Thursday, 6 October 2022

 ‌👌 *नागपुर में ३ अक्तुबर २०२२ को हुयी आंतरराष्ट्रिय बौध्द परिषद नहीं बल्की था गगन - पुरण मेला...!!!*

   *डॉ.  मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* नागपुर १७

अध्यक्ष, जागतिक बौध्द परिषद २००६ 

राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल 

मो. न. ९३७०९८४१३८ / ९२२५२२६९२२


   अभी अभी नागपुर में ३ अक्तुबर  २०२२ को, "होटल सेंटर पाईंट" में सफल (?) हुयी, *"आंतरराष्ट्रिय बौध्द परिषद"* (?) नामक वह परिषद नही, बल्की *"गगन - पुरण मेला"* होने की, आम चर्चा वहां सहभागी कुछ लोगों ने व्यक्त की है. और संदर्भित बौध्द परिषद का अध्यक्ष - रा. तु.‌ म. नागपुर विद्यापीठ का उपकुलपती  *डॉ.  सुभाष चौधरी*  यह सचमुच *"परिषद में बांधे गये खुटे का गधा"* साबित हो गया. आंतरराष्ट्रिय परिषद अध्यक्षीय भाषण वह भी केवल *"दो मिनिट"* का होने से, उपस्थित कुछ मान्यवर अचंबित हो गये. और अध्यक्षीय भाषण का सार क्या तो, *"मुझे इस बौध्द परिषद की अध्यक्षता क्यौ दी गयी, यह मुझे ही नही पता ? क्यौं कि, बौध्द धर्म में बहुत सारे विचारविद उपलब्ध है."* इस अध्यक्षीय भाषण के उपर, हमें क्या टिप्पणी करना चाहिये ? यह बड़ी हसीं का विषय है. अर्थात *डॉ. सुभाष चौधरी* ने स्वयं गधा होने की बातें, अदृश्य रुप से स्विकारी है. परंतु डॉ. चौधरी ने उस बडे पद को स्वयं स्विकारना (नकार भी सकते थे), और बौध्द परिषद में सहभाग लेकर यह बातें भाषण में बोलना, और अपनी हसीं कर लेना, यह दुसरी बडी गधेगिरी थी. रातुम नागपुर विद्यापीठ का उपकुलपती बनना, यह तो कोई मेरिट का आधार नही था, बल्की वसिलाबाजी एवं पायालागु का वो बडा नमुना है. खैर छोडो, वह *"आंतरराष्ट्रिय बौध्द परिषद"* कहें तो, परिषद की गरिमा को खंडित करने जैसा विषय है. और आयोजक यह तो *"झुट के तिन बंदर"* थे. उन तिन झुट बोले बंदरों को नचानेवाला,‌ डमरु कौन बजा रहा या ? यह संशोधन का विषय है.‌ शायद वह डमरु (?) बजानेवाला कोई बडा  *"जादुगर"* भी हो !

     *"झुट बोलने"* की भी एक सीमा होती है.‌ उन तिन बंदरों ने, वह झुट की सीमा ही पुरी लांध दी...! पहला झुट - *"कविवर्य सुरेश भट सभागृह"* यह नागपुर का सबसे बहुत बडा, २००० कैपेसिटी का वातानुकुलित / सुविधायुक्त सर्वोत्तम ऐसा सभागृह है. और आयोंजकों ने वर्षा के कारण असुविधा होने की झुटीं बातें कहकर, ३०० - ४०० लोगं कैपेसिटी के थ्री स्टार *"होटेल सेंटर पाईंट"* में वह कार्यक्रम लेना, यह सदर परिषद हलाने का मुख्य कारण बना है. दो हजार लोगों को सहभाग होना, उनके लिए यह असंभव था. इसलिये छोटा सभागृह...! अब दुसरा झुट - *"हॉल खचाखच भरा"* होना. सदर परिषद के लिए, अपने कॉलेज को लडक़ों को जबरन लाकर, फुकट में थ्री स्टार होटेल में खाना खाने का लालच. दुसरे बुध्द मुर्ती वाटप लोगों का जबरन सहभाग. अरे भाई, इज्जत का सवाल था. *लोगों की भीड इकठ्ठा करना, क्या परिषद का उद्देश है ?* बल्की परिषद प्रमुख आयोजन तो, *"परिषद का आऊट पुट क्या है ?"* यह महत्तवपूर्ण विषय होता है. *"मेला हो तो,"* यह विषय मायने नही रखता. क्यौं कि, मेला का कोई विशेष उद्देश नही होता. वह केवल *"व्यापार व्यवसायिक केंद्रबिंदु "* होता है...!

   अब हम उनके तिसरे झुट पर - *"किसी भी राजकिय नेता को, बौध्द परिषद में ना बुलाना."* फिर दैनिक लोकमत दिनांक ११ सितंबर की बहुत बडी खबर - मुख्यमंत्री  एकनाथ शिंदे, साथ में उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीयमंत्री नितिन गडकरी एवं अन्य राजकिय नेता आदी...! चवथा झुट - नागपुर विद्यापीठ (?) द्वारा सदर परिषद का आयोजन होने से, *प्रोटोकाल* के अनुसार उपकुलपति /अबौध्द *डॉ. सुभाष चौधरी* को, आंतरराष्ट्रिय बौध्द परिषद का अध्यक्ष पद पर बिठाना...! महत्वपूर्ण विषय यह कि, उस परिषद का आयोजन *" गगन मलिक फाऊंडेशन"* द्वारा किया गया. रातुम नागपुर विद्यापीठ द्वारा नहीं. ना ही, रातुम नागपुर विद्यापीठ ने कोई इस तरह का ठराव पारित किया था, ना ही बजेट में कोई प्रावधान ! डॉ सुभाष चौधरी नामक उपकुलपति महाशय का अध्यक्षीय भाषण तो, उपर बताया है. अब पाचवा झुट - इस वर्ष में *"छ: लाख लोगों को बुध्द धम्म की दीक्षा देना"* यह उस मेले में, मेरे मित्र - फिल्मी हिरो अर्थात मि. नटवरलाल उर्फ फिल्मी नाचा - *गगन मलिक* की घोषणा...! क्या गगन मलिक, हमारे दुसरे बाबासाहेब आंबेडकर तो नही है ? यह प्रश्न है. छ: लाख लोग क्या, *गगन मलिक ने "छ: हजार लोगों" को, बौध्द धम्म की दीक्षा दिया तो भी बहुत है...!* इतनी बडी बातें गगन मलिक बोल रहा है. और हम तालियां बजा रहे है. *गगन मलिक विदेश की मुफ्त आयी हुयी मेटल के बुध्द मुर्ती का, महाठग - नितिन गजभिये के माध्यम से अवैध व्यापार कर रहा है.* और हम केवल खामोश बने है. और कोई हमारे अपने ही, इस *"अवैध प्रकरणों"* की, बडी सी वकालत भी कर रहे है. क्या बात है ?

    मेरे अच्छे मित्र एवं नागपुर विद्यापीठ के भुतपुर्व कुलसचिव *डॉ. पुरणचंद मेश्राम*  तथा फिल्मी नायक *गगन मलिक*  इन्होने अपने भाषण में, मेरा नाम का जिक्र न करते हुये,  *"कुछ लोग कोई काम नही करते, और विरोध करने की बातें कही थी."* मै उन मेरे मित्र को बताना चाहुंगा कि, धम्म के क्षेत्र हें, आज जो कुछ लोग काम कर रहे है, वो मेरे से जुडें हुये ही लोग है. *"जागतिक बौध्द परिषद २००६ / २०१३ / २०१४ / २०१५ तथा जागतिक बौध्द महिला परिषद २०१५"* इसके साथ ही HWPL H.Q. Korea समन्वय से *"आंतरराष्ट्रिय शांती परिषद २०२२"* इन सभी का, मैने स्वयं आयोजन किया है. *"प्रथम / द्वितिय डॉ आंबेडकर विचारविद परिषद २०१७ / २०२० तथा महिला परिषद २०२१"* का आयोजन भी, मेरे द्वारा किया गया है. इसके पहले मैने स्वयं *"मेटल के बुध्द मुर्ती का वितरण"* भी किया है. तायवान से प्राप्त *"लाखों रुपयों के धम्म पुस्तकों का मुफ्त वितरण"* भी किया है. और *"मैने किसी से भी कोई पैसे नहीं लिये है / थे."* उस समय, आप का धम्म क्षेत्र में, कोई अस्तित्व भी नही था. और मै यह स्वयं के पैसों से किया है. आप को देखना हो तो, यह सभी कुछ मै दिखा सकता हुं. मै आप लोगों के समान *"झुट के बुनियाद पर, मिशन का काम"* नही करता. मेरे साथ जुड़े हुये सभी लोग बतायेंगे की, मुझे झुट बोलनेवाले लोग पसंद नही है. ना ही, मै किसी को धोका देता हुं. खैर छोडो, बुध्द के दो वचन कहकर, मै अपने शब्द को विराम देता हु.

*न भजे पापके मित्ते न भजे पुरिसाधमे |*

*भजेथ मित्ते कल्याणे भजेथ पुरिसुत्तमे ||*

(अर्थात - बुरे मित्र का साथ ना करे, ना अधम पुरुषों का सेवन करे, अच्छे मित्र की संगति करे, उत्तम पुरुषों की संगति करे.)

*न त कम्मं कतं साधु यं कत्वा अनुतप्पति |*

*यस्स अस्सुमुखो रोदं विपाकं पटिसेवति ||*

(अर्थात - उस कार्य को कभी नही करना चाहिये, जिसे करके पछताना पडे. और जिस के फल (दुष्परिणाम) को रोते हुये भोगना पडे.)


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