*शासकीय क्रिडा संकुल नागपुर में आयोजित विभिन्न क्रिडा स्पर्धा में सम्मिलीत स्पर्धकों का भारी सफोकेशन ...! अगर किसी बच्चों की मृत्यु हुयी तो, जबाबदार कौन ?*
आज अचानक मेरा छिंदवाडा रोड नागपुर कें *क्रिडा संकुल सभागृह"* में जाना हुआ. जहाँ पर जिला क्रिडा आधिकारी, नागपुर नें *"आंतर स्कुल कराटे स्पर्धा"* का आयोजन किया है. वहा २००० के आसपास ही समस्त नागपुर जिले से विभिन्न स्कुल के कराटे पटु सुबह ९.०० बजे से मँच कब होगी, यह राह देखते हुये, नजर आ रहे थे. अंत मे वह स्पर्धा दोपहर १.०० बजे के आसपास शुरू हुयी. *"उधर उस क्रिडा संकुल मे ए. सी. होकर भी वह शुरू नही किया गया..! ना वहा कोई पंखे थे. सफोकेशन होने से, ना वहा खेल रही थी. बच्चे के शरीर से पछीना छुट रहा था. वही बच्चों को माता - पिता - शिक्षक भी परेशान थे...!"* वह परेशानी देखकर मुझे रहा नही गया. और मै जिला क्रिडा अधिकारी अविनाश पुंड से मिलने चला गया. वे ऑफिस में आये नही थे. अत: एक अधिकारी से उनका मोबाईल नंबर लेकर, फोन करने लगा. पंरतु फोन से संपर्क ही नही हो रहा था. बाद मे क्रिडा अधिकारी अरूण बुटे से बात किया. वे कहने लगे कि, इन स्पर्धा के लिए बजेट मे ए. सी. का कोई प्रावधान ही नही है. अत: मै उप संचालक सुभाष रेवतकर से भी मिलने पंहुचा. वे भी अपने दप्तर नही दिखाई दिये. अंत में उन से भी, मोबाईल से संपर्क करने की भी कोशिश की. उन का मोबाईल भी संपर्क क्षेत्र से बाहर बता रहा था. उस क्रिडा संकुल की जबाबदारी लेनेवाला कोई वाली ही नही था.
अगर *"उस सफोकेशन से कोई बच्चें को ऐटक आया, या कोई बच्चे की मृत्यु हुयी, तो इसके लिए जबाबदार कौन ?"* शासन भारतीय लोगों से टँक्स वसुल करता है. और देश भी उसी पैसे से चलता है. यहाँ मंत्री, अधिकारी वर्ग पगार आदी के मनमानी खर्च कर जाता है. पर हमारे खिलाडीओं के कोई अच्छी सुविधाएँ नही. तो हम अच्छे खिलाडी, देश को कैसे दे सकते है ? फिर उस क्रिडा संकुल सभागृह बनाने का औचित्य क्या है...? क्या इन सारी सुविधा के लिए भी हमे आंदोलन करना होगा ...!!!
*डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
राष्ट्रिय अध्यक्ष,
सिव्हील राईट्स प्रोटेक्शन सेल
मो.न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२
आज अचानक मेरा छिंदवाडा रोड नागपुर कें *क्रिडा संकुल सभागृह"* में जाना हुआ. जहाँ पर जिला क्रिडा आधिकारी, नागपुर नें *"आंतर स्कुल कराटे स्पर्धा"* का आयोजन किया है. वहा २००० के आसपास ही समस्त नागपुर जिले से विभिन्न स्कुल के कराटे पटु सुबह ९.०० बजे से मँच कब होगी, यह राह देखते हुये, नजर आ रहे थे. अंत मे वह स्पर्धा दोपहर १.०० बजे के आसपास शुरू हुयी. *"उधर उस क्रिडा संकुल मे ए. सी. होकर भी वह शुरू नही किया गया..! ना वहा कोई पंखे थे. सफोकेशन होने से, ना वहा खेल रही थी. बच्चे के शरीर से पछीना छुट रहा था. वही बच्चों को माता - पिता - शिक्षक भी परेशान थे...!"* वह परेशानी देखकर मुझे रहा नही गया. और मै जिला क्रिडा अधिकारी अविनाश पुंड से मिलने चला गया. वे ऑफिस में आये नही थे. अत: एक अधिकारी से उनका मोबाईल नंबर लेकर, फोन करने लगा. पंरतु फोन से संपर्क ही नही हो रहा था. बाद मे क्रिडा अधिकारी अरूण बुटे से बात किया. वे कहने लगे कि, इन स्पर्धा के लिए बजेट मे ए. सी. का कोई प्रावधान ही नही है. अत: मै उप संचालक सुभाष रेवतकर से भी मिलने पंहुचा. वे भी अपने दप्तर नही दिखाई दिये. अंत में उन से भी, मोबाईल से संपर्क करने की भी कोशिश की. उन का मोबाईल भी संपर्क क्षेत्र से बाहर बता रहा था. उस क्रिडा संकुल की जबाबदारी लेनेवाला कोई वाली ही नही था.
अगर *"उस सफोकेशन से कोई बच्चें को ऐटक आया, या कोई बच्चे की मृत्यु हुयी, तो इसके लिए जबाबदार कौन ?"* शासन भारतीय लोगों से टँक्स वसुल करता है. और देश भी उसी पैसे से चलता है. यहाँ मंत्री, अधिकारी वर्ग पगार आदी के मनमानी खर्च कर जाता है. पर हमारे खिलाडीओं के कोई अच्छी सुविधाएँ नही. तो हम अच्छे खिलाडी, देश को कैसे दे सकते है ? फिर उस क्रिडा संकुल सभागृह बनाने का औचित्य क्या है...? क्या इन सारी सुविधा के लिए भी हमे आंदोलन करना होगा ...!!!
*डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
राष्ट्रिय अध्यक्ष,
सिव्हील राईट्स प्रोटेक्शन सेल
मो.न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२
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