Saturday, 5 June 2021

Nitin Gajbhiye, cheater of Fradulant case.

 👺 *महाठग चिटर नितिन गजभिये द्वारा मिडिया में फैलाया गया हुआ विदेश का एक असंबद्ध पत्र संदर्भ...!* (भाग - ४)

‌‌    *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* नागपुर १७

    राष्ट्रीय अध्यक्ष,सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल

    मो.न. ९३७०९८४१३८/९८९०५८६८२२

   

      महाठग चिटर अर्थात मि. नटवरलाल - नितिन गजभिये, धम्म जैसे पवित्र कार्यो में, अपनी ठगी मानसिकता से बाज नहीं आयें. और वो धम्म को व्यापार स्वरुप समझ बैठा.‌‌ वही हमारे अपने *"कुछ अज्ञानी लोग* भी, नाम / फोटों के लिए महाठग के साथ जुडे दिखाई देतें है. कुछ स्वार्थी मानसिकता के *"बनिया अबौध्द लोग,"* उस महाठग से जुडे़ हो तो, उन हिन लोगों की *"स्व-फायदे की कु-सोचं‌,"* यह हमे समझ में आ जाती है. अत: उन *"अज्ञानी साथी महाशय"* तथा महाठग के वो प्रवृत्ति को देखकर, "धम्मपद" में लिखी एक गाथा का, मै संदर्भ देता हुं...

* "न भजे पापके मित्ते न भजे पुरिसाधमे I

भजेथ मित्ते कल्याणे भजेथ पुरिसुत्तमे II"

*(अर्थात :- बुरे मित्रे का साथ न करे. न अधम पुरुषों का सेवन करे. अच्छे मित्रो की संगति करे. उत्तम पुरुषों की संगति करें.)*

    वही महाठग मि. नटवरलाल नितिन द्वारा, धम्म को व्यापार समझकर, जो गंदगी डालने की, कुछ अ-कोशिश की. उस अनैतिक भाव के दुष्परिणाम संदर्भ पर, "धम्मपद" मे लिखी गयी गाथा इस प्रकार है....

*मधुआ मञ्ञति बालो याव पापं न पच्चति I

यदा च पच्चति पापं अथ बालो दुक्खं निगच्छति II"

*(अर्थात :- जब तक पाप का फल नहीं मिलता, तब तक अज्ञ व्यक्ति उसे मधु के समान मिठा समझता है. किन्तु जब उसका फल (पाप कर्म) मिलता है, तब  दु:ख को प्राप्त होता है.)*

       उपरोक्त संदर्भ देने का कारण यह की, महाठग नितिन गजभिये के *"नटवरलाली किस्सों"* पर, मैने तिन भाग पर लिखने के पश्चात भी, वो महाठग स्वयं को *"पुर्णशुध्द पुरुष"* समझकर, उसके द्वारा किये गये दुष्कृत्य पर, सफाई ना देते हुये उसने मेरे संदर्भ में, कुछ असंबद्ध पोष्ट मिडियापर शेअर की देखी गयी.‌ अत: पहले उसका खुलासा करना, मेरा दायित्व समझता हुं. मेरी *"जीवक वेलफेयर सोसायटी"* द्वारा, आंतरराष्ट्रिय स्तर पर अच्छे कार्य करनेवाले मान्यवरों को, *"प. पु. डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर आंतरराष्ट्रिय पुरस्कार "* देकर सन्मानित किया गया है / जाता है. वह महानुभव है - *"परम पावन बुध्द मैत्रेय एवं मंदारावा तारा - अमेरिका (२०१४) /मदर पार्क चुंग सु - कोरिया (२०१२) / भदंत सोमरतन थेरो - श्रीलंका (२००८) / डॉ. नरेंद्र जाधव - माजी प्लनिंग कमिशन मेंबर (२०१०) / श्याम तागडे - IAS (२०११) / डॉ. अरविंद आलोक - नयी दिल्ली (२००६) / डॉ. मुंसिलाल गौतम - IAS (२००९) / योगेश वराडे -  अमेरिका (२००५) / डॉ. सी. डी. नायक - माजी कुलगुरु महु, म.प्र. (२००७)"* तथा मेरी ही धार्मिक क्षेत्र की संस्था - *"अश्वघोष बुध्दीस्ट फाऊंडेशन"* की ओर से, केवल भिक्खु / लामा स्तरीय मान्यवरों को दिया जानेवाला, *"शाक्यमुनी बुध्दा आंतरराष्ट्रिय पुरस्कार"* से सन्मानित मान्यवर है - *"पुज्य भदंत नागार्जुन सुरेई ससाई (२००६) / परम पावन बुध्द मैत्रेय - अमेरिका (२०१६) / परम पावन १७ वें कर्माप्पा लामा - तिब्बत (२०११) / परम पावन ३७ वें केबगान चट्संग - तिब्बती (२०१३) / पुज्य भदंत बनागल उपातिस्स नायका महाथेरो - महाबोधी सोसायटी, श्रीलंका (२०१०) /  पुज्य भदंत संघसेन - लद्दाख (२०१५) / पुज्य भिक्खुनी धम्मानंदा - थायलंड (२०१२)"* आदी आंतरराष्ट्रिय नामांकित मान्यवरों को देकर, सन्मानित किया गया है.‌ इसके साथ ही सामाजिक / पत्रकारीता / शिक्षण / साहित्य / कामगार / उद्दोग / धार्मिक क्षेत्र में कार्यरत, नामांकित मान्यवरों को *"राष्ट्रीय पुरस्कार "* देकर, सन्मानित भी किया गया है‌ / और जाता है.

    सदर आंतरराष्ट्रिय पुरस्कार से सन्मानित एक बडे मान्यवर के संदर्भ में, *"मैत्रीयाना बुध्दीस्ट क्यमुनिटी"* कें, *मास्टर मैत्रेय सम्यकसंबुध्द* इन्होने आपत्ती लेकर उन्होंने, सदर *"एक पुरस्कर्ता मान्यवर पर, बुध्दीस्ट कानुन‌ का उल्लंघन करना / आध्यात्मिक धोकादारी / बौध्द धर्म में उनका झुठापन यह आरोप लगाते हुये, मुझे (डाॅ. मिलिन्द जीवने) उनका दिया गया आंतरराष्ट्रिय पुरस्कार, यह वापस लेने की बात कही."* परंतु उस संदर्भ मे मुझे कोई भी सबुत नही भेंजे. तब मैने उन्हे कहा कि, *"मै भारत के कानुन से केवल बांधिल हुं. बुध्द धम्म से विपरीत, मेरा कोई भी कार्य नहीं है."* अत: उन के असंबद्ध मांग का अनुपालन करने में, मैने अपनी असमर्थता जताई. तब उन्होने स्वयं अपने को, *"International Buddhist Ethics Committee & Buddhist Tribunal of Human Rights"* का न्यायाधीश समझते हुये, उन्होने मुझे भी इसलिये दोषी मानते हुये, उन्होंने इंटरनेट मिडिया में, एक *"अवैध आदेश"* जारी कर वह लोड किया.‌ प्रश्न यह है कि, *क्या उस स्वयं घोषीत ट्रिब्यूनल को, जागतिक मान्यता प्राप्त है..?* या समस्त विश्व में कार्यरत बुध्दीझम के बहुत से पंथ / संप्रदाय इन्होने, उस ट्रिब्यूनल को मान्यता प्रदान की है...? अगर यह नही हो तो, संबधित बौध्द आचार्य / न्यायाधीश द्वारा, बौध्द धम्म का पवित्र ग्रंथ, *"विनय पिटक"* का वह उल्लंघन नहीं होगा...??? और उस असंबद्ध कोर्ट का अनैतिक आदेश‌ की पोष्ट, ये महाठग चिटर नितिन गजभिये पोष्ट करते, दिखाई दे रहा है.

    महाठग चिटर - नितिन गजभिये और एक दुसरी मेरे संदर्भ में पोष्ट कर रहा है. वह है - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख *डाॅ. मोहन भागवत और मेरे (डॉ. मिलिन्द जीवने)* एक कार्यक्रम की फोटो. उनके साथ सदर फोटो से, मेरे आंतरराष्ट्रिय कामों की उंचाई दिखाई‌ देती है. मै बौध्द धम्म प्रचारक हुं. कोई राजकिय नेता नहीं हुं. नां ही किसी, आंबेडकरी विरोधी राजकिय दल में, नां मै पदाधिकारी हुं.‌ ना मंत्री हुं. ना सांसद हुं.‌ ना ही विधायक हुं. यह भी बात नहीं की, *"उन पदों पर जाना, मेरे लिए कोई असंभव बात थी या है...! अगर चाहतां तो, मै वह बन भी सकता था. परंतु मैने उन पदों से, दुरी बनाई रखी है...!"* खैर छोडो, अनाडी लोग इस विषय को, कभी भी नही समझ सकते है.‌ नितिन गजभिये (दसवी पास) की जिंदगी, यह पेंट्रोल पंप में पेट्रोल भरनेवाले से शुरु होकर, लोगों को टोपी पहनाकर, उनके पैसों से ऐसो आराम करने की रही है. धम्म पर विचार रखने की, उसकी योग्यता भी नहीं है‌. और अब महाराष्ट्र शासन ने उसके महाठगी पर, कार्यवाही करना शुरु कर दिया है. और वो जल्द ही, पुलिस की हिरासत में होगा.‌ आगे जाकर प्लाट धारक भी, पुलिस में रिपोर्ट दायर करेंगे...! वही महाठग चिटर - नितिन के साथ जुडे *"किसी भी सहपाठी"* की, लायकता अब हमे बताने की जरूरत भी नही है...! वह हमारी संज्ञान जनता समझ गयी है....!!!


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