✌️ *भारतीय मुल वंश के ऋषी सुनक से लेकर कमला हैरिस तक इनका विदेशो में सर्वोच्च पद स्थानपन्नता बनाम भारत का विदेशवाद !!!*
*डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर १७
राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल
मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२
भारतीय मुल की *कमला हैरिस* इनका, *अमेरिका का उपराष्ट्राध्यक्ष* बनने के बाद, भारतीय मिडिया में बडी बडी चर्चा दिखाई दी. वही बात भारतीय मुल के *ऋषी सुनक* इनका, अभी अभी *ब्रिटेन के प्रधानमंत्री* बनने पर, भारत के मिडिया में, बहुत जोरों शोरों पर चर्चा हो रही है. विदेशों मे भारतीय मुल के केवल यह दोनो ही सर्वोच्च पद पर बैठे नही है. इसके पहले भी भारतीय वंश के मान्यवरों की, विभिन्न देशों के सर्वोच्च पदों पर नियुक्ती हुयी है. जैसे की - *सेशेल्स देश* राष्ट्रपती के तौर पर *वेवेल रामकलावन* इनकी नियुक्ति हुयी है. *मॉरिशस देश* के राष्ट्रपती के तौर पर *पृथ्वीराजसिंग रुपुन* इनकी नियुक्ति हुयी है. इसके अलावा *गुयाना देश* के राष्ट्रपती *भारत जगदेव* इनकी / *सिंगापुर देश* के राष्ट्रपती *एस. आर. नाथन* इनकी / *त्रिनिदाद देश* के प्रधानमंत्री के तौर पर *कमलाप्रसाद बिसेश्वर* इनकी नियुक्ति हुयी है. और भी कुछ देश है. वह यादी और भी लंबी हो सकती है. महत्वपुर्ण प्रश्न यह है कि, *"क्या विदेशी मुल के मान्यवर, हमारे भारत देश के राष्ट्रपती / प्रधानमंत्री बन सकते है या नही ?"* अगर नहीं तो क्या कारण है ? *क्या भारत का संविधान यह बनने में बाधक है ?* अगर भारत का संविधान बाधक नही हो तो, *बामनी मानसिकता* को मिटाने का, हमारे पास, क्या *"ब्लु प्रिंट"* है ? मै *"बामनी व्यक्तिवाद"* की, यहां बात नही कर रहा हुं. केवल *बामनी प्रवृत्ति"* की, बात कर रहा हुं.
अब हम विदेशी मुल की और भारतीय नागरिकता प्राप्त हुयी एवं भारत की माजी प्रधानमंत्री / सशक्त कांग्रेसी नेता दिवंगत - *इंदिरा गांधी* इनकी बहु - पुत्र वधु / माजी प्रधानमन्त्री दिवंगत - *राजीव गांधी* इनकी पत्नी *सोनिया गांधी* इनकी ही बात लों...! वह कांग्रेस दल की *सांसद* होने पर भी, दो बार कांग्रेस की ओर से *"प्रधानमंत्री"* बनने का अवसर आने पर भी, वो भारत की प्रधानमंत्री नही बन सकीं. पहले बार कांग्रेस की ओर से *पी.व्ही. नरंसिंग राव* यह बामनी व्यक्ती प्रधानमंत्री बना. और दुसरी बार *डॉ. मनमोहन सिंग* यह उच्च जाति का पंजाबी प्रधानमन्त्री बना. *"सोनिया गांधी"* ये कांग्रेसी दल की सांसद होने पर भी, उसे *प्रधानमन्त्री* बनने में क्या बाधा थी ? इसका संशोधन होना बहुत ही जरूरी है. *अगर कांग्रेसी सभी सांसद चाहते तो, और कांग्रेसी दल का एकमुखी निर्णय होता तो, सोनिया गांधी भारत की प्रधानमन्त्री बन सकती थी.* क्या कांग्रेस में बामनी प्रवृति कहे / शक्ति का कहे या, *"संघ वाद"* का बडा प्रभाव था ? जैसा की वह प्रभाव, हम *"भाजपा"* दल में भी देखा करते है. क्या संघवाद के लिए, *कांग्रेसी यह नरम दल* हो और *भाजपा यह उनका गरम दल* है ? और कांग्रेसी नरम दल की और सें, *संघवाद का उद्देश* सफल ना होने पर, भाजपा गरम दल को जादा बढावा दिया जा रहा है. और संघवाद अब *"नरम दल"* के रुप में, *"आप दल"* को आगे ला रहा है. और *दिल्ली* यह उनकी *पहली प्रयोगशाला* रही हो. और दुसरी प्रयोगशाला है *पंजाब* !!!! और वह प्रयोगशाला, अब बढती की ओर है. शायद भाजपा गरम दल नेता *नरेंद्र मोदी* का दुसरा पर्याय हो - *आप* यह नरम दल...! *"कांग्रेसी नरम दल"* से, संघवाद का मोहभंग हो गया हो...! जरा सोचों. भारतीय राजनीति को समझना, इतना सहज नहीं है. *सत्ता किस की हो, राज तो हमारा ही चलेगा...!!!*
अब मै *"विदेशी मुल"* का दुसरा सशक्त उदाहरण देना चाहुंगा. *म्यानमार* इस देश की *"नैशनल लिग फॉर डेमोक्रेसी"* इस दल की अध्यक्षा - सर्वेसर्वा / म्यानमार की *"स्टेट कौंसिलर"* (प्रधानमंत्री समकक्ष - प्रधानमंत्री नही) - *ऑंग सैन सु की* इनकी ही ले लो. उसने *विदेशी व्यक्ती* से शादी करने के कारण / और उसके बच्चें विदेशी होने के कारण, वो *"म्यानमार की राष्ट्रपती"* नही बन सकी / सकती. क्यौं कि, *"म्यानमार का संविधान"* उसकी अनुमती नही देता है. और आज वहां *"मिलिटरी शासन"* होने से, और *मिसेस सु की* पर गंभिर आरोप होने के कारण, वो आज जेल में बंद है. अर्थात म्यानमार में, सर्वोच्च नेता को भी जेल की हवा खाना होता है. *पाकिस्तान* इस देश में भी, वहां के माजी प्रधानमंत्री *इम्रान खान* हो या, *नवाज शरिफ* हो, इन सभी को, सर्वोच्च न्यायालय का सामना करना पड रहा है. वही *श्रीलंका* इस देश के प्रधानमंत्री *महिंदा राजपाक्षे* इन्हें भ्रष्टाचार के कारण, अपने पद हे इस्तिफा देना पडा. वही वहां के राष्ट्राध्यक्ष *गोताबाया राजपाक्षे* इन्हे भी, श्रीलंका छोडकर भागना पडा. इस संदर्भ में, भारत के प्रधानमंत्री *नरेंद्र मोदी* ये बडे ही किस्मतवाले व्यक्ती है. जो उन्हे इस सभी बातों का, कभी सामना नही करना पडा...!
विदेशी मुल की और भारत मे ही शिक्षा अर्जित की और भारत में कुछ साल रही *म्यानमार* की सशक्त नेता - *ऑंग सैन सु की* इनकी देना चाहुंगा. अगर *मिसेस सु की* ने भारत की नागरिकता ली होती, तो क्या वो *भारत की राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री बन सकती थी ?* यह सबसे बडा महत्वपुर्ण प्रश्न है. क्या उसे भारत में राजनीति करने की, हमारी व्यवस्था से इजाजत मिलती ? हमारी भारतीय व्यवस्था, क्या उसे वह आजादी देता ? हमारा *"भारतीय संविधान"* उसमे बाधक होता ? जब विदेशी मुल की *सोनिया गांधी,* भारत में सांसद बन पायी है. और भारत का संविधान, उस के मार्ग में रूकावट नही बना तो, *मिसेस सु की* के मार्ग में भी, *"भारत का संविधान"* यह बाधक नही होता. फिर विदेशी मुल के लोगों को, भारत के सर्वोच्च पदों पर ना बिठाने के, असली *"शुक्राचार्य"* कौन है ? अगर हम विदेशी मुल को, हमारे देश के सर्वोच्च पदों पर, बिठाने की बडी रुकावट हो तो, अन्य विकास देशों के सर्वोच्च पदों पर आसिन मान्यवरों से, हम ने कुछ अपेक्षाएं करना ????
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