🌿 *लाजवंती का 'लाजफुल'....!*
*डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
मो.न. ९३७०९८४१३८
ये कुदरत,
तुम्हे मेरा ये जय भीम है
निवडुंग हो या लाजवंती
इन काटोंभरी क्षुपों में
विभिन्न गुलाब फुलों की तरह
प्यार की मोहक सुंदरता
युं ही फुला दी मेरे बगियन में...
ये लाजवंती को
युं प्यार से स्पर्श कर दे तो
वह शरमा जाते ही
लाजवंती का 'लाजफुल'
वह मुस्कुराहट देकर
अपने गुलाबीपन को
स्वयं ही गुलाब कह जाता है...
वही विभिन्न फुलों के संग
खिले इस गुलाब फुल ने
खुद को राजा कहते ही
मुझे भी लगा "मै भी राजा हुं"
अपने मन का, अपने तन का
गुलाम किसी का भी नहीं
मै आझाद पंछी बन जाता हुं...
वही मेरे आंगन के
बुध्द की स्मित मुद्रा देखकर
इन फुलों के खिलने
मोहक सुंदरता का राज
युं ही मै समज जाता हुं
वही तितली संग मैत्री देखकर
प्यार भरा संगित सुनते जाता हुं...
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