Monday, 7 February 2022

 ➿ *लता मंगेशकर के मृत्यु पर घोषित सार्वजनीक छुट्टी सरकार की मुर्खता...!*

    *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* नागपुर १७

राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल

मो.न.‌ ९३७०९८४१३८ / ९२२५२२६९२२


     ७ फरवरी २०२२. ‌सुबह ८.१२ बजे का समय.‌ मुंबई स्थित ब्रिच कँडी हास्पिटल मे दाखिल, सिने पार्श्वगायिका *लता मंगेशकर* इनका २९ दिन के बाद, ९२ साल में बिमारी से निधन हुआ. सदर खबर‌ यह निश्चित ही बडी दु:खदायक थी.‌ लता मंगेशकर ने अपने सुरेल आवाज के जादु ने, विश्वभर अपना चाहता वर्ग बना लिया. वही *"बुध्द - डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर"* इनके जीवन पर, गीत गाने से मना करने पर, वह आंबेडकरी समाज के घुस्से का, द्वेष का कारण रही है. और उन समुह का यह घुस्सा जायज भी है. लता मंगेशकर ने, गाने मे जो मुकाम हासिल‌ किया था, वह *"भारत के संविधान "* के कारण ही. और डॉ. आंबेडकर जी ने *"हिंदु कोड बिल"* का जो ड्राफ्ट लिखा था, वो स्त्री उत्थान का केंद्रबिंदु कहा जा सकता है.‌..! *"मनुस्मृती"* ने स्त्री को गुलाम बनाया था.‌ अर्थात स्त्री आजादी देनेवाले महापुरुषों के जिवन पर, गीत ना गाना यह लता मंगेशकर की, सबसे बडी गलती रही. यह विषय हम थोडा बाजु में रखकर, हर किसी के निधन पर, शोक मनाया जाता रहा है / और शोक मनाना भी चाहिये. लता मंगेशकर इनके मृत्यु पर, *भारत सरकार हो या, महाराष्ट्र सरकार ने, उस पर शोक मनाया हो, या शासन इतमाम से अंतसंस्कार किया जाना हो,* इसका विरोध नही किया जा सकता. क्यौ की, लता मंगेशकर यह भारत सरकार की मेहमान *(भारतरत्न पुरस्कार / पद्मश्री दादासाहेब पुरस्कार प्रार्थी)* थी.

      सवाल यहा लता मंगेशकर के निधन पर, शासन के प्रतिनिधी द्वारा शोक मनाना हो, या शासन इतमाम से अंतसंस्कार करना हो, इसको हम बाजु मे रखकर, शासन द्वारा सोमवार को (एक दिन की) जो *"दुखवटा सार्वजनीक छुट्टी"* घोषित की गयी है, प्रश्न उस का है.‌ लता मंगेशकर यह अच्छी / नामांकित गायिका थी, यह विवाद का विषय भी नही है.‌ *सरकार ने किसी नामांकित व्यक्ती के मरने पर, "दुखवटा सार्वजनीक छुट्टी" घोषित करने का, जो गलत पायंडा डाला है,* वह भविष्य में कभी दोहराया नही जाना चाहिये. फिर वह विषय, भविष्य में *"भारत के आजी / माजी राष्ट्रपती का हो, या प्रधानमन्त्री"* इनके निधन‌ का भी, क्यौ ना हो...! इसके पिछे बहुत कारण है.‌ किसी मान्यवर के मृत्यु पर, *"दुखवटा सार्वजनीक छुट्टी"* देने से, भारत की *अर्थव्यवस्था* के हानी का संबध है. भारत के *सरकारी कामों के रुकावट* का संबंध है. कोई लोगों के *महत्वपुर्ण काम,* उस दिन ना होने से संबंध है. एक महत्वपुर्ण दिन *"बरबाद"* होने का संबंध है. वक्त अर्थात  *"समय और काल की यह नुकसान भरपाई,"* यह कभी नही भरी जा सकती.‌ विराजीत प्रधानमन्त्री / मुख्यमंत्री इनके यह निर्णय, केवल भावनिक होते है.‌ *"देश / राज्य का प्रशासन चलाते समय, भावनाओं को बाजु में रखने की आवश्यकता है."* राष्ट्र सेवा प्रशासन यह प्रथम प्राथमिकता है.‌ बाकी सब बाद में...! देश सेवा प्रशासन को ताककर, भावनात्मक निर्णय लेते हो तो, यह उन्हे समझना होगा कि, देश यह उनकी या उनके बाप की, कोई *"व्यक्तिगत जागिर"* नही है.‌ *"राष्ट्र के किसी संपत्ती का, हानी पहुचाने का अधिकार"* किसी को भी नही है. *"चाहे वो फिर, देश‌ का राष्ट्रपती हो, या प्रधानमन्त्री हो, या किसी प्रांत का राज्यपाल हो, या तो वो मुख्यमंत्री हो...!"* यह सिख आप सभी पदासिन पदाधिकारी वर्ग ने, समझने की आवश्यकता है. हद तो तब हो गयी, जब *"मा. उच्च न्यायालय"* ने भी, मुंबई समेत / नागपुर / औरंगाबाद / पणजी - गोवा के खंडपीठ के काम *"सोमवार"* को बंद किये है.‌ भले वे शनिवार को, भरने की‌ बात कही है.‌ लता मंगेशकर यह *"बामनी वर्ग"* जुडी होने से, क्या यह निर्णय लिया गया है ? यह प्रश्न है.

     हमारी *"मा. सर्वोच्च न्यायालय,"* यह भारत की *"वॉच डॉग"* है.‌ उनका दायित्व है कि, वह सरकार द्वारा लिए गये, *"गलत निर्णय"* को रोक लगाए / या ऐसे गलत निर्णय ना लेने से अवगत कराए.‌ यहां तो न्यायालय भी, घास खाने जा रही है.‌ इस लिये हमारे समान लेखकों को, *"समाज प्रहरी / देश प्रहरी"* बनना पड रहा है.‌ न्यायपालिका के *"न्यायाधीश नियुक्ती कोलोजीयम"* हटाने की, बहुत आवश्यकता दिखाई दे रही है. क्यौ कि, न्यायालय में नियुक्त न्यायाधीश, वे मेरिट के आधार पर चुने नही जाते. इस लिए, *"संघ लोक सेवा आयोग"* द्वारा IAS / IPS परिक्षा पध्दती के अनुसार *"न्यायाधीश नियुक्ती "* का आयोग हो. अर्थात *"युनियन ज्युडिसिअरी कमिशन"* का गठण किया जाए. और मेरिट के आधार पर, सभी जाती / धर्म के अनुपात में आरक्षण देकर, *"न्यायाधीश वर्ग"* की नियुक्ती हो.‌ ता कि, ना - लायक न्यायाधीश नियुक्त ना हो.‌ *"राम जन्मभुमी मंदिर / बाबरी मस्जिद"* समान, जो गलत जजमेंट दिये गये है, उस पर रोक लगे.‌ *"विकास भारत"* बनाने के लिए, हमें इस ओर जाना होगा.


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