👌 *HWPL (H.Q.: Korea) इस विश्व स्तरीय आंतरराष्ट्रिय संघटन की ओर से ८ अगस्त २०२१ को झुम पर, "धर्म में संगित...!" इस विषय पर आयोजित "आंतरधर्मीय परिसंवाद" कार्यक्रम...!*
* *डा. मिलिन्द जीवने,* अध्यक्ष - अश्वघोष बुध्दीस्ट फाऊंडेशन, नागपुर *(बुध्दीस्ट एक्सपर्ट / फालोवर)* इन्होंने "अंगुलीमाल" इस हिंदी मुव्ही का एक गीत दिखाकर, पुछे गये एक प्रश्न का, इस प्रकार उत्तर दिया !
* *गीत* :- अंगुलीमाल (मुव्ही)
* *गाने के बोल है* :- हे मानव तु मुख से बोल, बुध्दं सरणं गच्छामी....!
* *अंगुलीमाल* इस खुंखार डाकु के जीवन पर आधारीत, यह बहुत पुराना मुव्ही है. अंगुलीमाल का मुल नाम *अहिंसक* था. वह बहुत हुशार तथा अपने गुरु का प्रिय शिष्य था. और गुरुमाता भी उससे स्नेह करती थी. इस कारणवश उसके सहपाठी अहिंसक से, बहुत ईर्शा करते थे. और उन सहपाठियों ने अपने गुरू से गुरुमाता - अहिंसक के बीच अनैतिक संबध होने की गलतफहमियां गुरु के मन मे भरी. अंत मेे गुरुकुल की शिक्षा पुर्ण होने के पश्चात, अहिंसक ने अपने गुरु से, गुरुदक्षिणा क्या दुं...? यह बात पुछी. गुरु को अपना बदला लेना था. अत: *"गुरुने उसे सौं लोगों की उंगलीया लाने की,"* यह जटील गुरुदक्षिणा मांगी. अर्थात यहां गुरु का उद्देश था कि, अहिंसक यह गुरुदक्षिणा नही दे सकेगा. और अगर उसने किसी की उंगलियां काटने की कोशीश की भी, राजा उसको मृत्युदंड देगा. *"परंतु उसने ९९ लोगों की हत्या कर, उनके उंगलियों की माला पहनने के कारण, लोगों ने उसे "अंगुलीमाल" यह नाम दिया."* अंत मे अंगुलीमाल जहां रहता था, उस जंगल की ओर, तथागत बुध्द निकल पडे. परंतु डाकु अंगुलीमाल बुध्द को नही पकड पाया. ना ही उनकी हत्या कर पाया. और अंत मे, डाकु अंगुलीमाल ने अपनी खडग, बुध्द के चरण में रखकर, बुध्द को शरण गया. उस मुव्ही का यह गीत, बुध्द की महिमा बयान करता है.
* *गीत का लिंक* -
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1967976446595725&id=100001501665870&sfnsn=wiwspwa
* *गीत का भावार्थ* :- इस गीत मे मनुष्य को आवाहन किया है,
- बुध्द का अनुसरण करो.
- धम्म का अनुसरण करो.
- संघ का अनुसरण करो.
गीतकार ने यह गीत पांच भागों मे लिखा है. पहले भाग में, दु:ख की घडीयां, झुठ का विजय, अन्यायों की आंधी, इस पर वर्णीत है. दुसरे भाग में, नायिका से प्रेमी का रूठना , प्यार की यादें सताना, इन पर वर्णीत है. तिसरे भाग में, निर्दयता का बढना, अहिंसा का अभाव, सत्य से परे होना, इस पर वर्णित है. चवथे भाग में, दुनिया से प्यार उठ जाना, मां की ममता, बेटे की तलवार उठना, धरती का कांप जाना, अंबर का जगमगाना, इस पर वर्णीत है. अर्थात उपरोक्त चारो समस्यां का हल, पाचवें भाग में वर्णीत है. बुध्द द्वारा जन मन का अंधियारा दुर करना, उनकी एक किरण से जग में खुशीयाली आना, सत्य के दीप का जलना, अंहिंसा का निनाद होना, समस्त विश्व में बुध्द मंत्र का गुंज जाना, यह भाव बताते हुये, सुख - शांती की छाया आने की बात कहीं है...!!!
* प्रश्न - १ : *आप के शास्त्र के आधार पर, आप के धर्म मे संगित और गीत की क्या भुमिका और महत्व है...?*
* * बुध्द धर्म में *"गीत एवं संगित का महत्व,"* इस संदर्भ में कहा जाएं तो, बुध्द धर्म की समस्त पाली गाथाएं, यह गीत रुप में ही है. और संगित रूप में वे कही जाती है. या वह गायी भी जाती है. समस्त बुध्द धम्म का सार, हम केवल दो ही पंक्तीयों में, संगितबध्द करते हुये, हम बोल भी सकते है....! और वह कहीं जाती हैं...!!!
*सब्ब पापस्स अकरणं, कुसलस्स उपसम्पदा*
*सचित्तो परियो दपनं, एतं बुध्दानं सासनं |*
(अर्थ :- सभी प्रकार के अकुशल कर्म ना करना, कुशल कर्म करना, चित्त को परिशुध्द करना, यही बुध्द की शिक्षा है. यही बुध्द का शासन है.)
गीत और संगित क्या है...? चित्त को जगाना, चित्त को केंद्रीत करना, चित्त को परिशुध्द करना, इस का एक उत्तम भाव है. प्राचिन काल में पहला गीत / संगितबध्द नाटक लिखाण करनेवाले भदंत *अश्वघोष* थे. कालीदास का तो, उनके बहुत साल बाद जन्म हुआ. भदंत अश्वघोष की प्रसिद्घ *"सौंदरानंद / बुध्दचरित्र"* यह गीत / संगित रचना, उसकी साक्ष है. बौध्द काल में, राजा के राजमहल में, गीत एवं संगित की मैफिल हुआ करती थी. वैशाली की नगरवधु - नृत्यांगना *"आम्रपाली "* इसे समस्त विश्व, अच्छे से परिचित है. धर्म में गीत / संगित, यह केवल मनोरंजन का साधन नही था. बल्की लोगों को जगाने का, चेतना भरने का, शिक्षा का एक साधन था. और आज भी है...!
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* परिचय : -
* *डाॅ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*
(बौध्द - आंबेडकरी लेखक /विचारवंत / चिंतक)
* मो.न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२
* राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल
* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी वुमन विंग
* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी एम्प्लाई विंग
* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी ट्रायबल विंग
* राष्ट्रिय पेट्रान, सीआरपीसी वुमन क्लब
* अध्यक्ष, जागतिक बौध्द परिषद २००६ (नागपूर)
* स्वागताध्यक्ष, विश्व बौध्दमय आंतरराष्ट्रिय परिषद २०१३, २०१४, २०१५
* आयोजक, जागतिक बौध्द महिला परिषद २०१५ (नागपूर)
* अध्यक्ष, अश्वघोष बुध्दीस्ट फाऊंडेशन नागपुर
* अध्यक्ष, जीवक वेलफेयर सोसायटी
* माजी अध्यक्ष, अमृतवन लेप्रोसी रिहबिलिटेशन सेंटर, नागपूर
* अध्यक्ष, अखिल भारतीय आंबेडकरी विचार परिषद २०१७, २०२०
* आयोजक, अखिल भारतीय आंबेडकरी महिला विचार परिषद २०२०
* अध्यक्ष, डाॅ. आंबेडकर आंतरराष्ट्रिय बुध्दीस्ट मिशन
* माजी मानद प्राध्यापक, डाॅ. बाबासाहेब आंबेडकर सामाजिक संस्थान, महु (म.प्र.)
* आगामी पुस्तक प्रकाशन :
* *संविधान संस्कृती* (मराठी कविता संग्रह)
* *बुध्द पंख* (मराठी कविता संग्रह)
* *निर्वाण* (मराठी कविता संग्रह)
* *संविधान संस्कृती की ओर* (हिंदी कविता संग्रह)
* *पद मुद्रा* (हिंदी कविता संग्रह)
* *इंडियाइझम आणि डाॅ. आंबेडकर*
* *तिसरे महायुद्ध आणि डॉ. आंबेडकर*
* पत्ता : ४९४, जीवक विहार परिसर, नया नकाशा, स्वास्तिक स्कुल के पास, लष्करीबाग, नागपुर ४४००१७
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