⏰ *ये समय की घडी.....!*
*डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
मो.न. ९३७०९८४१३८
ये समय की घडी भी
क्या गजब की चिज है
जब मुझे कहीं जाना होता है
और मैं उस सही समय का
इंतजार करते रहता हुं
तब यह घडी धीरे धीरे चलते
अकसर मुझे नज़र आती है
और मैं बेचैन सा हो जाता हुं ...
परंतु जब मैं आराम करते रहता हुं
और उस पल सोचते रहता हुं
चलो, बडे अच्छे से आराम करे
तब ये जालिम समय की घडीं
बडे ही जोरों सें चलते हुये
मुझे नज़र आती है
और मैं परेशान हो जाता हुं...
वही बात मेरे अपनों की है
उनके साथ समय बिताना होता है
ये समय को रोक पाना भी
ना मेरे बस में है, ना किसी के
फिर भी हम ये समय को
युं ही पार कर जाते है...
कभी किसी के इंतजार मेंं
तो कभी समाज को
दावं पर युं ही लगाकर
ये गंधी राजनीति के बाजार में
युं ही काल को बेंचते हुये
जैसे की तु
बाजार बिकाऊं हो गयी हो...
आज मुझे इंतजार है उस का
नयी दिशा, नया पल,
नया मन, नया राज का
बसं, तुम चले आओं
युं ही सात रंगों में सज धजकर
ये समाज को जगाने - चेताने के लिए ...!
* * * * * * * * * * * * * * *
*डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
मो.न. ९३७०९८४१३८
ये समय की घडी भी
क्या गजब की चिज है
जब मुझे कहीं जाना होता है
और मैं उस सही समय का
इंतजार करते रहता हुं
तब यह घडी धीरे धीरे चलते
अकसर मुझे नज़र आती है
और मैं बेचैन सा हो जाता हुं ...
परंतु जब मैं आराम करते रहता हुं
और उस पल सोचते रहता हुं
चलो, बडे अच्छे से आराम करे
तब ये जालिम समय की घडीं
बडे ही जोरों सें चलते हुये
मुझे नज़र आती है
और मैं परेशान हो जाता हुं...
वही बात मेरे अपनों की है
उनके साथ समय बिताना होता है
ये समय को रोक पाना भी
ना मेरे बस में है, ना किसी के
फिर भी हम ये समय को
युं ही पार कर जाते है...
कभी किसी के इंतजार मेंं
तो कभी समाज को
दावं पर युं ही लगाकर
ये गंधी राजनीति के बाजार में
युं ही काल को बेंचते हुये
जैसे की तु
बाजार बिकाऊं हो गयी हो...
आज मुझे इंतजार है उस का
नयी दिशा, नया पल,
नया मन, नया राज का
बसं, तुम चले आओं
युं ही सात रंगों में सज धजकर
ये समाज को जगाने - चेताने के लिए ...!
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