🌍 *निसर्ग नियम...!*
*डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
मो. न. ९३७०९८४१३८
मानव ने जन्म लिया
तब वह अकेला था
जब वो मृत्यु को प्राप्त हुआ
तब भी वह अकेला था...
जन्म - मृत्यु के बिच काल में
उसने समाज घटक बनना ही
स्वयं अपने आप को
सब से उचित समझा
वो सुरक्षित प्राणी भी रहा...
प्रेम - मैत्री - बंधुता - करुणा
इस पावन बंधन में
वह समाजशील प्राणी हुआ
और निसर्ग का यही नियम है...
वाघ - सिंह आदी हिंस्त्र प्राणी भी
समुदाय में ही रहने लगे
वही मानव ने अपने में ही
वैरत्व बनाते गया, बढाते गया
बुध्द ने भी निसर्ग नियम को
बिलकुल नकारा नही है
और हम ....????
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मुंबई की ओर ट्रेन में...
दिनांक १७ अक्तुबर २०२३
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