Sunday, 19 November 2023

 👌 *HWPL (H.Q.: Korea) इस विश्व स्तरीय आंतरराष्ट्रिय संघटन की ओर से, १९ नवंबर २०२३ को झुम पर आयोजित, "विश्व शांती शिखर सम्मेलन" इस विषय पर, "आंतरधर्मीय परिसंवाद" कार्यक्रम...!*

* *डा. मिलिन्द जीवने,* अध्यक्ष - अश्वघोष बुध्दीस्ट फाऊंडेशन, नागपुर *(बुध्दीस्ट एक्सपर्ट / फालोवर)* इन्होंने वहां पुछें दो प्रश्नों पर, इस प्रकार उत्तर दिये...!!!


* प्रश्न - १ :

* *कृपया अपने धर्म और अन्य धर्मो की शिक्षाओं के बिच दिलचस्प समानताएं पेश करे.*

* उत्तर : - बुध्द धर्म की प्रमुख शिक्षा एक शब्द में कहा जाएं तो - *बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय."* इसी उद्दशों को पाने के लिए, बुध्द ने कुछ संदेश भी दिए है. जैसे कि - प्रेम, मैत्री, बंधुता, करुणा, अहिंसा, सत्य बोलना आदी.

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अन्य धर्मो में लिखे गये, कुछ भावों को बताता हुं. परंतु उस वचन का पालन किया जाता है क्या ? यह बडा प्रश्न है.

* *हिंदु धर्म* - सत्य मार्ग पर चलना, दुसरों को कष्ट ना देना, जीवों पर दया करना, आदी...

* *मुस्लिम धर्म* - अल्लाही सर्वशक्तिमान है, जगत का पालनकर्ता है, आदी

* *इसाई धर्म* - प्रेम करना, क्षमा करना, इसे पुरी दुनिया में फैलाना आदी.

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विश्व में जीतने भी धर्म है, उनका कालखंड कभी भी एक सा नही रहा. आचार - विचारों के संघर्ष सें ही, धर्म का उदय दिखाई देता है. वही भेदाभेद भी धर्म निर्माण में कारण ही रहा है. और यही कारण है कि, सभी धर्मों की शिक्षा एक सी नही है. वही देव - आत्मा इस संकल्पना में भी धर्मों में, परस्पर विरोधी भाव दिखाई देते है.

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जहां बुध्द ने स्वयं को देव मानने से इंकार किया है. बुध्द ने स्वयं को मार्गदाता कहा है. वही सभी धर्मों के संस्थापकों ने, स्वयं को देव माना है. किसी ने देव का पुत्र माना है. वही हिंदु यह कोई धर्म ही नही है. क्यौं इसका कोई संस्थापक ही नही है. ना ही हिंदु यह कोई सनातन धर्म है.

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बुध्द ने आत्मा शब्द को भी नकारा है. जब की अन्य धर्म यह आत्मा को अजय - अमर मानते है. बुध्द के अनुसार - आत्मा नामक अपरिवर्तनशील / अमर वस्तु मत्स शरिर में, रहना असंभव है. (A permanent thing cannot reside in an impermanent body.)  

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बुध्द धर्म में मानव शरिर चार महाभुतों - पृथ्वी, आप, तेज, वायु इनसे बनने की बात कही है. आकाश महाभुत बुध्द ने नही माना. आकाश यह पोकली है.‌ कोई रासायनिक गुणधर्म आकाश मे नही दिखाई देते. जब की अन्य धर्मों मे, पांच महाभुत माना है.

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इस तरह हर धर्म में आचार, विचारों में बदलाव दिखाई देता है. वही धर्मों कें उच निच भेदभावों से, व्यक्तिसमुहों में दरारे बनी हुयी दिखाई देती है. अत: धर्मो की समानता यह बडा विवादपुर्ण तथा संशोधन का विषय है.

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* प्रश्न - २ :

* *धार्मिक शिक्षाओं के बीच समानताओं को, समझना क्यौ महत्वपुर्ण है ? और इससे एक धार्मिक अनुयायी को, क्या लाभ हो सकता है ?*

* उत्तर : वैसे मेरे पहिले प्रश्न के उत्तर में, मै इस विषय को टच किया है. यहां अहं प्रश्न है कि, क्या हमारे भारतीय धर्म में समानता है...? यहां लिंग भेद है. यहां धर्म भेद है. यहां जाति भेद है. रंग भेद है. वर्ण भेद है. आदी आदी...

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हम विभिन्न देशों के युध्द भी देख रहे है. वे युध्द भी धर्म के संघर्ष का प्रतिक है. इस युध्द से शारिरीक, मानसिक, आर्थिक हानी दिखाई देती है. और हम जो शांती की पहल आशा करते है, इसका कारण भी, धर्मों में सलोखा कायम करना है.

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दुसरा अहं विषय है कि, विभिन्न धर्मों मे समानता लाने की चेष्टा कौन करेगा ? यहां धार्मिक नेता लोग हो या राजनीति नेता लोग हो, वे ही तों धर्म अराजकता फैला रहे है. वही व्यक्ती व्यक्ती में भी, उच निच, धर्म भेद, जाति भेद, रंग भेद, नस्ल भेद आदी, नस नस में भरा दिखाई देता है. ता कि, वे लोग वरचढ बने. इस जहरीली मानसिकता को, हम कैसे हटायेंगे ? यह बडा प्रश्न है.  क्या हम ने, कोई ऐसी ब्लु प्रिंट बनायी है ? यह भी प्रश्न है.

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अत: समानता लाए तो वो भी कैसे ? भारत के संदर्भ में कहा जाए तो, भारतीय संविधान में, राजनीतिक समानता है - *"एक व्यक्ती - एक मत - एक मुल्य."*  राष्ट्राध्यक्ष हो, प्रधानमंत्री हो, या आम नागरिक, इनको केवल एक ही मत देने का अधिकार है. और उन सभी कें मतों का भी मुल्य एक ही है.

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परंतु हम जब सामाजिक समानता, आर्थिक समानता, सांस्कृतिक समानता को देखते है, तब हर जगह असमानता दिखाई देती है. सत्तावाद भी असमानता में जखडा हुआ है. फिर हम धार्मिक शिक्षा के माध्यम से, वह समानता कैसे लाये ? यह बडा प्रश्न है.  तो फिर धार्मिक अनुयायी के लाभ ? यह भी बडा प्रश्न बन जाता है.


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* परिचय : -

* *डाॅ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*

    (बौध्द - आंबेडकरी लेखक /विचारवंत / चिंतक)

* मो.न.‌ ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२

* राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल

* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी वुमन विंग

* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी एम्प्लाई विंग

* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी ट्रायबल विंग

* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी वुमन क्लब

* अध्यक्ष, जागतिक बौध्द परिषद २००६ (नागपूर)

* स्वागताध्यक्ष, विश्व बौध्दमय आंतरराष्ट्रिय परिषद २०१३, २०१४, २०१५

* आयोजक, जागतिक बौध्द महिला परिषद २०१५ (नागपूर)

* अध्यक्ष, अश्वघोष बुध्दीस्ट फाऊंडेशन नागपुर

* अध्यक्ष, जीवक वेलफेयर सोसायटी

* माजी अध्यक्ष, अमृतवन लेप्रोसी रिहबिलिटेशन सेंटर, नागपूर

* अध्यक्ष, अखिल भारतीय आंबेडकरी विचार परिषद २०१७, २०२०

* आयोजक, अखिल भारतीय आंबेडकरी महिला विचार परिषद २०२०

* अध्यक्ष, डाॅ. आंबेडकर आंतरराष्ट्रिय बुध्दीस्ट मिशन

* माजी मानद प्राध्यापक, डाॅ. बाबासाहेब आंबेडकर सामाजिक संस्थान, महु (म.प्र.)

* आगामी पुस्तक प्रकाशन :

* *संविधान संस्कृती* (मराठी कविता संग्रह)

* *बुध्द पंख* (मराठी कविता संग्रह)

* *निर्वाण* (मराठी कविता संग्रह)

* *संविधान संस्कृती की ओर* (हिंदी कविता संग्रह)

* *पद मुद्रा* (हिंदी कविता संग्रह)

* *इंडियाइझम आणि डाॅ. आंबेडकर*

* *तिसरे महायुद्ध आणि डॉ. आंबेडकर*

* पत्ता : ४९४, जीवक विहार परिसर, नया नकाशा, स्वास्तिक स्कुल के पास, लष्करीबाग, नागपुर ४४००१७

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