Friday, 23 August 2024

 🌹 *हे निसर्ग की गोद में ....!*

      *डॉ मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* 

      मो. न. ९३७०९८४१३८


हे निसर्ग की गोद में

युं ही मेरा अपना भ्रमण 

सुंदर सुंदर वृक्ष हरियाली 

विविध फुलों की मोहक छट़ा

नदी सागर का सुखद किनारा

प्रेम की उस अनुभुती में

जीवन का वह अनमोल आनंद

हमेशा एक यादगार रहता है 

ना भुलने की किसी राह पर ....

युं ही उस मज़िल पर

चलते चलते मैं जाता हुं 

वृक्ष की छाया में बैठकर

निसर्ग नज़ारा देखा करता हुं

जंगल पहाड नागमोडी रास्तों पर

कार की ड्रायव्हिंग में

जीवन की अस्सल अनुभुती का

वह सार देखा करता हुं

तब सब कुछ पिछे छ़ोड आता हुं ...

निसर्ग की छाया में

प्राचिन जाड दिवारों पर बैठकर

उन से बातें करते रहता हुं

दिवारे भी बोलने लगती है

वो प्रेम मैत्री का अहसास कराती है

उस सामने स्थित बुध्द विहार में

अंदर प्रवेश कर जाता हुं

सुखद शांती की अहसास में

मेरे जीवन का संगित गाते रहता हुं ...


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नागपुर, दिनांक २३ अगस्त २०२४

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