Sunday, 22 January 2023

 👌 *HWPL (H.Q.: Korea) इस विश्व स्तरीय आंतरराष्ट्रिय संघटन की ओर से, २२ जनवरी २०२३ को झुम पर आयोजित, "विश्व शांती शिखर सम्मेलन" इस विषय पर, "आंतरधर्मीय परिसंवाद" कार्यक्रम...!*

* *डा. मिलिन्द जीवने,* अध्यक्ष - अश्वघोष बुध्दीस्ट फाऊंडेशन, नागपुर *(बुध्दीस्ट एक्सपर्ट / फालोवर)* इन्होंने वहां पुछें दो प्रश्नों पर, इस प्रकार उत्तर दिये...!!!


* प्रश्न - १ :

* *क्या आप के शास्त्र, किसी असामान्य "अग्नि " को दर्ज करता है, जो किसी धार्मिक व्यक्ति के शरिर या आत्मा को प्रभावित करता है ? यदि हां, तो कृपया हमें इससे परिचित कराये.*

* उत्तर : - बुध्द ने *"किसी असामान्य अग्नि"* इस संकल्पना पर,  अपने कोई विचार व्यक्त नही किये है. बल्की बुध्द ने, *"मानव का शरिर यह पृथ्वी, आप (जल), तेज (अग्नि), वायु इन चार महाभुतों से, बनने की संकल्पना दी है."* बुध्द ने "आकाश" महाभुत को नकारा है. और उस का कार्य *"चेतना (Vitality)"* द्वारा निरंतर शुरु रहता है. नैसर्गिक नियम के अनुसार, जब यह चेतनाशक्ति शरिर से बाहर निकल जाती है, तब शरिर थंडा होने लगता है. और व्यक्ति निर्जिव (मृत) हो जाता है.

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जब व्यक्ति यह मृत को प्राप्त होता है, तब वह चार ही महाभुत - पृथ्वी, आप (जल), तेज़ (अग्नि), वायु यह अपने समगुण धर्मीय महाभुतों में, विलिन हो जाते है. अग्नी महाभुत अग्नी में, वायु महाभुत वायु में विलिन हो जाता है.‌ योग्य परिस्थिती निर्माण होने पर, पिता का विर्यजंतु तथा माता का रजकण एकत्र आने पर, चेतना का उदय होता है. और जीव निर्मिती होती है.

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बुध्द ने *"आत्मा"* इस भाव को पुर्णत: नकारा है. आत्मा के अजर - अमरत्व को नकारा है. आत्मा नामक अपरिवर्तनशील - अमर कहनेवाली (?) वस्तु, यह मर्त्य शरिर हें रह ही नही सकती.‌ (A permanent thing cannot reside in the impermanent body.)

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बुध्द ने आत्मा के बिना ही पुनर्जन्म संकल्पना की बात कही है. जैसे एक दिपक जलाने पर, दुसरा दिपक जलाया जाने पर, पहिले दिपक ने दुसरे दिपक का संसरण किया है. इस प्रकार पुनर्जन्म का विचार बुध्द कहते है. आत्मा नाम की कोई वस्तु, अस्तित्व में ही नही है.

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बुध्द ने मानव‌ शरिर में, आत्मा को नकारते हुयें *"नाम / रूप"* गुणभाव‌ को माना है. इस संदर्भ में पाली मे गाथा है. 

*"नामं च रुपं च इथ अत्थि सच्चतो,*

*न हेत्थ सत्तो मनुजो इव अभिसंखात*

*दुक्खस्स पुञ्ञो विणकठ्ठसदिसो ||"* (विशुध्दीमग्ग)

(अर्थात : नाम - रूप यह जोडी एकमेक पर आश्रित होती है. जब एक भंग हो जाती है, तब दुसरी भी भंग हो जाती है. और मृत्यु आता है.) 

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बुध्द ने कात्यायन को आत्मा संदर्भ में कहा की, 

*"सब्बं अत्थिति खो कच्चान अयमे को अंतो |*

*सब्बं नत्थिति अयं दुतियो अंता |*

*एत ते उभो अंते अनुपगम्म मज्झेन धम्मं देसेति अविज्जापच्चया संखारा ||"*

(अर्थात :- हे कात्यायना, सभी है (आत्मा नित्य है) यह एक अंत. सभी नही है (आत्मा नही है) यह दुसरा अंत है. इन दोनो अंत से हटकर, बुध्द ने मध्यम मार्ग बताते हुये, आत्मा का अस्तित्व नही है. आत्मा का संसरण नही होता.‌ परंतु जीवन प्रवाह है.‌ यह धर्मोपदेश इषस प्रकार करता है.‌ अविद्या से संस्कार, संस्कार से विज्ञान, इत्यादी. (प्रतित्यसमुत्पाद))

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बुध्द ने प्रतित्यसमुत्पाद नुसार आत्मा (जीव) यह शाश्वत या अशाश्वत वस्तु को नकारते हुये, *"कार्यकारण भाव"* नियम की वकालत की है. उस संदर्भ में पाली में गाथा है.

*"इदं सति इदं होति, इदं असति इदं न होति |"*

(अर्थात : कारण रहा तो, कार्य होता है. कारण ना हो तो, कार्य कभी नही होता.)

इस प्रकार बुध्द ने अपने विचार बताये है. और कोई असामान्य अग्नि की बात को नकारा है.

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बुध्द ने पृथ्वी, आप (जल), तेज (अग्नी), वायु केवल इन चार ही महाभुतों को मानने का कारण, रासायनिक गुणधर्म रहे है.‌ आकाश में कोई रासायनिक गुणधर्म नही होते है. इसलिये उसे महाभुत नही माना है. 

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बुध्द ने *"अग्नि"* इस तत्व को महाभुत मानने के कारण, अग्नि यह तत्व मानव के लिए अविभाज्य पदार्थ है.‌ अग्नि तत्व के बिना मनुष्य जिवीत रह नही सकता. उसी प्रकार अन्य सभी चार महाभुत - पृथ्वी, आप, तेज, वायु का संबंध मनुष्य के जीवन से है. उन महाभुतों के बिना, मनुष्य जीवित नही रह सकता.‌ और उन चार महाभुतों के साथ, *"चेतना (Vitality)"* द्वारा मनुष्य का कार्य,  निरंतर चालु रहता है. 

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बुध्द के दृष्टीकोन से, अग्नि का महत्व, यह मनुष्य के जीवन से संबधित है.‌‌ उसको धार्मिकता से नही जोडा जा सकता.‌ अत: बुध्द ने किसी भी प्रकार के अंधश्रध्दा को, पुर्णत: नकारा है. अत: *"कोई असामान्य अग्नि"* इस विषय का, बुध्द धर्म में, कोई औचित्य ही नही है. 


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* परिचय : -

* *डाॅ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*

    (बौध्द - आंबेडकरी लेखक /विचारवंत / चिंतक)

* मो.न.‌ ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२

* राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल

* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी वुमन विंग

* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी एम्प्लाई विंग

* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी ट्रायबल विंग

* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी वुमन क्लब

* अध्यक्ष, जागतिक बौध्द परिषद २००६ (नागपूर)

* स्वागताध्यक्ष, विश्व बौध्दमय आंतरराष्ट्रिय परिषद २०१३, २०१४, २०१५

* आयोजक, जागतिक बौध्द महिला परिषद २०१५ (नागपूर)

* अध्यक्ष, अश्वघोष बुध्दीस्ट फाऊंडेशन नागपुर

* अध्यक्ष, जीवक वेलफेयर सोसायटी

* माजी अध्यक्ष, अमृतवन लेप्रोसी रिहबिलिटेशन सेंटर, नागपूर

* अध्यक्ष, अखिल भारतीय आंबेडकरी विचार परिषद २०१७, २०२०

* आयोजक, अखिल भारतीय आंबेडकरी महिला विचार परिषद २०२०

* अध्यक्ष, डाॅ. आंबेडकर आंतरराष्ट्रिय बुध्दीस्ट मिशन

* माजी मानद प्राध्यापक, डाॅ. बाबासाहेब आंबेडकर सामाजिक संस्थान, महु (म.प्र.)

* आगामी पुस्तक प्रकाशन :

* *संविधान संस्कृती* (मराठी कविता संग्रह)

* *बुध्द पंख* (मराठी कविता संग्रह)

* *निर्वाण* (मराठी कविता संग्रह)

* *संविधान संस्कृती की ओर* (हिंदी कविता संग्रह)

* *पद मुद्रा* (हिंदी कविता संग्रह)

* *इंडियाइझम आणि डाॅ. आंबेडकर*

* *तिसरे महायुद्ध आणि डॉ. आंबेडकर*

* पत्ता : ४९४, जीवक विहार परिसर, नया नकाशा, स्वास्तिक स्कुल के पास, लष्करीबाग, नागपुर ४४००१७

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