Sunday, 24 July 2022

Dr. Milind Jiwane's speech of HWPL H.Q. : Korea at Interfaith confrence on 24th July 2022

 👌 *HWPL (H.Q.: Korea) इस विश्व स्तरीय आंतरराष्ट्रिय संघटन की ओर से, २४ जुलै २०२२ को झुम पर आयोजित, "आंतरधर्मीय परिसंवाद" कार्यक्रम...!*

* *डा. मिलिन्द जीवने,* अध्यक्ष - अश्वघोष बुध्दीस्ट फाऊंडेशन, नागपुर *(बुध्दीस्ट एक्सपर्ट / फालोवर)* इन्होंने वहां पुछें दो प्रश्नों पर, इस प्रकार उत्तर दिये...!!!


* प्रश्न - १ :

* *आप के धर्म में किस प्रकार भक्ती का अभ्यास किया‌ जाता है ?*

* उत्तर : - बुध्द धम्म में भक्ती इस नाम का रूढीवादी प्रकार दिखाई नही देता. बुध्द धर्म में बुध्द मुर्ती के सामने मोमबत्ती / अगरबत्ती जलाकर, *पुजा* की जाती है. और *"बुध्द वंदना"* ली जाती है. लेकीन बुध्द को *"देव"* रुप में नही देखा जाता. बुध्द ने कहा है, *"अत्त दिपो भव !"* अर्थात अपना दिप स्वयं बनो.‌ बुध्द धम्म में *"धम्म दीक्षा"* देने की बात कही है. बुध्द धम्म में *"उपसंपदा"* है. बुध्द धम्म में *"प्रवज्या"* भी है.

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 इतना ही नही, बुध्द ने अपने भिक्खु संघ को कहा है, *"चरथ भिक्खवे चारिकं, बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय, लोकानुकंपाय अत्थाय, हिताय, सुखाय देवमनुस्सानं, देसेत्थ भिक्खवे धम्मं, आदि कल्याणं मज्जेकल्याणं परियोसान कल्याणं, सात्थं सव्यंजनं केवल परिपुण्णं परिसुध्दं ब्रम्हचरियं पकासेथ |"* (अर्थात - भिक्खुओं, बहुजन के हित के लिए, बहुजन के सुख के लिए, लोगों पर अनुकंपा कर, देव (श्रेष्ठ पुरुष) एवं मनुष्यों के लिए प्रथमत: कल्याणप्रद, मध्य मे कल्याणप्रद तथा अंत मे कल्याणप्रद ऐसे धम्म मार्ग का अर्थ एवं भावसहित शुध्द ऐसे   धर्म का ब्रम्हचर्य पालन कर प्रकाशमान करो.)

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बुध्द ने स्वयं को *"देव"*‌(God) नही माना. बुध्द कहते है कि, वे सत्य के "उपदेशक" है. केवल मार्गदाता है. वे मोक्षदाता नही है. इस संदर्भ में धम्म पद मे एक गाथा है.

 *"तुम्हेहि किच्चं आतप्पं, अख्यातारो तथागत |पटिपन्ना पमोक्खन्ति झायिनो मारबंधना ||*

 (अर्थात - तुम्हारे कार्य के लिए, तुम्हे ही उद्दोग करना है.‌ बुध्द का कार्य केवल मार्ग‌ दिखाना है.‌ आप को उस मार्गपर आरूढ होकर, ध्यानमग्न होकर, मार के बंधनों से मुक्त होना है.)

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बुध्द धर्म में जो वंदना ली जाती है, उस का सार इस प्रकार है.

*सब्ब पापस्स अकरणं, कुसलस्य उपसम्पदा |*

*सचित्त परियो दपनं, एतं बुध्दान सासनं ||*

(अर्थात - सभी अकुशल कर्म को ना करना, कुशल कर्म करना, चित्त को परिशुद्ध करना, यही बुध्द की शिक्षा है.  यही बुध्द का शासन है.)

अर्थात बुध्द धर्म में भक्तीभाव यह रुढीवादी संकल्पना नही है.


* * * * * * * * * * * * * * * * 

* प्रश्न - २ :

* *क्या आप के शास्त्रों में अनुयायियों के स्वयं को समर्पित करने के कारण और भक्ति करने के प्रतिफल के बारें मे अभिलेख है ?*

* उत्तर :- बुध्द धर्म में, अनुयायियों स्वयं को भक्ति में समर्पित करना / भक्ति करने के प्रतिफल के बारे में, रुढीवाद विचारों को मान्यता नही दी है. बुध्द धर्म में, *"कुशल कर्म करने की, अकुशल कर्म ना करने की, चित्त को परिशुद्ध करने की बातें कही गयी है."* उस संदर्भ में पाली गाथा पहिले प्रश्न में, मैने आप को बतायी है.

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बुध्द धर्म मे, भक्ती में समर्पित होने को नकारते हुये, उद्दोगशील रहने की, कुशल कर्म करने की बातें कही है. उस संदर्भ में धम्म पद में पाली गाथा है.

*उठ्ठानवत्तो सतिमतो, सुचिकम्मस्स निसम्मकारिनो |*

*सञ्ञतस्स च धम्मजीविनो, अप्पमत्तस्स यसोभिवङ्ढति ||*

(अर्थात - उद्दोगी, जागरुक, शुभ कर्म‌ करनेवाला, सोच समझकर कर्म करनेवाला, धर्मानुसार जीविका चलानेवाला, अप्रमादी मनुष्य यश और वृध्दी को पाता है.)

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बुध्द धर्म मे अकुशल कर्म / पाप कर्म ना करने की सलाह दी है. उस संदर्भ में धम्म पद में पाली गाथा इस प्रकार है. 

*मधुवा मञ्ञति बालो याव पापं न पच्चति |*

*यदा च पच्चति पापं अथ बालो दुक्खं निगच्छति ||*

(अर्थात - जब तक पाप का फल नही मिलता, तब तक अज्ञ व्यक्ति यह पाप को, मधु के समान मिठा समझता है. किंतु जब उसका फल मिलता है, तब वो दु:ख को प्राप्त होता है.)

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बुध्द धर्म में, अच्छे फल की प्राप्ती / सुखमय - शांतीमय जीवन पाने के लिए, धम्म पद मे गाथा इस प्रकार है.

*अभिवादनसीलिस्स निच्चं वध्दापचायिनो |*

*चत्तारो धम्मा वड्ढन्ति आयु वण्णो सुखं बलं ||*

(अर्थात - जो नित्य बडों का आदर करता है, अभिवादनशील है, उसकी आयु, वर्ण, सुख और बल में वृध्दी होती है.)

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बुध्द धर्म में अनुयायियों को पाप कर्म ना करने की सलाह दी है. उस संदर्भ मे धम्म पद मे गाथा इस प्रकार है.

*पापञ्चे पुरिसो कयिरा न तं कयिरा पुनप्पुनं |*

*न तम्हि छन्द कयिराथ दुक्खो पापस्स उच्चयो ||*

(अर्थात - मनुष्य से यदी पाप हो जाय तो, उसे बार बार ना करे. उस में रत ना हो जाए.‌ क्यौ कि पाप का संचय दु:खदायक होता है.)

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बुध्द धर्म में अकुशल कर्म करने / पाप कर्म करने के दुष्परीणाम के बारे में, धम्म पद मे गाथा इस प्रकार है.

*पापोपि पस्सति भद्रं याव पापं न पच्चति |*

*यदा च पच्चति पापं अथ पापो पापानि पस्सति ||*

(अर्थात - जब तक पाप का परिणाम सामने नही आता, तब  तक पाप भी अच्छा लगता है. जब पाप का अपना परिणाम देना सुरु कर देता है, तब पापी को समझ में आयेगा कि, मैने क्या कर दिया.)

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बुध्द धर्म में अनुयायियों को अपने आचरण एवं कृति के बारे में, धम्म पद में इस प्रकार वर्णन है.

*न‌ नग्गचरिया न जटा न पङ्का, नानासका थण्डिलसायिको वा |*

*रजो च जल्लं उक्कुटिकप्पधानं, सोधेन्ति मच्चं अवितिण्णकङ्ख ||*

(अर्थात - नंगे पाव चलने से, जटा धारण करने से, कीचड लपेटने से, उपवास करने से, कडी भुमि पर सोने से, भस्म लपेटने से, उकंडु बैठने से, व्यक्ति यह शुध्द नही होता. जब तक कि वह तृष्णा के अभिनिवेश‌ से, उपर नही उठता.)

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बुध्द धर्म की अभी तक बतायी गयी गाथाएं, अनुयायियों कों भक्ति करने की / उपासना करने की कोई सलाह नही देता. उद्दोगशील रहने की, कुशल कर्म करने की, चित्त को शुध्द करने की, सलाह देता है. अंत मे हमे बुध्द को शरण जाना है, इस संदर्भ में एक गाथा बताना चाहुंगा ....!

*नत्थि मे सरणं अञ्ञं, बुध्दो मे सरणं वरं /*

*एतेन सच्चवज्जेन, होतु में जयमंगलम //*

(अर्थात : बुध्द, यही हमारे लिए शरण स्थान है. और इस सत्यवचन से आप का जय मंगल हो...!)



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* परिचय : -

* *डाॅ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*

    (बौध्द - आंबेडकरी लेखक /विचारवंत / चिंतक)

* मो.न.‌ ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२

* राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल

* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी वुमन विंग

* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी एम्प्लाई विंग

* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी ट्रायबल विंग

* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी वुमन क्लब

* अध्यक्ष, जागतिक बौध्द परिषद २००६ (नागपूर)

* स्वागताध्यक्ष, विश्व बौध्दमय आंतरराष्ट्रिय परिषद २०१३, २०१४, २०१५

* आयोजक, जागतिक बौध्द महिला परिषद २०१५ (नागपूर)

* अध्यक्ष, अश्वघोष बुध्दीस्ट फाऊंडेशन नागपुर

* अध्यक्ष, जीवक वेलफेयर सोसायटी

* माजी अध्यक्ष, अमृतवन लेप्रोसी रिहबिलिटेशन सेंटर, नागपूर

* अध्यक्ष, अखिल भारतीय आंबेडकरी विचार परिषद २०१७, २०२०

* आयोजक, अखिल भारतीय आंबेडकरी महिला विचार परिषद २०२०

* अध्यक्ष, डाॅ. आंबेडकर आंतरराष्ट्रिय बुध्दीस्ट मिशन

* माजी मानद प्राध्यापक, डाॅ. बाबासाहेब आंबेडकर सामाजिक संस्थान, महु (म.प्र.)

* आगामी पुस्तक प्रकाशन :

* *संविधान संस्कृती* (मराठी कविता संग्रह)

* *बुध्द पंख* (मराठी कविता संग्रह)

* *निर्वाण* (मराठी कविता संग्रह)

* *संविधान संस्कृती की ओर* (हिंदी कविता संग्रह)

* *पद मुद्रा* (हिंदी कविता संग्रह)

* *इंडियाइझम आणि डाॅ. आंबेडकर*

* *तिसरे महायुद्ध आणि डॉ. आंबेडकर*

* पत्ता : ४९४, जीवक विहार परिसर, नया नकाशा, स्वास्तिक स्कुल के पास, लष्करीबाग, नागपुर ४४००१७

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