में अध्ययन करने की बात कही जाती हैं. तथा येशु ख्रिस्त का येरुशलम में भारत के कश्मीर का प्रवास रहा है. और कश्मीर के लद्दाख में उनका निर्वाण हुआ है. जहां मुझे भेट देने का अवसर प्राप्त हुआ था.
----------------------------------------
इसाई धर्म के संस्थापक येशु ख्रिस्त का येरूशलम से भारत के कश्मीर प्रवास इस प्रकार बताया जाता हैं.
येशु ख्रिस्त का प्रवास चार्ट -
-----------------------------------------
बौध्द धर्म के प्रतिक यह हमें शांती का बोध कराती हैं. हिंसा से परे होने की अनुभुती देती है. स्वर्णमय भारत का याद दिलाती है.
* * * * * * * * * * * * *
* परिचय : -
* *डाॅ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
(बौध्द - आंबेडकरी लेखक /विचारवंत / चिंतक)
* मो.न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२
* राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल
* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी वुमन विंग
* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी एम्प्लाई विंग
* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी ट्रायबल विंग
* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी वुमन क्लब
* अध्यक्ष, जागतिक बौध्द परिषद २००६ (नागपूर)
* स्वागताध्यक्ष, विश्व बौध्दमय आंतरराष्ट्रिय परिषद २०१३, २०१४, २०१५
* आयोजक, जागतिक बौध्द महिला परिषद २०१५ (नागपूर)
* अध्यक्ष, अश्वघोष बुध्दीस्ट फाऊंडेशन नागपुर
* अध्यक्ष, जीवक वेलफेयर सोसायटी
* माजी अध्यक्ष, अमृतवन लेप्रोसी रिहबिलिटेशन सेंटर, नागपूर
* अध्यक्ष, अखिल भारतीय आंबेडकरी विचार परिषद २०१७, २०२०
* आयोजक, अखिल भारतीय आंबेडकरी महिला विचार परिषद २०२०
* अध्यक्ष, डाॅ. आंबेडकर आंतरराष्ट्रिय बुध्दीस्ट मिशन
* माजी मानद प्राध्यापक, डाॅ. बाबासाहेब आंबेडकर सामाजिक संस्थान, महु (म.प्र.)
* आगामी पुस्तक प्रकाशन :
* *संविधान संस्कृती* (मराठी कविता संग्रह)
* *बुध्द पंख* (मराठी कविता संग्रह)
* *निर्वाण* (मराठी कविता संग्रह)
* *संविधान संस्कृती की ओर* (हिंदी कविता संग्रह)
* *पद मुद्रा* (हिंदी कविता संग्रह)
* *इंडियाइझम आणि डाॅ. आंबेडकर*
* *तिसरे महायुद्ध आणि डॉ. आंबेडकर*
* पत्ता : ४९४, जीवक विहार परिसर, नया नकाशा, स्वास्तिक स्कुल के पास, लष्करीबाग, नागपुर ४४००१७
No comments:
Post a Comment