Wednesday, 21 September 2022

 👌 *नागपुर में ३ अक्तुबर में आयोजित आंतरराष्ट्रिय बौध्द परिषद: एक विवाद !*

   *डाॅ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*, नागपुर १७

* अध्यक्ष, जागतिक बौध्द परिषद २००६ नागपुर (भारत)

* राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल

* मो. न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२


      *गगन मलिक फाऊंडेशन* इस स्व-नाम प्रदर्शित द्वारा आयोजित, २ अक्तुंबर २०२२ की *"आंतरराष्ट्रिय बौध्द परिषद २०२२"* के आयोजन पर, लोकमत दिनांक ११ सितंबर २२ की खबंर पढते ही, समुचे जगह से बडी उलट सुलट चर्चा हो रही है. सदर परिषद में मुख्यमंत्री *एकनाथ शिंदे* तथा उपमुख्यमंत्री *देवेंद्र फडणवीस* यह *"प्रमुख अतिथी"* के तौर पर रहेंगे तथा *"अध्यक्षता"* रा. तु. म. नागपुर विद्यापीठ के उपकुलपती *डाॅ. सुभाष चौधरी* इन अबौध्द महानुभावों को, निमंत्रित करने की खबर गगन मलिक फाऊंडेशन के अध्यक्ष *गगन मलिक* तथा नागपुर विद्यापीठ के माजी कुलसचिव तथा अच्छे मित्र *डाॅ. पुरणचंद्र मेश्राम* इन्होने पत्र परिषद लेकर, मिडिया को बतायी थी. कोई भी बौध्द परिषद चाहे वो आंतरराष्ट्रिय हो या, राष्ट्रिय परिषद हो, उसका तो स्वागत करना चाहिये. परिषद आयोजन का विरोध करने का औचित्य नही होना चाहिये. *परंतु इस आंतरराष्ट्रिय बौध्द परिषद का विरोध क्यौं हुआ है...?* इसकी भी सही कारण मिमांसा को हमे समझना होगा...! *परिषद यह बौध्द समुह के नाम की है. और प्रमुख अतिथी तथा परिषद अध्यक्षता की कमान यह बौध्द के हाथो...!!!* अब सवाल यह है कि, क्या हमारे बौध्द समुह के विचारविद / मान्यवर मृतपाय हो चुके है...? या इस बौध्द परिषद में, सहभाग लेनें में वो लायक नही है ...? उपर से परिषद यह बौध्द धर्म से जुडी हुयी है. और राजकिय नेताओं का जमघट ...! इस विरोध को, क्या हम युं ही सहज ले...???

    इस के अलावा विविध राजकिय क्षेत्र से - भाजपा नेता तथा केंद्रिय मंत्री *नितिन गडकरी* / रिपब्लिकन नेता *प्रा. जोगेंद्र कवाडे, एड. सुलेखा कुंभारे* / कांग्रेस नेता माजी सांसद *विजय दर्डा, नाना पटोले* / भाजपा विधायक *चंद्रशेखर बावनकुले* यह मान्यवर भी उपस्थित रहने की, वह खुश (?) खबर थी. जब बौध्द समुहों का विरोध बढा तो, आयोजकों ने अपना पल्ला झाडते हुये, *जैसा गिरगिट अपना असली रंग बदल देता है, वैसे ही...!* और नागपुर विद्यापीठ के बुध्दीस्ट विभाग को आगे करते हुये, वह बौध्द परिषद को *"एकडेमिक परिषद"* का दर्जा दिया गया. क्या कोई भी धर्म परिषद को, हमे एकडेमिक परिषद से जोडना उचित होगा...? अगर हम सदर परिषद को, *एकडेमिक से जोडते हो तो, बौध्द धम्म प्रसार - प्रचार का अधिकृत केंद्र सदर विद्यापीठ को बनाने में, क्या हमे नागपुर विद्यापीठ अनुमती देगा ?* यह दुसरा अहमं प्रश्न है. अगर इसका उत्तर सकारात्मक होगा तो, हमे नागपुर विद्यापीठ से, बौध्द धम्म का खुले आम प्रसार - प्रचार करने मे, हमे कोई नही रोक सकता...! और नागपुर विद्यापीठ के उपकुलपती *डाॅ. सुभाष चौधरी* की इतनी हिम्मत भी नही होगी, जो यह मिशन चलाने में रोक पाये...! तिसरा अहं प्रश्न, सदर बौध्द परिषद के लिए, *नागपुर विद्यापीठ ने कितने लाख का बजट प्रावधान किया है ?* यह सभी बातें समस्त जनता के सामने खुली होना जरुरी है...!

    अभी हम इस परिषद के अध्यक्ष *डाॅ. सुभाष चौधरी*  इन अबौध्द महानुभाव अर्थात नागपुर विद्यापीठ के उपकुलपती *डाॅ. सुभाष चौधरी* इनकी बौध्द धम्म के ज्ञान की पात्रता भी हमे देखना होगी. *क्या वे महानुभाव, हमारे बौध्द समुहों के पाच विचारविद के समक्ष, बौध्द धम्म पर खुली वार्तालाप करने को तैयार है....?* अगर हां तो, इस का भी एक प्रयोजन होना चाहिये.‌ अब हम गगन मलिक फाऊंडेशन के अध्यक्ष *गगन मलिक* इनके संदर्भ में चर्चा करेंगे. गगन मलिक का अस्तित्व केवल *"बुध्द मुव्ही का नायक"* इतना ही सिमित है. *"विदेशों से गगन मलिक के माध्यम से, मुफ्त में जो बुध्द मुर्तीया आ रही है, वह बुध्द मुर्तीया बेचने का बडा व्यापार, दलाल - महाठग नितिन गजभिये इनके माध्यम से, खुले आम किया जा रहा है."* उस की किंमत भी तय है. एक से देड फिट की बुध्द मुर्ती रू ३००० - ५०००/- तिन फिट की बुध्द मुर्ती की किंमत रू २५,००० - ३०,०००/- छह फिट की बुध्द मुर्ती रू ५०,००० - ६०,०००/- दस फिट की बुध्द मुर्ती रू ८०,००० - ९०,०००/- इस सत्यता को, गगन मलिक कभी भी नकार नही सकता...! इस का कारण बताया भी जाता है - एक्स्पोर्ट / जीएसटी / ट्रव्हलिंग...? विदेशी मान्यवर वह मुर्ती भारत में, उनके पैसों से भेजते है. दान वस्तुओं पर कोई चार्ज होता ही नही है...! दुसरा अहमं यह प्रश्न है की, *विदेशों से वह बुध्द मुर्तीया गगन मलिक फाऊंडेशन, इस नाम से कभी आयी ही नही है...!* क्यौं कि, गगन मलिक फाऊंडेशन यह पंजीकृत संस्था नही है. फिर वह बुध्द मुर्तीया भारत में किस के नाम से आयी है...? इन सभी आयोजकों का, इस मुर्ती व्यापार में कितनी भागिदारी है ? *क्या वह काला माल, सफेद करने का यह कोई षडयन्त्र तो नही...!*

     अभी अभी आयोजकों ने ६० विद्यापीठ प्राध्यापक प्रतिनिधी / संघटनों की मिटिंग बताकर, सदर परिषद को बडा जनाधार होने की खबर छापी है. अब कुलगुरु की अध्यक्षता बतायी गयी हो तो, महाविद्यालय प्राध्यापक इनकी जी हुजुरी, क्या बडा विषय हो सकता है...? अहमं सवाल यह है कि, *"इस आंतरराष्ट्रिय परिषद का अबौध्द अध्यक्ष, बुध्दीझम पर क्या नया विचार सिखानेवाला है...?"* क्यौं कि, सदर वह आयोजित बौध्द परिषद यह धम्म कम और एकडेमिक परिषद जादा है...!


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