Saturday, 24 April 2021

 ✍️ *दादर मुंबई स्थित इंदु मिल की जगह पर, डॉ. आंबेडकर स्मारक को प्रकाश आंबेडकर की विरोध करने की ओछी राजनीति...!!!*

         *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर १७

         राष्ट्रीय अध्यक्ष, सिव्हिल राईटस् प्रोटेक्शन सेल

          मो.न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२


      डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती १४ अप्रेल २०२१ को, कोरोना संक्रमण की छाया में, हम उतनी धुमधाम सें नहीं कर पाये.‌ परंतु वह समस्त विश्व में, अपने अलग अंदाज से मनाई गयी.‌ उसी धुमधाम के अलगपन में, अड.‌ प्रकाश आंबेडकर इन्होने, *इंदु मिल की जगह पर बनने जा रहे, डॉ. आंबेडकर स्मारक पर खर्च की जानेवाली समस्त राशी, यह वाडिया हास्पिटल को देने की वकालत....!"* एक साल पहले, सरकार को की थी. प्रकाश आंबेडकर द्वारा की गयी उस मांग को, आज एड. प्रकाश आंबेडकर के कुछ कार्यकर्ताओं द्वारा, अब उसे दोबारा दोहराया जा रहा है. ‌ *एड प्रकाश आंबेडकर के सदर अलग भुमिका को देखकर, मैने (डॉ. मिलिन्द जीवने) उस औचित्य पर, उसका कडा विरोध करते हुये, मैने उस संदर्भ में एक लेख लिखा था...!* और प्रकाश आंबेडकर के ओछी राजनीति का, मैने उसमें अच्छा समाचार लिया. उस मेरे लेख पर, समस्त महाराष्ट्र में भुचालसा आ गया. वही वह *"डा. आंबेडकर स्मारक"* को मुर्त रूप देने के लिए, सबसे पहले केंद्र सरकार के पोष्ट खातें मे कार्यरत तथा दादर स्थित चैत्यभुमी परिसर में रहनेवालें *चंद्रकांत भंडारे* इनका नाम, मेरे सामने आया. उस व्यक्ती ने, वह स्मारक को मंजुरी मिलने के लिए, क्या क्या पापड बेले थे ...? वह समस्त इतिहास भी मेरे सामने आ गया.

      एक बार एड. प्रकाश आंबेडकर द्वारा, *"डा. आंबेडकर स्मारक के बदले में, अस्पताल बनाने के प्रस्ताव"* को, हम मान भी लेते है. परंतु सवाल यह है कि, उस डॉ. "‌आंबेडकर स्मारक" की समस्त मंजुर राशी, केवल *"वाडिया हास्पिटल"* को ही देने की, वह मांग क्यौं...? इसके पिछे की, असली राजनीति क्या है...? एड. प्रकाश आंबेडकर ने, उसी इंदु मिल के स्थान पर, *" डॉ. आंबेडकर स्मारक के साथ साथ, बाजु में ही डॉ. आंबेडकर हास्पिटल खोलने की मांग,"* क्यौं नही की....??? दुसरी बात यह कि, "डॉ. आंबेडकर स्मारक" को, केंद्र से अनुमती मिलने संदर्भ में, पहला मांगकर्ता *चंद्रकांत खंडारे* को *एड. प्रकाश आंबेडकर* ने, आंबेडकर भवन दादर (पुर्व), मुंबई यहां दिनांक २०/११/२०११ को स्वयं बुलाकर, एवं उनके पास के समस्त पत्रव्यवहार देखने के पश्चात, एक दिन के बाद ही दिनांक २२/११/२०११ को, समस्त मुंबई शहर के दिवारों पर, एड. प्रकाश आंबेडकर इनका छोटा भाई *"रिपब्लिकन सेना के सरसेनापती मा. आनंदराज आंबेडकर इनके कुशल नेतृत्व में, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर इनके महापरिनिर्वाण दिन - ६ दिसंबर २०११ को, समस्त इंदु मिल का ताबा लेने का,"* वह बडा आंदोलन खडा करने की, शकुनी राजनीति क्यौं की...???

      पहला मांगकर्ता *चंद्रकांत खंडारे* इस आंबेडकरी व्यक्ती का, उसी दादर के चैत्यभुमी परिसर में बचपन बिता. अब बुढापा भी...! उसने दिनांक १२/०६/२००१ को, तत्कालीन लोकसभा के अध्यक्ष / राज्यसभा के सभापती / महाराष्ट्र विधान सभा - विधान परिषद के अध्यक्ष / विरोधी पक्षनेता इन्हे *"दादर के चैत्यभुमी पर, तमिलनाडु के मरीना बीच स्थित तत्कालीन मुख्यमंत्री एम. जी. रामचंद्रन के स्मारक के समान, मुंबई के समुद्र में, एक हजार मिटर अंदर तक भराव डालकर, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर इनका उचित स्मारक बनाने का"* एक निवेदन दिया. खंडारे के उस निवेदन की सभी मान्यवरों ने दखल लेकर, दिनांक २३/०८/२००२ को, खंडारे को शासन द्वारा एक पत्र प्राप्त हुआ की, *"चैत्यभुमी के पुनर्विकास के लिए, वास्तु विशारद शशी प्रभु इनकी नियुक्ती की गयी है....!"* बाद में जो राजनीति हुयी या की गयी, इस पर एक अच्छी किताब लिखी जा सकती है. इस लिए, उस विषय को विराम देते हुये, अब हम दुसरे भाग पर चर्चा करेंगे...!

       एक साल पहले लिखे मेरे लेख में, मैने पचाहत्तरी पार किये हुये, मुंबई के एक *"बुढ़े नानाजी"* की वेदना लिखी थी. मै मुंबई *"दि बुध्दीस्ट सोसायटी ऑफ़ इंडिया (भारतीय बौध्द महासभा)"* केस के सिलसिलें  में, अकसर जाता रहता हुं.‌ मेरे उस केस में, भारतीय बौध्द महासभा के स्वयं घोषीत अध्यक्ष - *"मीराताई आंबेडकर / भीमराव आंबेडकर / राजरत्न आंबेडकर / डॉ. पी.जी. ज्योतीकर के सहयोगी चंद्रबोधी पाटील "* इन्हे पार्टी बनाया गया है. आज "भारतीय बौध्द महासभा" के, एक भी ट्रस्टी जीवित नही है. अत: वहां प्रलंबीत *"चार चेंज रिपोर्ट"* पर, प्रश्नचिह्न लगाया जा सकता है....! यह कैसे माना जा सकता है कि, वह चेंज रिपोर्ट प्रामाणिक है.‌ या मृत ट्रस्टी की ओर से, कोई वकिल कोर्ट में कैसे खडा हो सकता है. *"वही इन सभी तिनों स्वयं घोषीत अध्यक्ष महाशयों ने, सन २००९ से धर्मादाय आयुक्त मुंबई इन्हे, कोई हिशोब ही सादर नही किया...!!!"*  यही कारणवश उनकी सदस्यता भी रद्द हो सकती है. या उन पर  क्रिमीनल केस भी की जा सकती है.‌ महत्वपुर्ण विषय यह कि, *"राजरत्न आंबेडकर "* ये स्वयं को, *"डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर इनका असली वारिस"* तथा स्वयं को राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बताता है. जब कि, राजरत्न आंबेडकर, वो दोनो भी नहीं है. *"बाबासाहेब के असली वारिस / नाती - एड. प्रकाश आंबेडकर / भीमराव आंबेडकर / आनंदराज आंबेडकर है."* इसके अलावा राजरत्न आंबेडकर ने, भारतीय बौध्द महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा *"बाबासाहेब आंबेडकर के नाती बताकर, देश / विदेशों से लाखों रुपयों का चंदा इकठ्ठा किया है. कुछ जमिन भी दान में ली है. जिस का हिशोब धर्मादाय कार्यालय को नही दिया. क्या यह धोकादारी नही है...???"* और महत्व‌पुर्ण विषय यह कि, मीराताई आंबेडकर / भीमराव आंबेडकर / राजरत्न आंबेडकर /  और अन्यों की नजर, *"यह "भारतीय बौध्द महासभा" के नाम, खाते पर जमा "तेरा करोड"* के आस पास न्यायालय के निगरानी में जमा, उस खजाने पर है...!!!  खैर छोडो, इस विषय पर विस्तार से, फिर कभी हम चर्चा करेंगे. अब हम *"पचाहत्तरी पार किये, उस बुढ़े नानाजी के वेदना"* की बांत करेंगे...!!!

       मै "भारतीय बौध्द महासभा" केस के सिलसिले में, उस दिन मुंबई था. तब मुझे एक बुढ़े नानाजी का फोन आया. और वह मुझे मिलने पहुंचा और कहने लगा कि, "साहेब, आप ने बहुत अच्छा काम हात में लिया है. बाद में उसने, एड. प्रकाश आंबेडकर के काम करने के बारे में, तथा बाबासाहेब आंबेडकर के बारे में, उसने बोले अपशब्द का जिक्र किया." तब बुढ़े नानाजी ने कहा कि, *"प्रकाश आंबेडकर, ये बाबासाहेब से बहोत नफ़रत करता है. वो कहता है कि, उस खेड्डे (बाबासाहेब) ने उसके मां को, बहोत तकलीफ दी है. और कहता है कि, उस खेड्डे नें हमारे आंबेडकर परिवार के लिए क्यां किया....? "* यह बातें मुझे बताते हुये, वह नानाजी बहोत रोने लगा. यह जिक्र मेरे उस लेख में था. उस मेरे लेख पर, मुझे सौं के आस पास फोन / मेसेजेस आये. जादा तर फोन ये धमकी के रहे थे. और कुछ फोन मेरे हिंमत के लिए थे. आज भी वह संदर्भ देने के कुछ कारण है. हमे एड. प्रकाश आंबेडकर इनके बहोत से कामों पर, गौर करना होगा...!!! उस विषय पर जाने के पहले, *"मेरी (डॉ. मिलिन्द जीवने) एवं एड.‌ प्रकाश आंबेडकर के बिच, नागपुर के रवी भवन में १० साल पहले हुये,"* हमारे चर्चा की ओर आप का लक्ष केंद्रीत करूंगा. तब मैने प्रकाश आंबेडकर को कुछ प्रश्न किये थे.‌ वे प्रश्न थे, *"रिपब्लीकन पार्टी के , आज तक जीतने भी नेता हुये है, उन सभी नेताओं में रा. सु.‌ गवई / बैरिस्टर खोब्रागडे के बाद, केवल आप ही हुशार, दुरदर्शी, अच्छे वकृत्ववाले नेता है. उपर से आंबेडकर नाम का वलय, आप के पिछे है. यह होते हुये भी, एड.‌ प्रकाश आंबेडकर राजनीति में फेल क्यौ...?"* इस मेरे प्रश्न का उत्तर दो.‌ इस मेरे प्रश्न पर, एड. प्रकाश आंबेडकर कुछ नही बोलें. वातावरण खामोश था. दस मिनिट के पश्चात मैनें ही कहां कि, क्या मै इसका उत्तर दुं...? एड. आंबेडकर ने कहां, दे दो...! मैने उत्तर दिया कि, *"आप यहां जो चौकडी में घिरे पडे हो, इससे पहले बाहर निकलो. आप में जो इगो भरा है, उससे भी बाहर निकलो. और जनता के बिच जाओ...! सफल नेता बनोंगें...!!!"* मेरे इस उत्तर से एड. प्रकाश आंबेडकर, खामोश हो गये. और मुंबई की ओर निकल पडे. इस हमारे चर्चा की साक्ष आंबेडकरी विचारवंत *प्रा. रणजीत मेश्राम /समता सैनिक दल के विमलसुर्य चिमणकर / माजी विधायक डॉ. मिलिन्द माने* है. जो वहाँ उपस्थित थे.

       मेरा यह लेख मिडिया में आने के बाद, समता सैनिक दल के *विमलससुर्य चिमणकर* इनका मुझे फोन आया. आधा घंटा तक हमारी चर्चा हुयी थी. तब उन्होनें उस बुढे नानाजी के बातों को, सही बताया.‌ और उन्होंने स्वयं कहां, यह भी सत्य है कि, डॉ. बाबासाहेब मीराताई आंबेडकर को, पसंद नही करते थे. इस लिए बाबासाहेब, यशवंत आंबेडकर के शादी में, शरिफ नही हुये थे. आज विमलसुर्य चिमणकर हमारे बिच नहीं है. कुछ माह पहले उनका निर्वाण हुआ है...! *अब हम एड. प्रकाश आंबेडकर के, विभिन्न काम शैली पर गौर करेंगे...!* हमारे रिपब्लीकन पार्टी के कई गट है. जैसे कि - खोरिपा / गारिपा / रिप (कवाडे) / रिप (कांबळे) / आदी....! उन नेताओं ने बिखरकर भी, *"रिपब्लीकन मुव्हमेंट"* इस नाम से, अपनी बांधिलकी कायम रखी है. एड. प्रकाश आंबेडकर ने तो, अपने राजनीतिक जीवन में, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर इनके *"रिपब्लीकन"* इस विचार / शब्द को, पुर्णत: तिलांजली दे दी. बहुजन‌ महासंघ से लेकर वंचित आघाडी तक, यह प्रकाश आंबेडकर का राजनैतिक प्रवास क्या है....? डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर इनका *"कालाराम मंदिर आंदोलन"* यह *"समता / न्याय अधिकार"* प्राप्ती का आंदोलन था. फिर डॉ. बाबासाहेब हमे बुध्द की ओर ले जाकर, विज्ञानवादी *"बाईस प्रतिज्ञा"* देते है. और *"देववाद / धर्मांधवाद"* से, हमे छुटकारा देते है. हम में *"भारत राष्ट्रवाद"* जगाते है. इसके विपरीत एड. प्रकाश आंबेडकर, ये हमें हिंदु मंदिर - *"देववाद / धर्मांधवाद की ओर"* ले जाते है. *"आंबेडकर भवन"* यह पावन वास्तु, प.पु. डॉ. बाबासाहेब ने, हमें समाज के लिये दी. उस जगह *"अच्छी बडी वास्तु"* होने का विरोध कर, *"बाबासाहेब के नाम की वास्तु"* को कोर्ट मे लिपट दिया. अगर वे चाहते तो, दोनों पक्ष एकसाथ बैठकर, मध्यम मार्ग भी निकाल सकते थे.‌ परंतु यह भी नही हुआ...!!!

      भारत के जादातर कांग्रेसी / संघी नेताओं के, समस्त भारत के सरकारी जमिन पर तथा उनके निजी जगह / निवासस्थान, यह *"राष्ट्रीय स्मारक"* घोषित कर दिये है. विश्व तथा देश के लोग, वह वास्तु देखने भी जाते है. *परंतु डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा बनवाया "राजगृह"* यह, प्रकाश आंबेडकर / मिराताई आंबेडकर इनके तिव्र विरोध के कारण, *"राष्ट्रीय स्मारक"* नही बन पाया. देश / विदेशों के हर लोगों की, मन से चाह है कि, बाबासाहेब का घर अंदर से देखें. बाबासाहेब की बैठक रुम / बेड रूम /लायब्ररी कहां थी / है....! आदी. *"उस के बदले आंबेडकर परिवार को, सरकार की ओर से अच्छी पर्यायी जागा दी जा सकती थी. या अब भी कुछ देर नही हुयी...!"* जैसे की लोग *"परेल की चाल"* में, बाबासाहेब का घर देखने जाते है...! परंतु एड. प्रकाश आंबेडकर एवं परिवार की, *"डॉ. बाबासाहेब के प्रती रहनेवाली नफ़रत"* ही, वह *"राष्ट्रीय स्मारक"* होने नही देती. *"इंदु मिल"* की जगह होनेवाला *"डॉ. आंबेडकर स्मारक"* भी, उसी की एक कडी है...!!! *एड. प्रकाश आंबेडकर, ये बाबासाहेब के वह समस्त यादों को / धरोहर को मिटाना चाहता है...!* चाहे फिर वह, सामाजिक / धार्मिक / राजकिय संघटन भी, क्यौं ना हो...??? अगर प्रकाश आंबेडकर चाहता तो, समस्त *"रिपब्लीकन दल""* को एकसंघ कर सकता है....! *"समता सैनिक दल"* को एकसंघ कर सकता है....! *"दि बुध्दीस्ट सोसायटी ऑफ़ इंडिया "* को भी, एकसंघ कर सकता है.‌‌..! केंद्रिय / राज्य स्तर पर, रिपब्लीकन के बैनर तले, तथा *" बहुजन समाज पार्टी "* एवं तिसरे आघाडी के कुछ दलों के साथ मिलकर, *"४० : ४० : २०"* इस फार्मुला के तहत (४०% प्रकाश आंबेडकर / ४०% बसपा / २०% रिपब्लीकन के अन्य दल तथा तिसरी आघाडी) राजनीति की जा सकती थी / है. परंतु एड. प्रकाश यह कराने का पक्षधर नहीं है.‌ *"शायद प्रकाश आंबेडकर की सत्ताधारी वर्ग से, अंदरूनी चलनेवाली - बडी अर्थ राजनीति...?"*

     एड. प्रकाश आंबेडकर ने, *" अयोध्या राम जन्म भुमी / बौध्द धरोहर केस हो या, पंढरपुर का विठ्ठल मंदिर / बौध्द विहार केस हो, तिरुपती बालाजी - शबरीमाला मंदिर - जगन्नाथ मंदिर / बौध्द मंदिर"* इन बौध्द धरोहर को पाने के लिए, ना कोई आंदोलन किया, ना ही वह मिलने की मांग....!!! सर्वोच्च / उच्च न्यायालय के *"मागास आरक्षण प्रकरण"* पर भी, प्रकाश आंबेडकर वह उतना सक्रिय नहीं दिखाई देता, जितना की वो होना चाहिये...!!!! वही बात *"बहुजन समाज पार्टी"* की सर्वेसर्वा, *"मायावती"* के लिए भी लागु है. मायावती भी कांशीराम पुरस्कृत विचारों से, पुर्णत: भटक गयी है.‌ पहले की सशक्त बसपा आज दिखाई नही देती.‌ *"केडर संकल्पना"* को, मायावती ने पुर्णत: तिलांजली दी है. मायावतीने भी *"परिवारवाद* का सहारा लिया है. *"कर्मचारी संघटन* भी बसपा से दुर हो गयी है. कांशीराम समर्थित पुराने सहपाठी, बसपा से दुर हो गये है या निकाले गये है. *प्रकाश आंबेडकर* तो, इन सभी भावों से कोसों दुर है.‌ *"तो संघटन मजबुती, यह तो केवल एक खोकली धारा  है....!"* अब सवाल यह है कि, इन बिखरी धाराओं‌ में, हम कैसे स्वाभिमान से जीवित रह पायेंगे...???


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* *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपुर १७

राष्ट्रीय अध्यक्ष, सिव्हिल राईटस् प्रोटेक्शन सेल

मो.न. ९३७०९८४१३८ / ९२२५२२६९२२

Thursday, 22 April 2021

 🇮🇳 *मेरे अपने वतन पर...!!!*

               *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'*

               मो.न.‌ ९३७०९८४१३८


हे मुझे बहोत नाज़ है, मेरे अपने वतन पर

जहां बुध्द फुले आंबेडकर, जनम लेते है...


यहां गद्दारों ने छिना है, हमारा वों अधिकार

क्रांती के ये लहु सें, इस पर सिंचाई की है

वो दिन जादा दुर नहीं, बसं तुम्हे तो उठना है

अब हमें मुर्दा नही, आदमी बनकर जीना है...


यें तुफ़ानों से लढ़ना, युं ही आसान नहीं

वो लपेट में तो अपनी, कस्ती तोड देता है

युं सवाल तो यहां, उन से टकराने का है

हमे यहां तुटना नही, उठकर खडा होना है...


यहां युध्द से हट कर, बुध्द की बात होती है

संविधान को देख, भीम की याद आती है

वहीं गली गली के कुत्ते, सत्ता पर बैठ जाते है

अब हम चुनौती देकर, उन्हे जगह बताते है...


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Sunday, 18 April 2021

 🔹 *कोरोना महामारी (?) में भारतीय न्यायालयों का दोगलापन एवं कोरोना के पिडित डॉ. ‌मोहन भागवत से लेकर नरेंद्र मोदी तक...???*

       *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य',*  नागपुर १७

      * राष्ट्रीय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल

       * एक्स हाऊस सर्जन एवं मेडिकल आफिसर

       * मो.न. ९३७०९८४१३८ / ९२२५२२६९२२


       बहुत दिनों से, इस विषय पर कुछ लिखने का, मेरा मन मुझे कह रहा था.‌ वही १६ - १७ अप्रेल के मिडिया की दो खबर के कारण, मै अपने शब्दों कों आकार देने लगा. पहली खबर, वह कोरोना सें संबधित नहीं है. परंतु वह देश से संबधित जरुर है. *मा. सर्वोच्च न्यायालय के सरन्यायाधीश शरद बोबडे* ने, जो "महाराष्ट्र राष्ट्रीय विधी विद्यापीठ" के संस्थापक कुलपती भी समझे जाते है, सदर विद्यापीठ के शैक्षणिक भवन के उदघाटन कार्यक्रम मे, उन्होंने कहा किं, *"प्रशासकिय कामकाज कौन से भाषा में होना चाहियें, इसे लेकर हमेशा द्वंद्व रहा है. डॉ. ‌बाबासाहेब आंबेडकर ने संस्कृत को, अधिकारिक भाषा का प्रस्ताव रखा था.....!"* महत्वपुर्ण विषय यह कि, सदर समारोह में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री *उध्दव ठाकरे,* केंद्रिय मंत्री *नितीन गडकरी,* सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश *भुषण गवई,* मुंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश *दीपांकर दत्ता,* नागपुर के पालकमंत्री हमारे मित्र *डॉ. नितिन राऊत,* विधान सभा विपक्ष *देवेंद्र फडणवीस* यह महामहिम उपस्थित थे. एक ओर महाराष्ट्र में *"१४४ धारा"* लगाई गयी है. अर्थात सार्वजनिक जगह पर, पांच से जादा लोग इकठ्ठा नही रह सकते. वही कोरोना के कारण, सभी सामाजिक / धार्मिक / सांस्कृतिक / राजकिय कार्यक्रम लेने पर, पुर्णत: पाबंदी लगायी गयी है.‌ और सदर आदेश का उल्लंघन करनेवाले, सामान्य लोंगो को दंडित कराने का, पुलिस को आदेश है. *"और यहां तो कानुन को बनानेवाले और कानुन की रक्षा / अमलबजावणी करनेवाले महामहिम ही, कानुन की पुरी तरह धज़्जीया उडा रहे है. "* फिर इन दोषीयों को, *"जनता अदालत"* में, क्या सजा सुनाई जाए...? सजाएं मौत...? या उनके " भर चौराह पर, कपडे उतारे जाएं....???"

      खैर छोडो, यह विषय अब हम थोडा बाजुं में रखते है.‌ सर्वोच्च न्यायालय के सरन्यायाधीश *शरद बोबडे* के कथन पर, हम पहले चर्चा करेंगे. शायद डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के सदर विषय संदर्भ में, शरद बोबडे का *(भारत की प्रशासकिय भाषा यह संस्कृत हो...?)* अभ्यास उतना ना हो. उन्होनें डॉ. बाबासाहेब के संदर्भ मे मेरे (डा.‌ मिलिन्द जीवने) से ट्युशन लेना जरुरी लग रहा है. यह विषय बहोत बडा होने के कारण, इस विषय पर फिर कभी, मै अलग से लिखुंगा. अब हम, *शरद बोबडे* के, एक न्यायालयीन निर्णय पर चर्चा करेंगे. कोरोना संक्रमण काल में, भारत के तमाम मंदिर बंद कराने का, सरकार ने आदेश‌ दिया गया था. वही उस काल में *"जगन्नाथपुरी मंदिर रथयात्रा केस"* पर तथा भावना का विषय जोडकर, *"Hon. Supreme Court of India's vacation bench of the Chief Justice of India S. A. Bobade,  Justice Dinesh Maheshwari & Justice A.S. Bopanna has allowed the Rathyatra (23rd June 2020) to take place in Puri with strict guidelines of the state Government."* प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में, जगन्नाथ रथ यात्रा में सहभागी होकर झाडु भी लगाया. वही कोरोना काल में नरेंद्र माेदी ने, *अयोध्या राम मंदिर का शिलान्यास"* भी किया. *"शबरीमाला मंदिर"* भी दर्शनार्थ खोला गया था.  वही अभी कुछ दिन पहले, *"राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ - RSS"* के सरसंघचालक *डॉ. मोहन भागवत* नें, बैंगलुरू में ७०० संघ प्रचारकों के उपस्थितीं में  "संघ के वार्षिक शिबिर" मे, सहभाग लेकर उदबोधन भी किया. अभी अभी *"हरीद्वार में कुंभमेला"* में, लाखों की संख्या मे साधु - संत (?), भाविकों ने वहां उपस्थित होकर, *"गंगा स्नान"* किया है. वही वहां के लाखों की उपस्थितीं के कारण, वहां से *"कोरोना संक्रमण"* बढने की चर्चा, बडी जोरों पर है.  *पश्चिम बंगाल / असम* में, विधान सभा चुनावों का गरम माहोल है. लाखों की संख्या में, जन सैलाब वहॉ दिखाई दिया है. नरेंद्र माेदी / राहुल गांधी / ममता बनर्जी की सभाएं, उसको क्या कहे...? यहां सवाल तो, कोरोना संक्रमण रोकने का है...??? *"ये निकले गंगा नदी में, अपना पाप धोने. वही नहाते नहाते, गंगा को ही गंदा कर चले....!"* फिर भी सर्वोच्च न्यायालय खामोश है.

    अभी अभी *'मा. मुंबई उच्च न्यायालय"* में, *"जैन मंदिर में नौ दिन की तपश्चर्या"* के कारण, जैन मंदिर के ट्रस्ट ने *"उपवास पदार्थ"* बनाने / वितरण करने हेतु, मुंबई न्यायालय से विशेष अनुमती मांगी.‌ एवं मा. उच्च न्यायालय ने जैन मंदिरों को, कुछ शर्तो पर अनुमती दी है. उपरोक्त उच्च / सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का संदर्भ देकर, मैने स्वयं (डॉ. मिलिन्द जीवने) *"नागपुर उच्च न्यायालय "* में, *"धम्म चक्र प्रवर्तन दिन"* पर *" दीक्षाभूमी के द्वार"* अभिवादन करने हेतु -  W.P. (ST) No. 9961/2020, यह याचिका दिनांक ९ अक्तूबर २०२० को दायर की थी. जहां मैने मा. सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त जजमेंट का, संदर्भ भी दिया था.‌ परंतु *Justice R. K. Deshpande / Pushpa Ganediwala* इन्होने अपने जजमेंट में, *"Respo. No. 1 (Deekshabhoomi) is a public Trust. We fail to understand as to how the petitioner can invoke the writ jurisdiction of this court seeking the direction as above....!"* कहकर, मेरी याचिका डिसमिस की. और "धम्म चक्र प्रवर्तन दिन" पर, हम दीक्षाभूमी के अंदर जाकर, अभिवादन नही कर सके. अंत में मेरे नेतृत्व में (डॉ. मिलिन्द जीवने), *"सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल* की टीम, जिस में *प्रा. वंदना जीवने / डॉ. किरण मेश्राम / डॉ. मनिषा घोष / ममता वरठे / प्रा. वर्षा चहांदे / डॉ. भारती लांजेवार / इंजी. माधवी जांभुलकर / दिशा चनकापुरे /ममता गाडेकर / सुर्यभान शेंडे / प्रा. नीता मेश्राम* आदीयों ने दीक्षाभूमी जाकर, गेट के बाहर से ही *'बुध्द वंदना"* की. सवाल यहां *दीक्षाभूमी ट्रस्ट"* का भी है. हमारे बौध्द बंधुओं के, भावना का भी है. वहां के ट्रस्टी यह *"केवल वहाँ विश्वस्त (विश्वास करने योग्य व्यक्ती) है. संस्था के मालक नही."* दीक्षाभूमी यह कोई उन ट्रस्टीयों की, बापजादा की वैयक्तिक संपत्ती नही है. *"दीक्षाभूमी यह आंबेडकरी / बौध्द समाज की जागतीक धरोहर है...!"* और उन्हे अपने ही धरोहर में, अभिवादन करने के लिए, किसी ना-लायक व्यक्ती की अनुमती लेनी होगी...??? वही उच्च न्यायालय के सदर आदेश‌ को ध्यान में रखकर, मा. धर्मादाय उपायुक्त के पास *अर्ज क्र. ३२/२०२०"* मैने फिर केस दायर की थी. वहॉ भी सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त जजमेंट का, मैने संदर्भ दिया गया.‌ उप धर्मादाय आयुक्त ने अपने आदेश में कहां कि, *"उन्हे दीक्षाभूमी समिती को, दरवाजा खोलने हेतु आदेश देने का कोई अधिकार नही है...!"* यह कितनी बडी शर्मसार बात है. सरकार अपने नियंत्रण में रहनेवाली संस्था को, आदेश देने का उन्हे अधिकार नही...? फिर धर्मादाय उपायुक्त वहां झक मारने बैठा हुआ है क्या...??? अंत: पुनश्च दिनांक २३ अक्तूबर २०२० को, *"उच्च न्यायालय, नागपुर खंडपीठ"* में याचिका डाली गयी. जो अभी भी प्रलंबीत है. मेरी ओर से, *अड. डाॅ. मोहन गवई / अड. संदिप ताटके* इन्होने वकालतनामा सादर किया.

     मा.‌ उच्च न्यायालय, नागपुर में प्रलंबीत मेरी वह याचिका, केवल *"दीक्षाभुमी प्रकरण"* सिमित नही है. तथाकथित कोरोना संक्रमण (?) संदर्भ में, भारत सरकार के विभिन्न आदेशों को, याचिका में जोडा गया है. *भारत सरकार का कोरोना संक्रमण अलग अलग आदेश‌ / भारत के पिछले पांच सालों का मृत्यु दर"* आदी भी विषय वहां जुडे है.‌ इस ‌लिए मैने अपने Prayer में, *"कोरोना संक्रमण की वास्तविकता / सच्चाई जानने हेतु, Court Commissioner के नियुक्ती की,"* उस पिटिशन में मांग भी की. हमे यह भी देखना है कि, *"कोरोना संक्रमण यह, कोई बहुत बडा आंतरराष्ट्रिय षडयन्त्र तो नही है...???"* आज भारत यह संक्रमण काल से, गुजर रहा है.‌ भारत की अर्थ व्यवस्था खस्ताहाल है.‌ *"भारत के मंदिरों में डंब पडी हुयी जमा पुंजी / संपत्ती का उपयोग करना, यह आज की गरज है."* परंतु हमें लगता है कि, "हमारे न्यायालय को भी, कोरोना रोग हो गया है....!"  इतनी महत्वपुर्ण मेरी याचिका को, मा. उच्च न्यायालय ने स्वयं होकर संज्ञान लेकर, *"जनहित याचिका"*  के रूप में, जल्द सुनवायी कर, उस पर निर्णय लेना चाहियें....!!! सर्वोच्च न्यायालय के एक भुतपुर्व सरन्यायाधीश ने, अपने एक बयाण में कहा कि, *"भारतीय न्यायालय से, हम सही न्याय की अपेक्षा नहीं सकते...!"* मेरे खयाल से, वह अधुरा बयाण है. भारत के न्यायालयों मे, जादातर सवर्ण वर्ग के न्यायाधीश बैठे है.‌ और उनके पुरखों का इतिहास, यह भारत के गद्दारी का रहा है. *चक्रवर्ती सम्राट अशोक* का विशालकाय अखंड विकास भारत को, खंड खंड बरबाद करनेवालों की, वे औलाद है. अर्थात भारत के न्यायालय को, हम *"सवर्ण न्यायालय"* भी कह सकते है...!!! अत: वह *"न्याय भारत / विकास भारत"* का अस्तित्व, पुर्णत: खो चुकी है. भारत के आझादी के ७० साल पार होने पर भी,  *"भारत राष्ट्रवाद मंत्रालय / संचालनालय,"* यह भारत में कभी बना ही नही. ‌और ना ही न्यायालय *"वाच डॉग"* के रुप में, वह अपना दायित्व निभा रही है. अगर न्याय व्यवस्था ही भ्रष्ट हो तो, जाए तो जांए कहा....!!! *"न्यायालय ने, मागास आरक्षण की समिक्षा करने की, एक बात कही है...!"* इस सवर्ण वर्ग का, यहां बिना आरक्षण रखे - न्यायालय / राज्यपाल / समस्त सर्वोच्च पदोंपर अवैध घुसपैठ का ....??? इसकी समिक्षा कब होगी. इस सवर्ण वर्ग का *"गर्भ मेरिट"* क्या है...??? *"एक बार हमारे समान लोगों को, उच्च पदों पर आसिन कर देखो. और अधिकार प्रदान करो. फिर देखों, हम भारत को कितनी उंचाई पर, ले जाते हें...! "* परंतु यहां खुर्ची पर तो, गधे बैठे है. उनके मेरिट को क्या कहे...???

       अभी अभी कुछ दिन पहले, संघवाद - RSS के सरसंघचालक *डा. मोहन भागवत* तथा सरकार्यवाह *भय्याजी जोशी* इन्हे कोरोना होने के कारण, उन्हे हास्पिटल में भरती किये जाने की, बडी ही चर्चा रही. अब उनके छुट्टी होने की भी...! वे दोनो ही महानुभावों नें अपनी सत्तरी पार की है.  और उन्हे कुछ अन्य बिमारी बतायी गयी है. यहां सवाल ऐसा है कि, उनके पास *"संकट मोचन हनुमान"* है. आरोग्य की देवता *"धनवंतरी"* है. मर्यादा पुरूषोत्तम *"राम"* है. गोपीकायों से यौवन क्रिडा रचानेवाला *"कृष्ण"* है. महामृत्युंजय मंत्र / गायत्री मंत्र है. सभी देव‌ - देवताएं उनके पास होकर भी, उन्होने उनके नामों का *"महायज्ञ"* क्यौ नही किया....? वे *"कोरोना हास्पिटल"* में भरती हो गये है. इंसान उन्हे ठिक कर रहा है. भगवान नही. *"दुवाएं के बदले, वे दवाई खा रहे है....!!!"* अब यह सिध्द हो गया कि,  *"यह कोरोना संक्रमण देव - देवताओं कों भी हो गया है...!"* वैसे भी तो, उनके धर्मग्रंथ में देवी - देवताएं, किसी न किसी बिमारी के शिकार थे. कोरोना संक्रमण से मृत्यु होने कारण, वह मरनेवाले लोग *"किस जाती से / श्रेणी से"* आते है.‌ उन्हे कोरोना के अलावा अन्य बिमारी थी क्या...??? इसका संशोधन होना भी जरूरी हो गया है. गरिब / मध्यम वर्गीय रुग्न को मारकर, उनके *"आर्गन की तस्करी"*  होने की भी चर्चा है. *मेरे खयाल से, कोरोना काल में, उन लोगों के मृत्यु का कारण, फैलाया हुआ "डर" है...!"* जैसे पहले *"भगवान का डर"* दिखाई जाता था. आज *"कोरोना डर"* है. अत: आप सभी नें, *"डर के आगे जीत है....!"* इस मंत्र को, हमेशा याद करना है.....!!! रोज एक्सरसाइज़ / योगा / आसन / विपश्यना यह करना है. *"योगा यह पतंजली की देन है,"* यह एक बहुत बडा जोक है. *"विपश्यना याने बुध्दीझम,"* इस विवाद से भी हमें बचना चाहिये.‌ *"बुध्दीझम"* यह बहुत बडा विषय है.  *"विपश्यना "* तो, बुध्दीझम का एक छोटासा भाग है. विटामिन सी तथा अच्छा आहार युक्त पदार्थों का सेवन करना चाहिये. सफाई का ध्यान रखना जरुरी है. तभी आप तंदुरस्त रहेंगे...!!!


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Thursday, 15 April 2021

Birthday of Mrs. Vandana Milind Jiwane

 *प्रा. वंदना मिलिन्द जीवने* (मो. 9370221732), हमारे लाडले मॅडम को *"जन्म दिन (१५ अप्रेल)"* पर मंगलमय भावना...!!!

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हमारे प्रा. जीवने मॅडम का अल्पपरिचय::::

* राष्ट्रिय कार्याध्यक्षा, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल (CRPC)

* राष्ट्रीय अध्यक्षा, सीआरपीसी वूमन क्लब

* राष्ट्रिय अध्यक्षा, सीआरपीसी एम्प्लाई  विंग

* संस्थापक अध्यक्षा, सीआरपीसी वुमन विंग

* राष्ट्रिय सल्लागार, सीआरपीसी ट्रायबल विंग

* राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष, डॉ. आंबेडकर आंतरराष्ट्रीय बुद्धिस्ट मिशन

* अध्यक्ष, जागतिक बौध्द महिला परिषद  2015

* स्वागताध्यक्ष, अखिल भारतीय आंबेडकरी महिला विचार परिषद  2020


* *डॉ. किरण मेश्राम*













Prof. Mrs. Vandana Jiwane birthday celebration.

 *डाॅ. आंबेडकर जन्मदिन सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल द्वारा संपन्न...!* 


      सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल / सीआरपीसी वुमन विंग / सीआरपीसी एम्प्लाई विंग / सीआरपीसी ट्रायबल विंग / सीआरपीसी वुमन क्लब इनके संयुक्त तत्वधान में, *"प. पु. डा. बाबासाहेब आंबेडकर जयंती "* यह शासन के आदेशान्वये, केवल पांच पदाधिकारी वर्ग की उपस्थितीं में, सेल के नागपुर मुख्यालय में संपन्न हुयी. उस अवसर पर सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष *डाॅ. मिलिन्द जीवने / प्रा. वंदना जीवने / डा. किरण मेश्राम / सुर्यभान शेंडे / डॉ. मनिषा घोष* यह पदाधिकारी उपस्थित थे.






Prof. Mrs. Vandana Jiwane birthday celebration.

 🥇 *प्रा. वंदना जीवने - सीआरपीसी वुमन विंग के "डॉ. आंबेडकर आंतरराष्ट्रिय पुरस्कार - २०२१" से सन्मानीत...!*


       *"सीआरपीसी वुमन विंग* की ओर से, प.पु. डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जन्मदिन पर देने जानेवाला *"डाॅ. आंबेडकर आंतरराष्ट्रिय पुरस्कार - २०२१,"* यह इस साल सेल की राष्ट्रीय कार्याध्यक्षा *प्रा. वंदना मिलिन्द जीवने* इन्हे, वुमन विंग की राष्ट्रीय अध्यक्षा *डॉ. किरण मेश्राम / डॉ. मनिषा घोष* इनके हाथों, सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष *डाॅ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य' / सुर्यभान शेंडे* इनकी प्रमुख उपस्थिति में, सेल के मुख्यालय में दिया गया. प्रा. जीवने इनके इस सन्मान पर, सीआरपीसी पदाधिकारी तथा मित्र वर्गों ने, प्रा. जीवने इनका अभिनंदन किया है.





Tuesday, 13 April 2021

 🤝 *नागनाथ सोनवणे (उपाध्यक्ष, पश्चिम महाराष्ट्र) / पंडित राजगुरु (अध्यक्ष, बार्शी तालुका, सोलापुर) सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल पर नियुक्त...!!!*


    सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल (C.R.P.C.) - पश्चिम महाराष्ट्र- *"उपाध्यक्ष"* पद पर, *नागनाथ सोनवणे*  इनकी नियुक्ती / तथा बार्शी तालुका जि. सोलापुर के अध्यक्ष पद पर, *पंडित राजगुरु* इनकी नियुक्ती, महाराष्ट्र प्रदेश महासचिव *सत्यजीत जानराव* इनकी शिफारीस पर, पश्चिम महाराष्ट्र के अध्यक्ष *निवृत्ती रोकडे* इन्होने, सेल की राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष *प्रा. वंदना जीवने* तथा राष्ट्रीय महासचिव *डॉ. किरण मेश्राम* इनके अनुमती से की है. सदर नियुक्ती की सुचना सीआरपीसी कर्मचारी विंग / महिला विंग / वुमन क्लब / ट्रायबल विंग के *"राष्ट्रीय पेट्रान"* तथा सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* इन्हे भेजी गयी है.

     उपरोक्त नियुक्ती पर *"सी. आर. पी. सी. के राष्ट्रीय पदाधिकारी गण"* - प्रा. डॉ. फिरदोस श्राफ (फिल्म स्टार - राष्ट्रीय उपाध्यक्ष), एन. पी. जाधव (माजी उपजिल्हाधिकारी - राष्ट्रीय सचिव), सुर्यभान शेंडे (राष्ट्रीय सचिव), विजय बौद्ध (संपादक - राष्ट्रिय सचिव), प्रा. वंदना जीवने (राष्ट्रीय कार्याध्यक्षा), डॉ. किरण मेश्राम (राष्ट्रीय महासचिव), प्रा. डॉ. मनिष वानखेडे (राष्ट्रीय सचिव), अमित कुमार पासवान (राष्ट्रीय सहसचिव), अॅड. डॉ. मोहन गवई (राष्ट्रीय कानुनी सल्लागार), अॅड. हर्षवर्धन मेश्राम (राष्ट्रीय कानुनी सल्लागार), अॅड. संदिप ताटके (राष्ट्रीय कानुनी सल्लागार), *"सी.आर.पी.सी. राष्ट्रीय कर्मचारी विंग"* के प्रा. वंदना जीवने (राष्ट्रीय अध्यक्षा), सत्यजीत जानराव (राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष), प्रा. श्रीकांत सिरसाठे (राष्ट्रीय महासचिव), इंजी. डॉ. विवेक मवाडे (राष्ट्रीय संघटक), प्रा. डॉ. मनिष वानखेडे (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष), प्रा. वर्षा चहांदे (राष्ट्रीय उपाध्यक्षा), प्रा. भारत सिरसाठ - एरंडोल (राष्ट्रीय सचिव), प्रा. डॉ. नीता मेश्राम (राष्ट्रीय सचिव), प्रा. नितिन तागडे (राष्ट्रीय सचिव), शंकरराव ढेंगरे (राष्ट्रीय सल्लागार), निवॄत्ती रोकडे (राष्ट्रीय सल्लागार), डॉ. किरण मेश्राम (राष्ट्रीय सल्लागार), अॅड. दयानंद माने (राष्ट्रीय कानुनी सलाहकार) तथा *"सी.आर.पी.सी. राष्ट्रीय महिला विंग"* की प्रा. वंदना जीवने (संस्थापक अध्यक्षा), डॉ. किरण मेश्राम (राष्ट्रीय अध्यक्षा), प्रा. डॉ. वर्षा चहांदे (राष्ट्रीय कार्याध्यक्षा), डॉ. मनिषा घोष (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष), ममता वरठे (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष), रेणू किशोर (झारखंड - राष्ट्रीय उपाध्यक्ष), प्रा. डॉ. प्रिती नाईक (राष्ट्रीय महासचिव - मध्य प्रदेश), इंजी. माधवी जांभुलकर (राष्ट्रीय सचिव), मीना उके (राष्ट्रीय सचिव), नंदा रामटेके (छत्तीसगड - राष्ट्रीय सचिव), आशा तुमडाम (राष्ट्रीय सचिव), प्रा. डॉ. नीता मेश्राम (राष्ट्रीय सहसचिव), प्रा. डॉ. ममता मेश्राम (राष्ट्रीय सहसचिव), प्रा. डॉ. सविता कांबळे (राष्ट्रीय सहसचिव), डॉ. साधना गेडाम (राष्ट्रीय सहसचिव) इन्होने अभिनंदन किया है. *"सी.आर.पी.सी. वुमन क्लब"* के राष्ट्रीय पदाधिकारी प्रा. वंदना जीवने (राष्ट्रीय अध्यक्षा), डॉ. किरण मेश्राम (राष्ट्रीय कार्याध्यक्षा), प्रा. वर्षा चहांदे (राष्ट्रीय उपाध्यक्षा), डॉ. मनिषा घोष (राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष), ममता वरठे (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष), प्रा. डॉ. नीता मेश्राम (राष्ट्रीय सचिव), आशा तुमडाम (राष्ट्रीय सचिव), कल्याणी इंदोरकर (राष्ट्रीय सचिव), अमिता फुलकर (राष्ट्रीय सहसचिव) *"सी.आर.पी.सी. ट्रायबल (आदिवासी) विंग"* के राष्ट्रीय पदाधिकारी - आशा तुमडाम (राष्ट्रीय अध्यक्ष), सतिश सलामे (राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष), विलास सिडाम (राष्ट्रीय संघटक), प्रा. वंदना जीवने (राष्ट्रीय सल्लागार), डॉ. किरण मेश्राम (राष्ट्रीय सल्लागार), डॉ. मोहन गवई (कायदेशीर सल्लागार),  डा. श्रीधर गेडाम (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष), अॅड. स्वाती मसराम (राष्ट्रीय महासचिव), अर्चना पंधरे (राष्ट्रीय सचिव), मधुकर सडमेक (राष्ट्रीय सचिव), राजेश वट्टी (राष्ट्रीय सचिव), रवी मेडा- मध्य प्रदेश (राष्ट्रीय सचिव), रामेश्वर परते - मध्य प्रदेश (राष्ट्रीय सहसचिव), अंजना मडावी (राष्ट्रीय सचिव), स्मिता माटे (राष्ट्रीय सचिव), विशाल चिमोटे (प्रदेश अध्यक्ष, महाराष्ट्र) इसके साथ ही *"सी. आर. पी. सी. के प्रदेश पदाधिकारी"* - डॉ. मनिषा घोष (अध्यक्ष, महाराष्ट्र राज्य), महेंद्र मानके (प्रोजेक्ट इन चार्ज), इंजी. डॉ. विवेक मवाडे (कार्याध्यक्ष, महाराष्ट्र राज्य), मिलिन्द बडोले (अध्यक्ष, गुजरात प्रदेश), नमो चकमा (अध्यक्ष, अरुणाचल प्रदेश), सुब्रमण्या महेश (अध्यक्ष, कर्नाटक प्रदेश), दिपक कुमार (अध्यक्ष, बिहार राज्य), पुष्पेंद्र मीना (अध्यक्ष, राजस्थान राज्य), रेणु किशोर (अध्यक्ष, झारखंड प्रदेश), लाल सिंग आनंद (अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश), अमित कुमार पासवान (कार्याध्यक्ष, बिहार), सत्यजीत जानराव (महासचिव, महाराष्ट्र राज्य),  रोहिताश मीना (राजस्थान), मीना उके (उपाध्यक्ष, महाराष्ट्र राज्य), मिलिन्द धनवीज (प्रदेश उपाध्यक्ष), प्रा. वर्षा चहांदे (प्रदेश उपाध्यक्ष, महाराष्ट्र), गिरीश व्यंकटेश (प्रदेश उपाध्यक्ष, कर्नाटक प्रदेश), सुनिल चव्हान (प्रदेश उपाध्यक्ष, महाराष्ट्र), प्रा. गौतमादित्य (अध्यक्ष, मराठवाडा विभाग), प्रा. राज अटकोरे (महासचिव, मराठवाडा विभाग), अॅड. रविंदरसिंग धोत्रा (गुजरात), संजय टिकार (मध्य प्रदेश), आंचल श्रीवास्तव (गुजरात), मंटुरादेवी मीना (राजस्थान),चंद्रिका बहन सोलंकी (गुजरात), मुसाफिर (बिहार), प्रा. नितिन तागडे (प्रदेश उपाध्यक्ष, महाराष्ट्र), अधिर बागडे (कार्याध्यक्ष, विदर्भ विभाग), ममता वरठे (अध्यक्ष, विदर्भ विभाग), अविनाश गायकवाड (अध्यक्ष, उत्तर महाराष्ट्र), मिलिंद गाडेकर (महासचिव, विदर्भ विभाग), चरणदास नगराले (प्रदेश उपाध्यक्ष, महाराष्ट्र), प्रा. भारत सिरसाठ - एरंडोल (प्रदेश उपाध्यक्ष, महाराष्ट्र), खेमराज मेश्राम (प्रदेश उपाध्यक्ष, महाराष्ट्र), कॅप्टन सरदार कर्नलसिंग दिगवा (प्रदेश उपाध्यक्ष, महाराष्ट्र), अशोक निमसरकार (उपाध्यक्ष, विदर्भ विभाग), डॉ. श्रीधर गेडाम (प्रदेश‌ अध्यक्ष, तेलंगाना), प्रा. डॉ. किशोर वानखेडे (प्रदेश कार्याध्यक्ष, तेलंगाना), मनोहर गेडाम (प्रदेश संघटक, तेलंगाना), गजानन वैद्द (प्रदेश महासचिव, तेलंगाना), गणेश बोडखे (उपाध्यक्ष, विदर्भ विभाग), निवॄत्ती रोकडे (अध्यक्ष, पश्चिम महाराष्ट्र), अॅड. दयानंद माने (कार्याध्यक्ष, पश्चिम महाराष्ट्र),  अॅड. हौसेराव धुमाल (समन्वयक, पश्चिम महाराष्ट्र), प्रा. डॉ. शशिकांत गायकवाड (पश्चिम महाराष्ट्र), प्रा. डॉ. गोरख बनसोडे (पश्चिम महाराष्ट्र), प्रा. डॉ. सुनिल गायकवाड (पश्चिम महाराष्ट्र), महादेव कांबळे - उपसंपादक (पश्चिम महाराष्ट्र), अंगद गायकवाड (पश्चिम महाराष्ट्र), सोमनाथ शिंदे (पश्चिम महाराष्ट्र), प्रा. अर्जुन कांबले (पश्चिम महाराष्ट्र), प्रा. बोधी प्रकाश (पश्चिम महाराष्ट्र), अॅड. डी. एच. माने (पश्चिम महाराष्ट्र), प्रा. सागर कांबले (पश्चिम महाराष्ट्र), सुर्यकांत गायकवाड (पश्चिम महाराष्ट्र), नागनाथ सोनवणे (उपाध्यक्ष, पश्चिम महाराष्ट्र), सुनिल कांबले (पश्चिम महाराष्ट्र), प्रा. विवेक गजशिवे (पश्चिम महाराष्ट्र), प्रा. श्रीकांत सिरसाठे (अध्यक्ष, कोंकण विभाग), प्रा. अंकुश सोहनी (कार्याध्यक्ष, कोकण विभाग), श्रीकांत जंवजाळ (महासचिव, कोकण विभाग), डॉ. लक्ष्मण सुरवसे (कोंकण विभाग), डॉ. शिवसजन कान्हेकर (कोंकण विभाग), प्रा. कानिफ भोसले (कोंकण विभाग), प्रा. विलास खरात (कोंकण विभाग), डॉ. शिवराज गोपाळे (कोंकण विभाग), डॉ. निलेश वानखेडे (कोंकण विभाग), विलास गायकवाड (कोंकण विभाग), पत्रकार शरद मोरे (कोंकण विभाग), हर्षवर्धन (छपरा, बिहार) आदी पदाधिकारी वर्ग ने भी अभिनंदन किया है.

     इसके साथ ही *"सी. आर. पी. सी. के विभिन्न शाखा पदाधिकारी"* - एल. के. धवन (अध्यक्ष, मुंबई शहर), मुकेश शेंडे (अध्यक्ष, चंद्रपूर शहर), गौतमादित्य (अध्यक्ष, औरंगाबाद जिला), प्रा. दशरथ रोडे (अध्यक्ष, बीड जिला), भारत थोरात (कार्याध्यक्ष, औरंगाबाद जिला), मिलिन्द धनवीज (अध्यक्ष, यवतमाल जिला), प्रा. योगेंद्र नगराले (अध्यक्ष, गोंदिया जिला), इंजी. स्वप्नील सातवेकर (अध्यक्ष, कोल्हापूर जिला), संजय बघेले (अध्यक्ष, गोंदिया शहर), डॉ. देवानंद उबाले (अध्यक्ष, जलगाव जिला), बापुसाहेब सोनवणे (अध्यक्ष, नासिक जिला), अंगद गायकवाड (अध्यक्ष, सोलापुर जिला), राजेश परमार (गुजरात), कमलकुमार चव्हाण (गुजरात), हरिदास जीवने (अध्यक्ष, पुसद जिला), प्रा. मिलिंद आठवले (अध्यक्ष, औरंगाबाद शहर), एड. रमेश विवेकी (अध्यक्ष, लातुर जिला), शांताराम इंगळे (अध्यक्ष, बुलढाणा जिल्हा), गौतम जाधव (कार्याध्यक्ष, मुंबई शहर), प्रवीण दाभाडे (महासचिव, मुंबई शहर), सुरेश वाघमारे (अध्यक्ष, उत्तर मुंबई), किशोर शेजुल (अध्यक्ष, जालना), मनिष खर्चे (अध्यक्ष, अकोला), संदिप गायकवाड (महासचिव, जालना), सिध्दार्थ सालवे, प्रशांत वानखेडे, विनोद भाई वनकर (गुजरात), धर्मेंद्र गणवीर, सुधिर जावले, हॄदय गोडबोले (अध्यक्ष, भंडारा जिला), महेंद्र मछिडा (गुजरात), प्रियदर्शी सुभुती (गुजरात), राजेश गोरले (समन्वयक, विदर्भ), अमित जाधव (जिल्हा अध्यक्ष, ठाणे) *ट्रायबल (आदिवासी) विंग* के विशाल चिमोटे (प्रदेश अध्यक्ष, महाराष्ट्र), किसनलाल मालवि (प्रदेश कार्याध्यक्ष, महाराष्ट्र) अनिता मसराम (प्रदेश महासचिव, महाराष्ट्र), मनिषा मसराम (प्रदेश उपाध्यक्ष, महाराष्ट्र), दिलिप सुरपाम (प्रदेश संघटक, महाराष्ट्र), अनिलकुमार धुर्वे (प्रदेश उपाध्यक्ष, महाराष्ट्र) *सिआरपिसि ट्रायबल विंग के अन्य पदाधिकारी* - पवन मोरे (नांदेड जिला अध्यक्ष, महाराष्ट्र), कोंडु मडावि (आदिलाबाद जिला अध्यक्ष, तेलंगाना), युवराज आडे (कार्याध्यक्ष, आदिलाबाद, तेलंगाना), तिरु. बलराम ऊइके (प्रदेश अध्यक्ष, मध्य प्रदेश), तिरू माय गितेश्वरि कुंजाम (प्रदेश उपाध्यक्ष, मध्य प्रदेश), तिरु. अड. हेमराज कंगाले (प्रदेश सचिव, मध्य प्रदेश), तिरू. सुर्यभान कवडेति (प्रदेश सचिव, मध्य प्रदेश), तिरु. शिवराज सिंह उरवेति (प्रदेश संघटक, मध्य प्रदेश), विरेंद्र इडपाचे (प्रदेश कोषाध्यक्ष, मध्य प्रदेश) इसके साथ हई *महिला विंग*  की - डॉ. भारती लांजेवार (अध्यक्ष, महाराष्ट्र प्रदेश), अर्चना रामटेके (कार्याध्यक्ष, महाराष्ट्र), गायिका - ज्योती चौहान - मुंबई (उपाध्यक्ष, महाराष्ट्र राज्य), डॉ. सारिका कांबले (जानराव) - (अध्यक्ष, गुजरात प्रदेश), अॅड. श्रृती संकपाल (अध्यक्ष, पश्चिम महाराष्ट्र), वैशाली जानराव - (कार्याध्यक्ष, पश्चिम महाराष्ट्र), डॉ. सुवर्णा घिमघिमे (महासचिव, पश्र्चिम महाराष्ट्र), संजीवनी आटे (अध्यक्ष, विदर्भ), रंजना गांगुर्डे (अध्यक्ष, उत्तर महाराष्ट्र), ममता गाडेकर (नागपुर जिला अध्यक्ष), दिशा चनकापुरे (महाराष्ट्र उपाध्यक्ष), रिता बागडे, मंगला वनदूधे (विदर्भ समन्वयक), लीना तुमडाम (सचिव, विदर्भ), प्रिती खोब्रागडे (संघटक, महाराष्ट्र), हिना लांजेवार, वीणा पराते (नागपुर जिला कार्याध्यक्ष), अपर्णा गाडेकर(नागपुर जिला उपाध्यक्ष), वीणा वासनिक (संघटक, महाराष्ट्र), अॅड. निलिमा लाडे आंबेडकर (उपाध्यक्ष, महाराष्ट्र), कल्याणी इंदोरकर (प्रदेश उपाध्यक्ष), वैशाली रामटेके (प्रदेश सचिव), शोभा मेश्राम (प्रदेश सचिव), इंदु मेश्राम (सचिव, विदर्भ विभाग), संध्या रंगारी (नागपुर जिला उपाध्यक्ष), शीला घागरगुंडे(नागपुर जिला उपाध्यक्ष), साधना सोनारे (महासचिव, विदर्भ), लक्ष्मी वाघमारे (पश्चिम महाराष्ट्र), वंदना चंदनशिवे (पश्चिम महाराष्ट्र), शैलजा क्षिरसागर (पश्चिम महाराष्ट्र), कविता कापुरे (पश्चिम महाराष्ट्र), रजनी साळवे (पश्चिम महाराष्ट्र), भाग्यश्री शिंदे (पश्चिम महाराष्ट्र), सुप्रिया माने (पश्चिम महाराष्ट्र), अनिता मेश्राम (उपाध्यक्ष, महाराष्ट्र), अमिता फुलकर (उपाध्यक्ष, महाराष्ट्र), मिनाक्षी शहारे (सचिव, महाराष्ट्र), निलिमा भैसारे (महासचिव, महाराष्ट्र), कल्पना गोवर्धन, राया गजभिये, वैशाली राऊत, ममता कुंभलवार, प्रिया वनकर, भारती खोब्रागडे, अल्का कोचे (उपाध्यक्ष, महाराष्ट्र), छाया खोब्रागडे (विदर्भ विभाग उपाध्यक्ष), सीमा मेश्राम, सरिता बोरकर, सुजाता सोमकुवर (खापा), संध्या सोमकुवर (वाडी), प्रतिमा गोडबोले (रामटेक), पुष्पा कांबळे (अध्यक्षा, काटोल सर्कल), संगिता नानोटकर (कोराडी), स्मिता जिभे (रामटेक), प्रियंका टोंगसे (रामटेक), सुहासिनी शनिचरे (रामटेक) आदी महिला पदाधिकारी तथा *नागपुर शाखा* के पदाधिकारी नरेश डोंगरे (अध्यक्ष, नागपूर जिला), डॉ. राजेश नंदेश्वर (महासचिव, नागपूर शहर), मनिष खंडारे, रेवाराम वासनिक, प्रकाश बागडे, चंद्रशेखर दुपारे, राजु मेश्राम (कार्याध्यक्ष, नागपुर जिला), सुरेश रंगारी, सुनिल कुरील, सुहास चंद्रशेखर, निरज पाटील (कार्याध्यक्ष, काटोल सर्कल), उत्तम कांबळे (महासचिव, काटोल सर्कल) आदीयों ने सदर नियुक्ती पर, उनका अभिनंदन किया है.



Sunday, 11 April 2021

 👌 *बगिच्यात माझ्या बुध्दास बघुनी...!!!*

           *डाॅ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य'* नागपूर १७

           मो. न. ९३७०९८४१३८


बगिच्यात माझ्या बुध्दास बघुनी, मोगरा बहरत गेला

विविध रंगी गुलाबाच्या संगे, तो सुगंध दरवळत गेला...


काट्याच्या ह्या जखमेतुन, माणुस दु:ख सहत गेला

व्यवस्थेच्या सरकारीकरणात, तो उध्वस्त होत गेला

बोलणा-या ह्या ओठातुन, शब्द घायल तो करत गेला

भीमाच्या त्या लेखणीतुन, बुध्दाकडे तो धावुन गेला...


स्वप्नाच्या जगतात ह्या, उंच आकाशी तो उडत गेला

खरे वास्तव विसरुन तो, जीवन उध्वस्त करत गेला

पक्ष्यांच्या थव्यांनी तेव्हा, पंख नाद हा सांगुन गेला

धम्म पथाचा आधार घेवुनी, तो सत्य समजुन गेला...


फुलपाखरांच्या त्या सौंदर्यात, स्वत:ला तो बघत गेला

फुलांच्या ही निष्पाप भावाने, प्रेमाच्या तो सोबत गेला

गुलाब शेवंती सदाफुली सोबत, मैत्री तो करुन गेला

ह्या प्रेमाचा अंकुरामधुनी, बुध्द वाणी तो समजुन गेला...


* * * * * * * * * * * * * * * * * * * * *




Saturday, 3 April 2021

 📖 *डॉ. आंबेडकर चरित्र साधन प्रकाशन समिती ह्यावर नव नियुक्त सचिव / सदस्य ह्यांचे आंबेडकरी साहित्याचे मेरिट आणि राजनीतिक नंगानाच...!!!*

          *डॉ. मिलिन्द जीवने 'शाक्य',* नागपूर १७

          राष्ट्रिय अध्यक्ष, सिव्हिल राईट्स प्रोटेक्शन सेल

          मो.न. ९३७०९८४१३८, ९२२५२२६९२२


      बोधिसत्त्व डॉ. आंबेडकर ह्यांचे १४ एप्रिल २०२१ ला जयंतीचे औचित्य साधुन, महाराष्ट्र शासनाने १ एप्रिलच्या पुर्व संधेला *"डॉ. आंबेडकर चरित्र साधन प्रकाशन समितीवर "* २३ सदस्यांच्या समितीची घोषणा केली. सदर समितीतील नवनियुक्त सदस्यांचे / सचिवांचे नावे बघितल्यावर, त्यातील काही महामहीमांचे आंबेडकरी साहित्यावर लिखाण / चिंतन - वैचारिक लेख वगैरे लिहिल्याचे / साहित्य क्षेत्रात ती *"नामांकित महामहिम असल्याचे"* कधी वाचनात आलेले नाही...! तर काही *"नामांकित मान्यवरांनी तर वयाची सत्तरी"* ओलांडलेली असल्यामुळे, ती मान्यवर सदर समितीवर *"शारीरिक / मानसिक दृष्ट्या सक्षमपणे"* काम करणार काय...? ती मंडळी मुंबईचा लांबचा प्रवास / मुक्काम करुन *"डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरांच्या लिखाण प्रकाशनाला न्याय"* देवु शकणार काय...? हे प्रश्न सहजपणे मनाला विचारू लागले....! दुस-या शब्दात बोलायचे झाल्यास त्या नव नियुक्त सदस्यांना *"राजकिय नेत्यांचा प्रतिनिधीक शोभेचा हत्ती,"* असे म्हटल्यास ते चुकीचे होणार नाही....! आणि *"सचिव* ह्या पदावर नियुक्त केलेले महामहिम तर, शासकिय मेडिकल कॉलेजमधुन, कर्करोग (Cancer Dept.) विभागाध्यक्ष म्हणुन निवृत्त झालेला डॉक्टर...!   सत्तरी ओलांडलेला...! आणि कुणाशीही गोड गोड बोलुन, तसेच नेत्यांच्या पुढे पुढे नाचण्यात एक नंबर पटाईत...! आंबेडकरी साहित्य लिखाणाचा कोणत्याही प्रकारचा गंध नसलेला...!!! *"त्यामुळे  साहिजिकचं आंबेडकरी साहित्याचे लिखाण केलेल्या काही वरिष्ठ /  सत्तरी पार केलेल्या आंबेडकरी साहित्यिकांना, नवनियुक्त सचिव अ-साहित्यिकाच्या हाताखाली काम करणे म्हणजे - इगोचा प्रश्न आला...!"* त्यामुळे साहजिकचं सदर समितीच्या सचिव पदाचा वाद चव्हाट्यावर आला.

     तसे बघितले तर, आपल्या देशातील काही नामांकित देशभक्त मान्यवरांनी, *"भारतीय राजकारण म्हणजे वेश्यालय"* असे खुलेपणाने खेदाने म्हटलेले / लिहिलेलें आहे. अर्थात दुस-या भाषेत सांगायचे म्हणजे त्या देशभक्तांनी, ह्या राजकिय नेत्यांना *"वेश्या"* असे म्हटलेले आहे. परंतु माझे मत मात्र त्या नामांकित मान्यवरांपेक्षा, थोडे वेगळे झालेले आहे. वेश्या ही आपला उदार-निर्वाह करण्याकरीता, आपला व्यवसाय ही चार भिंतीच्या आत, दरवाजा बंद करुन करीत असते. *"ती पुर्णत: नग्न होवुन आपल्या शरीराची नुमाइश ही भर चौकात / भर रस्त्यावर कधीही करीत नसते...!"* दुस-या शब्दात बोलायचे झाल्यास, वेश्या ही कुठेतरी आपल्या स्त्री नैतिकतेचे, पालन करतांना दिसुन येते. परंतु ह्या राजकिय नेत्यांनी मात्र आपली नैतिकता, ही पुर्णपणे विकलेली आहे. ही नेता मंडळी आपल्या फायद्याकरीता, केवळ देशचं नाही तर आपल्या समाजाला ही विकतांना, कुठलीही नैतिकता ठेवत नसतात...! ह्या सत्ता पिपासु माणुस वर्गाने, आपल्या सत्ता प्राप्ती करीता, आपल्या पत्नीला ही जुगारात लावलेले आहे. हा एक इतिहास आहे. तेव्हा ह्या राजकिय नेत्यांना *"वेश्या म्हणने म्हणजे, हा त्या वेशेचा अपमान म्हणावा लागेल...!"* ह्या ना-लायक सतापिपासु नेत्यांमुळे, आपल्या देशाची अर्थव्यवस्था असो की, सु-प्रशासन असो की, देशाची ऐकात्मता - विकास असो, ह्याला पाहिजे त्या प्रमाणांत उभारी, ह्या ७० वर्षातही मिळालेली नाही. *"भारत देशभक्ती विचार"* हा ह्या देशात कधी रुजलाच नाही. *"भारत राष्ट्रवाद मंत्रालय / संचालनालय"* हे ह्या देशात कधी स्थापन झालेलेचं नाही...! वा भारतीय बजेटमध्ये त्याकरिता काही प्रावधान...! त्यामुळे शासनाच्या अशा विभिन्न समितीवर होणा-या विभिन्न पदाधिका-यांच्या नियुक्त्या असो वा, सरकारी पुरस्कार असो, हे सर्व *"राजकिय नेत्यांच्या शोभेच्या हत्तीचे"* प्रतिबिंब आहे, असे म्हणायला काही हरकत नाही....!

       डॉ. आंबेडकर चरित्र साधन प्रकाशन समितीवर झालेल्या नियुक्त्यांना मी वरील संदर्भात घेत असतो. ह्या आधीही *"वसंत मुन"* वगळता, जितके घोडे त्या समितीवर चालुन गेले, *"ते सर्व लग्नाच्या वरातीत नाचणारे घोडे होते. शर्यतीत धावणारे विजेते घोडे नव्हते....!"* आज डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ह्यांचे जे साहित्य / चरित्र लेखण, आपल्याला दिसुन येते, त्याचे संपुर्ण श्रेय हे केवळ आणि केवळ स्मृतीशेष *वसंत मुन* ह्यांना द्यावे लागेल. कारण त्यांनी डॉ. बाबासाहेबांच्या हस्तलिखितांची व्यवस्थित रित्या जपणुक करुन ठेवलेली होती. माझी (डॉ. मिलिन्द जीवने) बरेचदा त्यांची भेट मुंबईच्या त्यांच्या घरी, तर कधी कधी नागपुरला झालेली होती. एकदा माझ्या निमंत्रणावरून वसंत मुन हे जगन वंजारी ह्यांच्या सोबत, माझ्या काॅलेजच्या कार्यक्रमालाही आलेले होते. तसेचं आमच्या ह्या भेटीत, त्यांनी बरीचं माहिती आम्हाला दिलेली होती. आजपर्यंत त्या समितीवर मंत्री /  संत्री / कुत्री स्वार झाल्यामुळें, डॉ. आंबेडकरांचे लिखाण पाहिजे त्या प्रमाणांत प्रकाशीत झालेले नाही. वा बाबासाहेबांच्या लिखाणाला हवा तो न्याय मिळालेला नाही. *"बरेच प्रकाशीत काही खंडांच्या आवृत्ती संपलेल्या असल्याने / विकल्या गेल्यानंतर पुनश्च प्रकाशीतचं केल्या गेलेले नाहीत."*  मग काय...??? सदर समितीतील घोडे हे आपल्या घोडेखाण्यात, झोपलेले होते किंवा, गवत खात होते काय...????  हा तर संशोधनाचा विषय म्हणावा लागेल...!" आता पुन्हा सदर समितीवर त्याच *सुमार दर्जाची घोडे,"* सोडलेले असल्याने, पुनश्च समिती झोपते की धावते, ह्यावर सर्व आंबेडकरी लोकांच्या नजरा राहाणार आहेत...! *"मंत्री / संत्री / कुत्री ही नेहमी बदलतील ही...!"* परंतु डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरांचे सर्व लिखाण / संपलेल्या सर्व आवृत्यांचे पुनश्च नव्या जोमाने प्रकाशन, ह्या नव नियुक्त घोड्यांकडुन होईल, ह्या प्रतीतिक्षेतचं...!!! 


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