👌 *HWPL (H.Q.: Korea) इस विश्व स्तरीय आंतरराष्ट्रिय संघटन की ओर से, ३१ अक्तुबर २०२१ को झुम पर आयोजित, "मिनी विश्व शांती शिखर परिषद" कार्यक्रम...!*
* *डा. मिलिन्द जीवने,* अध्यक्ष - अश्वघोष बुध्दीस्ट फाऊंडेशन, नागपुर *(बुध्दीस्ट एक्सपर्ट / फालोवर)* इन्होंने वहां पुछें एक प्रश्न पर, इस प्रकार उत्तर दिये...!!!
* प्रश्न - १ :
* *क्या आप के शास्त्र के अनुसार, "शांती की दुनिया" यह किस प्रकार की दुनिया है ? साथ ही, शांती के इस संसार को साकार करने के तरीके रुप में, आप का शास्त्र क्या प्रदान करते है...?*
*** भगवान बुध्द के अनुसार *"शांती की दुनिया"* का अर्थ बहुत ही व्यापक है. उनका उद्देश *"आदर्श व्यक्ती - आदर्श समुह - आदर्श राष्ट्र - आदर्श संसार / विश्व"* के रूप में, हमें दिखाई देता है. पाली भाषा मे लिखे गये *"पंचशील"* इस गाथा में, तथागत बुध्द कहते है...!
*पाणातिपाता वेरमणि सिक्खापदं समादियामि |*
*अदिन्नादाना वेरमणि सिक्खापदं समादियामि |*
*कामेसु मिच्छाचारा वेरमणि सिक्खापदं समादियामि |*
*मुसावादा वेरमणि सिक्खापदं समादियामि |*
*सुरा मेरय मज्ज पमादठृठाणा वेरमणि सिक्खापदं समादियामि |*
[अर्थात :- १. मै प्राणी हिंसा से विरत रहने की, शिक्षा ग्रहण करता हुं / करती हुं.
२. मै चोरी करने से विरत रहने की, शिक्षा ग्रहण करता हुं / करती.
३. मै काम - मिथ्याचार से विरत रहने की, शिक्षा ग्रहण करता हुं / करती.
४. मै झुठ बोलने से विरत रहने की, शिक्षा ग्रहण करता हुं / करती हुं.
५. मै सभी प्रकार की मदिरा एवं अन्य मादक पदार्थ के सेवन से विरत रहने की, शिक्षा ग्रहण करता हुं / करती हुं.
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# धम्मपद इस ग्रंथ में, "बुध्द वग्गो" में बुध्दवचन इस प्रकार वर्णीत है...!
*अनूपवादो अनूपघातो पातिमोक्खे च संवरो |*
*मत्तञ्ञुता च भत्तस्मिं पन्तञ्च सयनासनं |*
*अधिचित्ते च आयोगो एतं बुध्दान सासनं |*
(अर्थात :- किसी की निंदा न करना, घात न करना, प्रतिमोक्ष अर्थात भिक्खु के शील को संयमपुर्वक बनाये रखना, उचित मात्रा में भोजन करना, एकान्त में सोना - बैठना, चित्त को योग में लगाना - यही है बुध्द की शिक्षा. यही है बुध्द का धर्म. यही है बुध्द का शासन.
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# "बुध्द वग्गो" में बुध्दवचन इस प्रकार वर्णीत है.
*यो च बुध्दञ्च धम्मञ्च सङ्गञ्च सरणं गतो |*
*चत्तारि अरियसच्चानि सम्मप्पञ्ञाय पस्सति ||*
*दुक्खं दुक्खसमुप्पादं दुक्खस्स च अतिक्कमं |*
*अरियञ्चद्ठङ्गिकं मग्गं दुक्खूपसमगामिनं ||*
*एतं खो सरणं खेमं एतं सरणमुत्तमं |*
*एतं सरणमागम्म सब्बदुक्खा पमुच्चति ||*
(अर्थात :- जो बुध्द, धम्म और संघ की शरण ग्रहण करता है, जिसने चारो आर्यसत्यों को - दु:ख, दु:ख का कारण, दु:ख का विनाश, दु:ख का उपशमन करनेवाले आर्य अष्टांगिक मार्ग - सम्यक प्रज्ञा द्वारा देख लिया है, यही कल्याणदायक शरण है. उत्तम शरण है. व्यक्ती के इस शरण को ग्रहण करने पर, वह सभी दु:खों से मुक्त हो जाता है.)
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# "मग्ग वग्गो" में बुध्दवचन इस प्रकार वर्णीत है.
*मग्गानट्ठङ्गिको सेट्ठं सच्चानं चतुरो पदा |*
*विरागो सेट्ठो धम्मानं द्विपदानञ्च चक्खुमा ||*
*एसो 'व मग्गो नत्थ'ञ्ञो दस्सनस्स विसुध्दिया |*
*एतं हि तुम्हे पटिपज्जथ मारस्सेतं पमोचनं ||*
*एतं हि तुम्हे पटिपन्ना दुक्खस्सन्तं करिस्सथ |*
*अक्खातो वे मया मग्गं अञ्ञाय सल्लसत्थनं ||*
(अर्थात :- मार्ग में अष्टांगिक मार्ग, सत्य में चार आर्य सत्य, धर्म मे वैराग्य - निरासक्ति और मनुष्यों में ज्ञान नेत्रधारी बुध्द श्रेष्ठ है. चित्त की विशुध्दी के वही मार्ग है. दुसरा नही. इसी पर तुम आरुढ हो जाओ, यही मार को मुर्छित करनेवाला मार्ग है. इस मार्ग पर आरूढ होकर, तुम दु:ख का अंत कर सकोगे. संसार के दु:ख रूपी कांटे की जड़े को देखकर ही मैने, इस मार्ग का उपदेश किया है.)
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# "बाल वग्गो" में बुध्द कहते है...!
*दीघा जागरतो रत्ति दीघं सन्तस्स योजनं |*
*दीघो बालानं संसारो सध्दम्मं अविजानतं ||*
(अर्थात :- जागने वाले की रात लम्बी होती है. थके हुये का सफर लम्बा होता है. सच्चे धर्म को न जानने वाले के लिये, संसार चक्र लम्बा होता है.)
तथागत बुध्द के धर्म का सार, हम दो लाईन मे इस प्रकार बता सकते है.
*सब्बपापस्स अकरणं कुसलस्स उपसंपदा |*
*सचित्तपरियोदपनं, एतं बुध्दान सासनं ||*
(अर्थात :- सभी तरह के पापों का न करना, पुण्यों का संचय करना, अपने चित्त को परिशुध्द एवं नियन्त्रित रखना, यही बुध्द की शिक्षा है. यही बुध्द का शासन है. यही बुध्द का धर्म है.)
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# इस मंगलमय पाली गाथा में, तथागत बुध्द कहते है.
*इच्छितं पत्थितं तुय्हं खिप्पमेवसमिज्झतु |*
*सब्बे पूरेन्तु चित्तसंकप्पा चन्दो पन्नैरसो यथा ||*
*अभिवादनसीलिस्स निच्चं वुड्ढापचायिनो |*
*चत्तारो धम्मा वड्ढन्ति आयु वण्णों सुखंsबलंss ||*
*सब्बीतियो विवज्जन्तु सब्ब रोगो विनस्सतु |*
*मा ते भवत्वन्तरायो सुखी दीघायुको भव ||*
*भवतु सब्ब मंङ्गलं, रक्खन्तु सब्ब देवता |*
*सब्ब बुध्दानुभावेन, सदा सोत्थि भवन्तु ते ||*
*भवतु सब्ब मंङ्गलं, रक्खन्तु सब्ब देवता |*
*सब्ब धम्मानुभावेन, सदा सोत्थि भवन्तु ते ||*
*भवन्तु सब्ब मङ्गलं, रक्खन्तु सब्ब देवता |*
*सब्ब संघानु भावेन, सदा सोत्थि भवन्तु ते ||*
(अर्थात :- तुम्हारी चाही हुयी और मांगी गयी सभी वस्तुएं तुम्हे शिघ्र प्राप्त हो. तुम्हारे चित्त के सभी संकल्प पुर्णिमा के समान पुर्ण हो.
जो अभिवादन शील है, जो सदा वृध्दों की सेवा करनेवाला है, उस से चार बातें बढती है. - आयु, वर्ण सुख और बल.
सभी अतियों से आप विरहित हो. आप के सभी रोग नष्ट हो. बाधाओं से अन्तराय हो. आप सुखी और दिर्घायु बने.
आप का सर्व मंगल हो. सभी देवता आप की रक्षा करे. सभी बुध्द की भावना कर के, सर्व कल्याण को प्राप्त हो.
आप का सर्व मंगल हो. सभी देवता आप की रक्षा करे. सभी धम्म की भावना कर के, सर्व कल्याण को प्राप्त हो.
आप का सर्व मंगल हो. सभी देवता आप की रक्षा करे. सभी संघ की भावना कर के, सर्व कल्याण को प्राप्त हो.)
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# अंत में, "शांती की दुनिया" को साकार करने के लिए, तथागत बुध्द ने अपने भिक्खुओं को, पाली गाथा में इस प्रकार आवाहन किया था.-
*"चरथ भिक्खवे चारिकं, बहुजन हिताय बहुजन सुखाय, लोकानुकंपाय अत्थाय हिताय सुखाय देवमनुस्सानं | देसेत्थ भिक्खवे धम्मं आदि कल्याणं मज्जेकल्याणं परियोसानकल्याणं सात्थं सव्यंजनं केवळ परिपुण्णं ब्रम्हचरियं पकासेथ |*
(अर्थात :- भिक्खुओ, बहुजनं के हित के लिए, बहुजनों के सुख के लिए, लोकों पर अनुकंपा कर, तथा स्वयं के एवं देव और मनुष्यों के हित के लिए, सुख के लिए भिक्षाटन कर विचरण करो. यह धम्म आदि मे कल्याणकारी है, मध्य मे कल्याणकारी है, और अंत मे कल्याणकारी होकर, सभी भावों में परिपुर्ण है. अत: धम्म के प्रचार करने ब्रम्हचर्य व्रत का पालन कर, उसे पुर्ण प्रकाशमान करो.)
परम पुज्य बोधिसत्व डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जी ने भी , १४ अक्तूबर १९५६ को, भारत में धम्म क्रांती के बीज बोते हुये, *"बुध्दमय भारत"* इस संकल्पना को प्रत्यक्ष साकार करने के लिए, *"आदर्श व्यक्ती - आदर्श समुह - आदर्श राष्ट्र"* निर्माण का सपना देखा था. हमें *"शांती की दुनिया"* को साकार करने के लिए, उस दिशा में पहल करनी होगी...!
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* परिचय : -
* *डाॅ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
(बौध्द - आंबेडकरी लेखक /विचारवंत / चिंतक)
* मो.न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२
* राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल
* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी वुमन विंग
* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी एम्प्लाई विंग
* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी ट्रायबल विंग
* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी वुमन क्लब
* अध्यक्ष, जागतिक बौध्द परिषद २००६ (नागपूर)
* स्वागताध्यक्ष, विश्व बौध्दमय आंतरराष्ट्रिय परिषद २०१३, २०१४, २०१५
* आयोजक, जागतिक बौध्द महिला परिषद २०१५ (नागपूर)
* अध्यक्ष, अश्वघोष बुध्दीस्ट फाऊंडेशन नागपुर
* अध्यक्ष, जीवक वेलफेयर सोसायटी
* माजी अध्यक्ष, अमृतवन लेप्रोसी रिहबिलिटेशन सेंटर, नागपूर
* अध्यक्ष, अखिल भारतीय आंबेडकरी विचार परिषद २०१७, २०२०
* आयोजक, अखिल भारतीय आंबेडकरी महिला विचार परिषद २०२०
* अध्यक्ष, डाॅ. आंबेडकर आंतरराष्ट्रिय बुध्दीस्ट मिशन
* माजी मानद प्राध्यापक, डाॅ. बाबासाहेब आंबेडकर सामाजिक संस्थान, महु (म.प्र.)
* आगामी पुस्तक प्रकाशन :
* *संविधान संस्कृती* (मराठी कविता संग्रह)
* *बुध्द पंख* (मराठी कविता संग्रह)
* *निर्वाण* (मराठी कविता संग्रह)
* *संविधान संस्कृती की ओर* (हिंदी कविता संग्रह)
* *पद मुद्रा* (हिंदी कविता संग्रह)
* *इंडियाइझम आणि डाॅ. आंबेडकर*
* *तिसरे महायुद्ध आणि डॉ. आंबेडकर*
* पत्ता : ४९४, जीवक विहार परिसर, नया नकाशा, स्वास्तिक स्कुल के पास, लष्करीबाग, नागपुर ४४००१७
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