👌 *वो भीम की बात है...!!!*
*डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
मो.न. ९३७०९८४१३८
मन शांती की बुंद को, अब हम तरसे है
संविधान की नाद में, वो भीम की बात है...
मोदी योगी भोग में, जन मन ये भुखा है
खाकी वादी राज में, नंगो को ही ताज है
गांधी की बला का, बसं ये एक नमुना है
आगे आगे तुम देखो, गुलामी का मातम है...
कोरोना की नाम में, रोना शब्द लिखा है
ये राज ना समझना, तुम्हारा ही अज्ञान है
युं ही पागल बनकर, उसके पिछे भागे है
देव देवी नाम पर, युं ही तुम बली चढें है...
अरे कई सालों पहले, बुध्द बता गये है
चेतना के अंकुर को, वो फुलाकर गये है
विद्या वादी होकर भी, भोंदूगिरी में फसें है
राजनीति चक्कर में, स्वयं गुलाम बने है...
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