✍ *सर्वोच्च न्यायालय के अनुसुचित जाती/जमाती कानुन विरोधी जजों के खिलाफ ना हरकत मिलने हेतु मुख्य न्यायाधीश को पत्र !*
सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल के राष्ट्रिय अध्यक्ष *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* मोबाईल न. ९३७०९८४१३८ इन्होने, दिनांक २ अप्रेल २०१८ (भारत बंद के दिन) भारत के महामहिम राष्ट्रपती, भारत के प्रधानमंत्री, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इन को नागपुर के जिला दंडाधिकारी के माध्यम से *"अनुसुचित जाती / जमाती प्रतिबंधक कानुन"* को कमजोर बनाने का निर्णय देनेवाले न्या. आदर्श कुमार गोयल एवं न्या. उदय ललित के खिलाफ शिकायत की थी. जिस मे वह दोषपूर्ण निर्णय को स्थगिती देने तथा उसे पुर्णत: निरस्त करने की माँग की. इस के साथ ही उन दो दोषी न्यायाधीशों के खिलाफ *अनुसुचित जाती/जमाती कानुन को कमजोर करते हुये उस कानुन के प्रती द्वेष भावना रखने, सामाजिक वातावरण दुषित करने, भारतीय एकात्मता को बाधा पोहचाने, जातीगत भावनाओं को भडकाने, भारत बंद मे ११ लोगों के मृत्यु को कारण बनने का दोषी मानकर* "अनुसुचित जाती / जमाती प्रतिबंधक कानुन" के अंतर्गत गुन्हा दाखल करने की बाते कही.
उपरोक्त विषय को ध्यान में रखते हुये, वह शिकायत नागपुर जिला दंडाधिकारी ने पोलिस आयुक्त नागपुर को तथा संबंधित विभागों को, और पोलिस आयुक्त नागपुर ने वह केस पोलिस स्टेशन, पाचपावली नागपुर को भेजी. दिनांक १८ अप्रेल २०१८ को पाचपावली स्टेशन के पोलिस अधिकारी ने डॉ. मिलिन्द जीवने का बयान लिया. जिस मे सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त दो जजों पर गुन्हा दाखल करने की बातें कही थी. दिनांक २९ अप्रैल २०१८ को डॉ. जीवने इन्होने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को *"उन दो दोषी न्यायधीशों के खिलाफ गुन्हा दाखल करने हेतु ना हरकत प्रमाणपत्र"* की माँग की. और सिमित कालावधी के अंदर उन दो न्यायाधीशों पर गुन्हा दाखल ना करने एवं उन्हे हिरासत मे ना लेने पर, मा. उच्च न्यायालय मे पिटिशन दाखल करने की जानकारी दी है.
* सुर्यभान शेंडे, प्रा. सुखदेव चिंचखेडे, दिपाली शंभरकर, इंजी. गौतम हेंदरे, डॉ. प्रमोद चिंचखेडे, डॉ. मनिषा घोष, डॉ. भारती लांजेवार, डॉ. हिना लांजेवार, डॉ. राजेश नंदेश्वर, नरेश डोंगरे, अँड. निलिमा लाडे, सुरेखा खंडारे, माला सोनेकर, चंदा भानुसे, बबीता गोडबोले, मिलिन्द धनवीज आदी.
सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल के राष्ट्रिय अध्यक्ष *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* मोबाईल न. ९३७०९८४१३८ इन्होने, दिनांक २ अप्रेल २०१८ (भारत बंद के दिन) भारत के महामहिम राष्ट्रपती, भारत के प्रधानमंत्री, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इन को नागपुर के जिला दंडाधिकारी के माध्यम से *"अनुसुचित जाती / जमाती प्रतिबंधक कानुन"* को कमजोर बनाने का निर्णय देनेवाले न्या. आदर्श कुमार गोयल एवं न्या. उदय ललित के खिलाफ शिकायत की थी. जिस मे वह दोषपूर्ण निर्णय को स्थगिती देने तथा उसे पुर्णत: निरस्त करने की माँग की. इस के साथ ही उन दो दोषी न्यायाधीशों के खिलाफ *अनुसुचित जाती/जमाती कानुन को कमजोर करते हुये उस कानुन के प्रती द्वेष भावना रखने, सामाजिक वातावरण दुषित करने, भारतीय एकात्मता को बाधा पोहचाने, जातीगत भावनाओं को भडकाने, भारत बंद मे ११ लोगों के मृत्यु को कारण बनने का दोषी मानकर* "अनुसुचित जाती / जमाती प्रतिबंधक कानुन" के अंतर्गत गुन्हा दाखल करने की बाते कही.
उपरोक्त विषय को ध्यान में रखते हुये, वह शिकायत नागपुर जिला दंडाधिकारी ने पोलिस आयुक्त नागपुर को तथा संबंधित विभागों को, और पोलिस आयुक्त नागपुर ने वह केस पोलिस स्टेशन, पाचपावली नागपुर को भेजी. दिनांक १८ अप्रेल २०१८ को पाचपावली स्टेशन के पोलिस अधिकारी ने डॉ. मिलिन्द जीवने का बयान लिया. जिस मे सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त दो जजों पर गुन्हा दाखल करने की बातें कही थी. दिनांक २९ अप्रैल २०१८ को डॉ. जीवने इन्होने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को *"उन दो दोषी न्यायधीशों के खिलाफ गुन्हा दाखल करने हेतु ना हरकत प्रमाणपत्र"* की माँग की. और सिमित कालावधी के अंदर उन दो न्यायाधीशों पर गुन्हा दाखल ना करने एवं उन्हे हिरासत मे ना लेने पर, मा. उच्च न्यायालय मे पिटिशन दाखल करने की जानकारी दी है.
* सुर्यभान शेंडे, प्रा. सुखदेव चिंचखेडे, दिपाली शंभरकर, इंजी. गौतम हेंदरे, डॉ. प्रमोद चिंचखेडे, डॉ. मनिषा घोष, डॉ. भारती लांजेवार, डॉ. हिना लांजेवार, डॉ. राजेश नंदेश्वर, नरेश डोंगरे, अँड. निलिमा लाडे, सुरेखा खंडारे, माला सोनेकर, चंदा भानुसे, बबीता गोडबोले, मिलिन्द धनवीज आदी.
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