☠️ *जिंदा लाश बन गया...!*
*डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
मो. न. ९३७०९८४१३८
हे जंबुद्वीप बुध्द के देश में
मैं तो जिंदा लाश बन गया...
सुवर्णमय अखंड भारत में
अशोक बडा सम्राट हो गया
न्याय करुणा के उस काल में
खुशी का वो सावन छा गया...
गुलामी के यें घने अंधेरे में
तन मन का सुख खो गया
गोरे अंग्रेजों के वो जाने में
काले अंग्रेज जुलुम छा गया...
हे मैत्री प्रेम भाईचारा राज में
गद्दारी का शिक्का चल गया
बुध्द की याद उन विचारों में
ये जीवन का सार ही खो गया...
* * * * * * * * * * * * * * *
(आज के खंड खंड भारत में...!)
नागपुर, दिनांक २३ जनवरी २०२४
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