Sunday, 22 May 2022

 👌 *HWPL (H.Q.: Korea) इस विश्व स्तरीय आंतरराष्ट्रिय संघटन की ओर से, २२ मई २०२१ को झुम पर आयोजित, "आंतरधर्मीय परिसंवाद" कार्यक्रम...!*

* *डा. मिलिन्द जीवने,* अध्यक्ष - अश्वघोष बुध्दीस्ट फाऊंडेशन, नागपुर *(बुध्दीस्ट एक्सपर्ट / फालोवर)* इन्होंने वहां पुछें तिन प्रश्नों पर, इस प्रकार उत्तर दिये...!!!


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* *डाॅ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*

      बुध्दीझम

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* प्रश्न - १ :

* *क्या आप के शास्त्र में, एक सृष्टिकर्ता प्रबुद्ध दिव्य प्राणी और मानवजाति के बिच के वादा दर्ज किया गया है ?*

* उत्तर : हमे सबसे पहले यह समझना होगा कि, *"सृष्टी का निर्माणकर्ता यह कोई ईश्वर है क्या ? क्या ब्रम्हा ने सृष्टी का निर्माण किया है ?"* वगैरे वगैरे प्रश्न है. इस प्रश्न को ज्ञात हुये बिना, इस प्रश्न‌ को समझना कठीण है. 

   भगवान बुध्द ने सृष्टी का निर्माणकर्ता ना ही ईश्वर को माना है, ना ही ब्रम्हा को माना है. सभी वस्तुओं का निर्माण, यह कोई ना कोई कारण से होता है. अर्थात बुध्द का विश्व का निर्माण यह *"कार्य कारण भाव सिध्दान्त"* अर्थात *"प्रतित्यसमुत्पाद नियम"* इस पर आश्रित है. 

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इस संदर्भ में इस पाली गाथा का अर्थ समझना होगा. बुध्द कहते है -

*"न हेत्थ देवो ब्रम्ह संसारस्स अत्थि कारको*

*बुध्दधम्मा पवत्तन्ति हेतुसंभारपच्चया ति |"*

(अर्थात :- यहा कोई विश्व का कर्ता नही है. सृष्टी के नियमानुसार वह *"सृष्टी चक्र"* अपने आप शुरू रहता है.)

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हमे भगवान बुध्द की *"पुनर्जन्म संकल्पना"* को भी समझना होगा. बुध्द ने *"संसरण"* इस भाव को सिरे से नकारा है. "संसरण" का अर्थ होता है, "आत्मा का एक शरिर से, दुसरे शरिर में प्रवेश करना." बुध्द ने *"आत्मा"* इस भाव को भी नकारा है. बुध्द ने *"बिना संसरण"* से पुनर्जन्म की बात कही है. *"बिना संसरण पुनर्जन्म"* अर्थात "एक दिया की ज्योति से, दुसरे दिया की ज्योत जलाना. वैसे ही - एक आम के पेड की बिज से, दुसरे आम के झाड का निर्माण होना." यहां पेड के जिवित तत्व में संसरण नही दिखाई देता है.

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अर्थात बुध्द ने एक सृष्टिकर्ता प्रबुद्ध दिव्य प्राणी और मानवजाति के बिच एक वादा संदर्भ की बातें नही की. बल्की बुध्द का सिध्दान्त समस्त मानव जाति के कल्याण की / सुख की अर्थात *"बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय"* की बातें कहता है. और उस संदर्भ में, बुध्द ने अपने भिक्खु संघ को कहा है -

*"चरथ भिक्खवे चारिकं बहुजन हिताय बहुजन सुखाय, लोकानुकंपाय अत्थाय हिताय सुखाय देवमनुस्सानं |*

*देसेत्थ भिक्खवे धम्मं आदि कल्याणं मज्जेकल्याणं परियोसानकल्याणं सात्थं सव्यंजनं केवळ परिपुण्णं ब्रम्हचरियं पकासेथ|"*

(अर्थात :- भिक्खुओ, बहुजनों के हित के लिए, बहुजनों के सुख के लिए, लोगों पर अनुकंपा करते हुये, खुद के तथा देव (श्रेष्ठ पुरुष) / मनुष्यों के हित के लिए, सुख के लिए भिक्षाटन कर विचरण करो. यह धम्म आदि मे कल्याणकारी, मध्य मे कल्याणकारी और अंत मे कल्याणकारी है तथा अर्थ एवं भाव से परिपुर्ण है.‌ अत: इस धम्म का ब्रम्हचर्य पालन करते हुये, इस का प्रसार करो तथा पुर्णत: प्रकाशित करो.)

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भगवान बुध्द शुध्द आचरण करने की सिख देते है. वही बुध्द का शासन भी है. इस संदर्भ मे पाली में एक गाथा है - 

*"सब्ब पापस्स अकरणं, कुसलस्स उपसंपदा‌ |*

*सचित्तपरियोदपनं, एतं बुध्दान सासनं ||"*

(अर्थात :- सभी पापो को न करना, कुशल कर्मो को करना, तथा स्वयं के / अपने मन (चित्त) को परिशुध्द करना, यही बुध्द की शिक्षा है. यही बुध्द का शासन है.)

अर्थात बुध्द *"क्रियावाद"* की बातें करते है.

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* प्रश्न - २ :

* *क्या वादे के चिन्ह के रुप में,  कुछ भी दिया गया है ? इस एक चिन्ह के रुप में, क्या इस्तेमाल किया गया था ?*

* उत्तर : बुध्द धम्म में *"दस पारमिता"* बताई गयी है. वे दस पारमिता है - *शील / दान / उपेक्षा / नैष्कर्म्य / वीर्य / क्षांती / सत्य / अधिष्ठान / करुणा / मैत्री.* इन दस पारमिता का अर्थ फिर कभी हम चर्चा करेंगे.‌ परंतु बुध्द धर्म में, "वादें के चिन्ह के रुप में दिया जाना," इस संदर्भ की बातें नही बतायी गयी. बुध्द धर्म विज्ञान के आधार पर है. यहां दान पारमिता का बहुत महत्व विशद किया गया है.

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बुध्द धम्म में, *अनाथपिंडिक का दान / राजा बिंबिसार का दान / जीवक का दान / आम्रपाली का दान / विशाखा का दान,* इन सभी महानुभाव द्वारा दिया गया, बडे दान पारमिता का उल्लेख मिलता है. *चक्रवर्ती सम्राट अशोक* का बुध्द धर्म को राजाश्रय और ८४,००० स्तुपों का निर्माण, यह बडा जागतिक इतिहास है. 

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हमारे भारत देश का राष्ट्रिय चिन्ह तिन दिशाओं पर विराजित सिंह की मुद्रा और सत्यमेव जयते यह शब्द तथा हमारे राष्ट्रिय ध्वज पर का अशोक चक्र यह चिन्ह चक्रवर्ती सम्राट अशोक के एतिहासिक धरोअर की याद दिलाता है.

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बुध्द धम्म में "श्रध्दा" को अहम माना गया है. "अंधश्रध्दा" को नही. भगवान बुध्द के अनुसार *"प्रज्ञायुक्त श्रध्दा"* होनी चाहिये. प्रज्ञा का अर्थ है "विशुध्द ज्ञान." और प्रज्ञायुक्त श्रध्दा के संदर्भ में, कुछ पाली गाथा है. और उस कुछ पाली गाथा में से एक गाथा मै यहा जिक्र कर रहा हुं.

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"सुत्तनिपात" इस ग्रंथ में "कसिभारद्वाज सुत्त" में बुध्द और कसिभारद्वाज का श्रध्दा संदर्भ में गाथा इस प्रकार है -

*"सुध्दा बिजं तपो वुट्ठि, पञ्ञा मे |*

*हिरि ईसा मनो योत्तं सति मे फालपाचनं ||*

*कायगुत्तो वचिगुत्तो, आहारे उदरे यतो |*

*सच्चं करोति निद्दानं, सोरच्चं मे पमोचनं ||*

*विरिय मे धुरधोरय्हं, योगख्खेमाधिवाहनं ||*

*गच्छति अतिवत्तन्त, यत्थ गन्त्वान सोचति ||*

(अर्थात : (बुध्द कहते है ) श्रध्दा यह मेरा बिज है.‌ तपश्चर्या यह वृष्टि, प्रज्ञा यह जु और नांगर, पाप - लजा यह मेरा इसाड, चित्त यह दोरी, स्मृति (जागृति) यह फाळ और चाबुक है. काया एवं वाचा का मै सरंक्षण करता हुं. उदर निर्वाह के आहार मे, मै संयमता रखता हुं.‌ सत्य यह मेरा निंदन है.‌ संतोष यह मेरी छुट्टी है. और  धुरा बहनेवाला मेरा उत्साह योगक्षेमाभिमुख (निर्वाणाभिमुख) जाता है. और वहा जाने के पश्चात वह वापस नही आता.  वह शोकरहित होता है.

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और श्रध्दा संदर्भ मे और जादा उदाहरण देने की या और पाली गाथा कहने की शायद अब आवश्यकता नही है. और यह पालि का संदर्भ ही बहुत कुछ बता जाता है.

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* परिचय : -

* *डाॅ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*

    (बौध्द - आंबेडकरी लेखक /विचारवंत / चिंतक)

* मो.न.‌ ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२

* राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल

* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी वुमन विंग

* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी एम्प्लाई विंग

* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी ट्रायबल विंग

* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी वुमन क्लब

* अध्यक्ष, जागतिक बौध्द परिषद २००६ (नागपूर)

* स्वागताध्यक्ष, विश्व बौध्दमय आंतरराष्ट्रिय परिषद २०१३, २०१४, २०१५

* आयोजक, जागतिक बौध्द महिला परिषद २०१५ (नागपूर)

* अध्यक्ष, अश्वघोष बुध्दीस्ट फाऊंडेशन नागपुर

* अध्यक्ष, जीवक वेलफेयर सोसायटी

* माजी अध्यक्ष, अमृतवन लेप्रोसी रिहबिलिटेशन सेंटर, नागपूर

* अध्यक्ष, अखिल भारतीय आंबेडकरी विचार परिषद २०१७, २०२०

* आयोजक, अखिल भारतीय आंबेडकरी महिला विचार परिषद २०२०

* अध्यक्ष, डाॅ. आंबेडकर आंतरराष्ट्रिय बुध्दीस्ट मिशन

* माजी मानद प्राध्यापक, डाॅ. बाबासाहेब आंबेडकर सामाजिक संस्थान, महु (म.प्र.)

* आगामी पुस्तक प्रकाशन :

* *संविधान संस्कृती* (मराठी कविता संग्रह)

* *बुध्द पंख* (मराठी कविता संग्रह)

* *निर्वाण* (मराठी कविता संग्रह)

* *संविधान संस्कृती की ओर* (हिंदी कविता संग्रह)

* *पद मुद्रा* (हिंदी कविता संग्रह)

* *इंडियाइझम आणि डाॅ. आंबेडकर*

* *तिसरे महायुद्ध आणि डॉ. आंबेडकर*

* पत्ता : ४९४, जीवक विहार परिसर, नया नकाशा, स्वास्तिक स्कुल के पास, लष्करीबाग, नागपुर ४४००१७

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